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    Bihar Cabinet Expansion: यहां 19 होकर भी 20 हो गई भाजपा, समझिए... बिहार का राजनीतिक गणित

    By Dilip Kumar shuklaEdited By:
    Updated: Wed, 10 Feb 2021 10:05 AM (IST)

    Bihar Cabinet Expansion पूर्व बिहार कोसी और सीमांचल के सात नए मंत्रियों में चार गंगा पार से। बिहार के इस इलाके से भाजपा के 19 और जदयू के 20 विधायक हैं। अब तक गंगा पार के छह नेता मंत्रिमंडल में पूर्व बिहार से मात्र तीन।

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    Bihar Cabinet Expansion: बिहार में भाजपा और जदयू का गठबंधन है।

    भागलपुर [संजय सिंह]। Bihar Cabinet Expansion: पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल में भाजपा के 19 और जदयू के 20 विधायक हैं। ताजा मंत्रिमंडल विस्तार के बाद विधानसभा अध्यक्ष समेत मंत्री पद पर आसीन इलाके के भाजपा विधायकों की संख्या छह हो गई है, जबकि इन्हीं इलाकों से जदयू के तीन विधायक मंत्री पद पर हैं। 86 दिनों के इंतजार के बाद मंगलवार (9 फरवरी 2021) को नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया। इसमें गंगा पार से चार और पूर्व बिहार से तीन मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। मधेपुरा, अररिया, किशनगंज, खगडिय़ा जिले को इस मंत्रिमंडल में कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला। यद्यपि, भागलपुर के भी कोई विधायक मंत्री नहीं बने, लेकिन शाहनवाज को मंत्री बनाकर यहां संतुलन साधने की कोशिश की गई है।

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    पूर्व बिहार से इससे पहले एक भी मंत्री नहीं थे, सिर्फ लखीसराय के भाजपा विधायक विजय कुमार सिन्हा को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया था। उधर, कोसी-सीमांचल से सरकार गठन के समय कटिहार के भाजपा विधायक तारकिशोर प्रसाद को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। इनके अलावा उस समय इस इलाके से सुपौल के जदयू विधायक बिजेंद्र प्रसाद यादव को मंत्री बनाया गया था। इधर, चकाई से निर्दलीय विधायक सुमित कुमार सिंह को भी नये मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।

    कुछ माह पूर्व हुए विधासभा चुनाव में पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल की 62 विधानसभा सीटों में भाजपा ने 19, जदयू ने 20, राजद ने आठ, कांग्रेस ने सात, वाम दलों ने एक, एआइएमआइएम ने पांच और हम ने एक सीट जीती। जमुई जिले के चकाई की सीट निर्दलीय सुमित कुमार सिंह ने जीती थी। जमुई से श्रेयसी सिंह और दामोदर रावत भी मंत्री पद के प्रबल दावेदार थे, लेकिन पूर्व मंत्री और जमुई के कद्दावर नेता नरेंद्र सिंह के पुत्र सुमित कुमार सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल कर जमुई में एक नई राजनीतिक पृष्ठभूमि की रचना की गई है।

    जानकार बताते हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान सुमित के पिता व पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह ने सांसद चिराग पासवान की घेराबंदी में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। इस बार के विधानसभा चुनाव में चिराग ने भी नीतीश कुमार के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली और जदयू उम्मीदवारों के खिलाफ लोजपा के प्रत्याशी को खड़ा कर दिया। इससे जदयू को कुछ सीटों का नुकसान भी हुआ। भाजपा कोटे से ही पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी के पुत्र विधान पार्षद सम्राट चौधरी को भी मंत्री बनाया गया। सम्राट मुंगेर के तारापुर विधानसभा क्षेत्र के निवासी हैं। सरकार गठन के समय तारापुर के वर्तमान जदयू विधायक मेवालाल चौधरी को नीतीश कुमार ने मंत्रिमंडल में जगह दी थी। बीएयू में अवैध नियुक्ति को लेकर मेवालाल पर कई सवाल खड़े हुए।

    इस विस्तार में सबसे ज्यादा फायदा सुपौल को हुआ है। विधान पार्षद शाहनवाज हुसैन का गृह जिला सुपौल ही है। भले ही उनकी राजनीतिक कर्मभूमि किशनगंज और भागलपुर रही है। शाहनवाज को मंत्री बनाकर भाजपा ने एआइएमआइएम पर भी अंकुश लगाने की कोशिश की है। नीरज कुमार सिंह 'बबलू' और विजेंद्र प्रसाद यादव भी सुपौल जिले की विधानसभा सीटों से ही चुने गए हैं। यद्यपि, नीरज कुमार सिंह मूल रूप से पूर्णिया जिले के मलडीहा के निवासी हैं। जदयू ने बांका के अमरपुर से पहली बार विधायक बने जयंत राज कुशवाहा को भी मंत्रिमंडल में स्थान दिया है। जयंत के पिता जनार्दन मांझी बांका से बेलहर और अमरपुर से विधायक रह चुके हैं। इस बार उन्होंने विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा। बांका के भाजपा विधायक राम नारायण मंडल को इस बार मंत्री नहीं बनाया गया है। वे लगातार दो बार से बिहार में मंत्री थे। पूर्णिया जिले से लेसी सिंह को जदयू ने मंत्रिमंडल में स्थान दिया है। यद्यपि, जदयू की ही बीमा भारती मंत्री नहीं बन सकीं। नीतीश कुमार के पिछले मंत्रिमंडल में ये मंत्री रह चुकी हैं। सहरसा के भाजपा विधायक आलोक रंजन झा को भी पार्टी ने राजद प्रत्याशी लवली आनंद को हराने का पुरस्कार देकर मंत्री बनाया है।