बिहार में क्यों है बकराें की चर्चा? क्या हरे रंग का पट्टा वाला बकरा बिक गया? आसान शब्दों में समझें इसके मायने
Bihar Assembly Election 2025: बिहार चुनाव में न नेताओं की नीयत बदलते देर लग रही, न ईमान। कब, कौन, कहां पलटी मार जाए कहना मुश्किल है। चुनाव से पहले सत्ताधारी पार्टी का अमला, विधायक कहे जाने वाले भी चुनाव मैदान में उतरकर निर्दलीय ताल ठोक रहे। चुनावी मौसम में किसी उम्मीदवार को खड़ा होने के, तो किसी को बैठ जाने के बदले मोटा इनाम मिलने की चर्चा आम है। यहां विस्तार से पढ़ें भागलपुर के अखाड़े में जोरों पर चल रही चुनावी चक्रम और गपशप के बारे में...

Bihar Assembly Election 2025: बिहार की चुनाव मंडी में अब नई चर्चा है, वो बकरा बागी था, पर मोल-भाव में फंस गया।
संजय सिंह, भागलपुर। Bihar Assembly Election 2025 बिहार की चुनावी मंडी में इन दिनों बकरों की खूब रौनक है। कोई खूंटा बदल चुका है, कोई हरी, पीली, नीली यथा नई रस्सी की तलाश में है। सब अपने भाव की प्रतीक्षा में हैं। आखिर चुनावी मौसम में हर बकरे का मोल बढ़ जाता है। इसी भीड़ में एक बकरा था, जो चमकदार, चर्चित और थोड़ा बागी स्वभाव का। मंडी में खूब चर्चा हुई। बोली लगी, दाम तय होने की बात फैली। कोई बोला, पचास तक पहुंचा, कोई बोला एक में पट गया। सौदा उधार पर था, भरोसा नकद था। फिर अचानक खबर आई कि हरे रंग का पट्टा वाला बकरा बिक गया।
लोगों ने कहा अब तो यह गया। लेकिन कुछ ही घंटे में बकरा फिर अपने पुराने खूंटे के पास दिखाई दिया। लोग हैरान अरे, ये तो बिक गया था ना? किसी ने धीरे से कहा, बिक तो गया था, पर समझा दिया गया कि अभी घर ही ठीक है। कहते हैं, बड़े व्यापारी ने खुद दखल दिया। समझाया, कभी-कभी बैठ जाना ही सबसे अच्छा सौदा होता है। बकरा मुस्कुरा दिया, बोला मुझे मेरा भाव समझ में आ गया, अब आराम से चरूंगा। मंडी में अब नई चर्चा है, बकरा बागी था, पर मोल-भाव में फंस गया। किसी ने व्यंग्य से कहा, बिकने से पहले बैठ गया और वही बकरा सबसे समझदार निकला। अब सबकी नजर अगली चाल पर है।
11 नवंबर को मतदान, चुनावी तैयारी को लेकर मुख्यालय में रहना अनिवार्य
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों को लेकर बिहार शिक्षा परियोजना, भागलपुर की ओर से सभी विद्यालयों को महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए गए हैं। इसको लेकर डीपीओ (एसएसए) बबीता कुमारी ने मंगलवार को पत्र जारी किया है। जिसमें कहा है कि जिले के सभी प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक, शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारी अवकाश के दौरान भी मुख्यालय से बाहर न जाएं।
उन्होंने बताया कि 11 नवंबर को मतदान निर्धारित है, ऐसे में निर्वाचन कार्य से जुड़ी कई तैयारियां जैसे मतदान केंद्रों पर न्यूनतम सुविधाओं की व्यवस्था और मतदाता जागरूकता कार्यक्रम तय समय पर पूरी की जानी हैं। इसलिए रविवार या छुट्टी के दिन भी सभी विद्यालय कर्मियों की मुख्यालय में उपस्थिति अनिवार्य की गई है। डीपीओ ने निर्देश दिया है कि सभी शिक्षकों और कर्मचारियों के मोबाइल फोन चालू अवस्था में रहें ताकि आवश्यकतानुसार उनसे तुरंत संपर्क स्थापित किया जा सके। इस आदेश को अत्यंत आवश्यक श्रेणी में रखा गया है।
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