82 वर्षों से ग्राहकों से संबंध निभा रहा 'मेला स्टोर'
सिल्क नगरी में आजादी से पहले 1938 से ग्राहकों को सेवा दे रहा दुकान। पंजाब छोड़कर भागलपुर में बस गए थे अयोध्यानाथ सनन। मेला स्टोर के नाम से इस दुकान की अलग ही पहचान है। यह दुकान वरदान तो साबित हुआ ही दूर-दूर से लोग मेला स्टोर में आने लगे।
भागलपुर, जेएनएन। सिल्क नगरी में वेरायटी चौक चौक के पास 82 वर्ष पुरानी दुकान है मेला स्टोर। आज भी इस दुकान रौनक उतनी है, जितनी आजादी से पहले 1938 में थी। 'मेला स्टोर' के नाम से इस दुकान की अलग ही पहचान है। यह दुकान वरदान तो साबित हुआ ही दूर-दूर से लोग मेला स्टोर में आने लगे। आज भी हालात वैसा ही है। शहर के साथ-साथ दूर दराज के गांव से भी लोग इस दुकान में खरददारी करने आते हैं। यह दुकान कई की पहली पसंद है। आजादी से पहले की इस दुकान को खोलने के पीछे भी एक लंबी कहानी है। दरअसल, पंजाब के बटाला जिले के गुरुदासपुर से अयोध्यानाथ सनन अपने छोटे से परिवार के साथ भागलपुर आए थे। परिवार के साथ सिल्क नगरी आने के बाद रोजगार की तलाश में जुट गए। उस वक्त अंग्रेजों की हुकूमत थी। फिर उन्होंने आज वेरायटी चौक के नाम से प्रसिद्ध के पास जमीन लेकर एक दुकान खोल दी। इस दुकान का मेला स्टोर रखा। उस वक्त शहर में गिने चुने ही दुकानें थी। अयोध्यानाथ सनन ने सोच रखा था कि ऐसा दुकान हो जिसके छत के नीचे कॉस्मेटिक से लेकर घरेलू उपयोग की सामान उपलब्ध रहे। ग्राहकों को लौटना नहीं पड़े। सोच के अनुसार उन्होंने मेला स्टोर खोल दी। 2009 में इनका अयोध्यानाथ सनन चल बसे। इसके बाद बेटे दीपक सनन ने पिता की दी गई विरासत को संभाला और बढ़ाया। ग्राहकों के साथ बेहतर संबंध और तालमेल की वजह से मेला स्टोर की पहचान राज्य के अलावा पड़ोसी राज्य झारखंड तक है। इस लॉकडाउन के बाद भी ग्राहकों ने साथ नहीं छोड़ा। पुरानी और विश्वनीय दुकान ग्राहकों के दिलों में बसा है।लॉकडाउन में हर जगह कर्मियों को हटाया गया, लेकिन उन्होंने एक भी कर्मियों को बेरोजगार होने नहीं दिया। दुकानें बंद होने के बाद भी सभी को समय पर पारिश्रमिक का भुगतान किया गया।
बैलगाड़ी और ट्रेन के बाद अब चार चक्के वाले भी पहुंचते हैं
आजादी से पहले ट्रेनें चलती थी, लेकिन संख्या कम होने की वजह से कई जगहों से लोग हुजूम में बैलगाड़ी से सामान खरीदने पहुंचते थे। यहां से सामान लेकर ग्राहक देर रात तक अपने गांव घर पहुंचते थे। ज्यादातर लोग पैदल ही बाजार आना-जाना करते थे। आज लोग ट्रेन के साथ-साथ चार पहिया से खरीदारी करने पहुंचते हैं। बदलते समय के साथ-साथ कई बदलाव आया। सामान रखने ले लिए बनीं पुराने रैक को हटाकर नई डिजाइन में किया गया।
लौहार-हावड़ा ट्रेन से आते थे ग्राहक
मेला स्टोर के मालिक दीपक सनन बताते हैं कि पिता जी बराबर चर्चा करते थे 1943 के दौर में लौहार से पश्चिम बंगाल के बीच किऊल मेन लाइन से ट्रेन चलती थी। उस वक्त दुकानों की संख्या कम होने की वजह से ग्राहक इस ट्रेन से किऊल स्टेशन उतरने के बाद भागलपुर रूट पर चलने वाली दूसरी ट्रेन से खरीदारी करने आते थे।
वकालत करने के बाद संभाल रहे पुश्तैनी कारोबार, 20 हजार नियमित ग्राहक
दीपक सनन बताते हैं कि पिताजी की इच्छा थी कि दुकान चलाने के लिए पूरी तरह शिक्षित हो। दीपक सनन लॉ (वकालत) की पूरी पढ़ाई दुकान चलाते हुए पूरी की। इन्होंने बताया कि सफल कारोबारी बनने के लिए शिक्षित होना जरूरी है। दुकान पर कम पढ़े और ज्यादा पढ़े लिखे ग्राहक पहुंचते हैं। इसलिए पिताजी का पढ़ाई को लेकर पूरा फोकस था। ग्राहकों से बेहतर संबंध का ही नतीजा है कि आज कारोबार में किसी तरह की परेशानी नहीं हो रही है। व्यवसायी बताते हैं कि किसी तरह के व्यापार ग्राहकों की जरूरतों पर निर्भर रखता है। ग्राहकों को अपने जरूरत के हिसाब से ढालने के लिए खुद को भी उन्हीं की सोच की तरह बदलने की जरूरत है। बेहतर कारोबार के लिए बढिय़ा प्रोडक्ट का होना भी जरूरी है। अपने प्रोडक्ट अथवा सामानों की ब्रांडिंग खुद ही करनी होगी। झूठे वादों के साथ बेहतर कारोबार की परिकल्पना नहीं कर सकते। पुराने ग्राहक जो आपके साथ बंधे हुए हैं उनका भरोसा और साथ जितना आवश्यक है। इसलिए व्यापार में संयम और विश्वास का साथ होना अति आवश्यक हैं। तभी आप सफल व्यवसायी बन सकते हैं। व्यवसाय अथवा कारोबार को आगे चलाने के लिए ग्राहकों के साथ अच्छे रिश्ते और संबंध भी काफी मायने रखता है। आपका ग्राहकों के साथ व्यवहार जितना मधुर होगा उतना ही आप व्यवसाय में सफल हो सकेंगे।
उनकी समस्याएं को सुना और उसे निदान भी किया गया, इस काल में ग्राहकों के साथ रिश्ते और मजबूत हुए। आज दुकान पर न केवल पुराने ग्राहकों की आवाजाही बढ़ी है, बल्कि पुराने ग्राहक भी दुकान पहुंचकर सामानों की खरीदारी करते हैं और जरूरत पड़ी तो घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाती है।
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