Bihar chunav 2020 Result : बिजेंद्र प्रसाद यादव ने आठवीं बार भी मारी बाजी, सुपौल में NDA में जश्न
Bihar chunav 2020 Result सुपौल विधानसभा के मतदाताओं ने एक बार फिर जदयू प्रत्याशी पर अपना विश्वास काम रखा है। मतदाताओं ने मंत्री रहे विजेंद्र प्रसाद यादव को जीत दिया। वे 1990 से लगातार सुपौल विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
सुपौल, जेएनएन। Bihar chunav 2020 Result : सुपौल विधानसभा की सीट प्रदेश राजनीति में हाॅट सीट मानी जाती है। इस क्षेत्र का नेतृत्व विगत तीस वर्षों से लगातार विजेंद्र प्रसाद यादव के हाथ में रहा है। सात चुनाव जीतने के बाद उन्होंने आठवीं बार बाजी मारी है। उन्होंने साबित कर दिया कि मतदाताओं ने उन्हें सिर आंखों पर बिठाया।
पहली बार 1990 में बने थे पहली बार विधायक
1990 में वे पहली बार विधायक चुने गए। अब तक हर चुनाव इन्हें जीत का सेहरा मिलता रहा। इस चुनाव वे आठवीं बार वे अपना भाग्य आजमा रहे थे। टक्कर आमने-सामने का था। महागठबंधन की ओर से कांग्रेस प्रत्याशी मिन्नतुल्लाह रहमानी उर्फ मिन्नत रहमानी चुनाव मैदान में डटे हैं। हालांकि इस सीट पर लोजपा ने भी अपना प्रत्याशी खड़ा किया है। जिससे शुरुआती क्षणों में मुकाबले को त्रिकोणात्मक बनाने का प्रयास किया गया लेकिन स्थिति आमने-सामने पर आकर ही खड़ी हो गई। इस क्षेत्र से कुल 11 प्रत्याशी मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे थे।
कब-कब किया प्रतिनिधित्व
1990 में प्रदेश में हुए सत्ता परिवर्तन के दौर में पहली बार जनता दल के टिकट पर बिजेंद्र प्रसाद यादव निर्वाचित हुए।
इन्हें 1991 में ऊर्जा राज्य मंत्री बनाया गया। अपनी कार्यशैली की बदौलत कुछ ही दिनों बाद ये कैबिनेट मंत्री बना दिए गए।
1995 के चुनाव में ये पुन: जनता दल के ही टिकट पर निर्वाचित हुए। लालू प्रसाद के ही नेतृत्व में इन्हें नगर विकास मंत्री बनाया गया और बाद में फिर विधि और उर्जा मंत्री बनाए गए।
1997 में लालू प्रसाद और शरद यादव के गुटों में पार्टी विभक्त हो गई। बिजेंद्र प्रसाद यादव ने शरद यादव का साथ दिया और ये मंत्रिमंडल से अलग कर दिए गए।
2000 का चुनाव भी इन्होंने जनता दल युनाईटेड के टिकट पर लड़ा और विधायक चुने गए। प्रदेश में राजद की सरकार बनी।
2005 का चुनाव पार्टी ने इन्हीं की अगुवाई में लड़ी। उस वक्त ये पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे।
2005 के चुनाव के बाद ये फिर कैबिनेट मंत्री बनाए गए। जल संसाधन, ऊर्जा और विधि जैसे विभाग की जवाबदेही सौंपी गई।
2010 के चुनाव जीतने के बाद संसदीय कार्य, मद्य निषेध, निबंधन बाद में फिर ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण विभाग इनके हिस्से में रहा।
2014 में लोकसभा चुनाव में पार्टी की पराजय के बाद नैतिकता के आधार पर नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया।
जीतनराम मांझी के नेतृत्व में सरकार बनी और ये वित्त मंत्री बनाए गए।
2015 में सूबे में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच ये मंत्री पद से हटाए गए।
पुन: नीतीश कुमार की अगुवाई में बनी सरकार में इन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। इनके जिम्मे वित्त, ऊर्जा, उत्पाद और वाणिज्य कर जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेवारी सौंपी गई।
2015 के विधानसभा चुनाव के बाद बनी महागठबंधन की सरकार में फिर उन्हें ऊर्जा और वाणिज्य कर जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेवारी सौंपी गई।
2017 में महागठबंधन से जदयू अलग हुआ और राजग की सरकार में पुन: ऊर्जा, वाणिज्यकर उत्पाद जैसे महत्वपूर्ण विभाग सौंपा गया।
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