तसर सिल्क की बंडी, लिनन का कुर्ता... चुनाव में चमकने को तैयार हैं ये नेता जी, रेशम नगरी पर लुटाएंगे 100 करोड़
Bihar Elections 2025 अबकी बार बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भागलपुरी सिल्क सभी राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं की शान बढ़ाएगा। चुनावी मौसम में नेताओं की पहली पसंद बने रेशमी सिल्क से 100 करोड़ के कारोबार की संभावना है। चुनावी सरगर्मी के बीच रेशम नगरी में बने लिनन का कुर्ता व सिल्क की बंडी में नेताओं की खासी दिलचस्पी है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। Bihar Elections 2025 आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 ने भागलपुर के कपड़ा उद्योग में नई जान डाल दी है। लिनन, खादी, रेशमी उत्पादों का मेल इस बार के चुनाव प्रचार की खास पहचान बनकर उभर रहा है। बुनकरों ने करघों से उम्मीदें जोड़ी हैं, दुकानदारों ने स्टाक बढ़ाया है और राजनीतिक गलियारों में भागलपुरी फैब्रिक फिर से चर्चा में है। चुनावी सरगर्मी बढ़ते ही राजनीतिक गलियारों में रेशमी कुर्ता, बंडी और गमछों की मांग तेज हो गई है।
चुनावी सीजन ने वस्त्र बाजार का मिजाज बदल दिया है। भागलपुर अब लिनन और रेशमी उत्पादों के सहारे चुनावी बाजार का नया केंद्र बन गया है। विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही शहर के करघों, पावरलूमों और थोक बाजारों में रौनक लौट आई है। बुनकरों को महीनों बाद बड़े आर्डर मिलने लगे हैं, वहीं अनुमान है कि चुनावी मौसम में अकेले भागलपुर से लिनन और रेशमी परिधानों का व्यापार 100 करोड़ रुपये के पार जा सकता है।
लिनन की ओर बढ़ा रुझान
कुर्ता के लिए लिनन फैब्रिक की ओर रुख है। नेता और उनके समर्थक पारंपरिक रेशमी पोशाकों के साथ सफेद व सस्ते लिनन कपड़ों को तरजीह दे रहे हैं। कुर्ता-पायजामा और गमछे की मांग में पिछले 20 दिनों में 60 से 70 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है। आए दिन राजनीतिक आयोजनों, पद यात्राओं और प्रचार अभियानों के लिए लिनन कुर्ते और भागलपुरी गमछे सबसे अधिक खरीदे जा रहे हैं। बढ़ती मांग ने बुनकरों को दोबारा संबल दिया है। चुनावी आर्डरों से करीब 10 हजार परिवारों को सीधे-सीधे काम मिल रहा है, जबकि बुनाई, रंगाई धागा कत्ताई, ट्रांसपोर्ट, प्रिंटिंग और सिलाई क्षेत्र को भी लाभ हो रहा है।
अंग वस्त्र की सबसे अधिक मांग
भागलपुरी अंग वस्त्र अपनी मुलायमता, बड़े आकार और सस्ती कीमत के कारण राजनीतिक कार्यकर्ताओं की पहली पसंद बना हुआ है। भागलपुरी गमछा एलर्जी रहित, धुलने में आसान और मौसम के अनुरूप होता है। यही वजह है कि यह नेता, समर्थक और ग्रामीण कार्यकर्ताओं से लेकर मंच संचालन करने वालों तक में लोकप्रिय है। अंग वस्त्र 120 से लेकर 400 रुपये में बिक रहे हैं। चंपानगर व नाथनगर क्षेत्र में रोजाना थोक बिक्री हो रही है।
चुनाव की आहट से बढ़ा व्यापार
सितंबर के पहले सप्ताह से आर्डर तेजी से आने शुरू हो गए। चुनावी मौसम उनके लिए दीपावली से भी बेहतर साबित होता है। जैसे-जैसे उम्मीदवारों की सूची तय होगी, कार्यकर्ता गमछा, बंडी, टोपी और कुर्ते की खरीदारी में जुटे हैं। अभी तक लिनन व सुती के साथ देशी तसर की बिक्री कुर्ता व शर्ट के लिए हो रही है। अंग वस्त्र के साथ मोदी व नेहरू बंडी के लिए सुती व सिल्क की काफी मांग है। पटना व दिल्ली से हमें पांच हजार पीस घिच्चा व कटिया रेशम के अंग वस्त्र का आर्डर मिला है। चौड़े बार्डर वाली साड़ी का भी आर्डर है। - भोला मंडल, लाेदीपुर के बुनकर
अमेरिका के 50 प्रतिशत टैरिफ से भागलपुर के कारोबार पर असर पड़ा है। लेकिन, चुनाव को लेकर बुनकर उम्मीद के साथ जुटे हैं। दोपट्टा, अंग वस्त्र, बंडी व कुर्ता की मांग बढ़ी है। रैलियों व सभाओं में उपयोग होने वाले पार्टियों के रंग के हिसाब से अंग वस्त्र व कुर्ता खरीद रहे हैं। कुछ पार्टियों ने अंग वस्त्र व बंडी का डिमांड किया है। लिनन व सिल्क के कपड़े अधिक आरामदायक हैं। पारंपरिक सिल्क का भी दबदबा कायम है। बंडी और सिल्क दुपट्टे यानि अंग वस्त्र जैसे कुछ चुनावी परिधान अब भी मांग में बने हुए हैं।- अलीम अंसारी, बुनकर नेता
चुनाव प्रचार में पहचान के तौर पर इस्तेमाल होने वाले गमछे, दुपट्टे और बंडी पर पार्टियों के रंगों की सिलाई या कढ़ाई कराने का भी चलन बढ़ा है। मंजूषा पेंटिंग वाला अंग वस्त्र इस बार प्रचलन में हैं। इसका आर्डर भी मिल रहा है।अभी 100-200 पीस अंग वस्त्र का आर्डर राज्य के विभिन्न जिलों के राजनीतिक पार्टियां दे रही है। प्रत्याशी की घोषणा व चुनाव प्रचार के लिए बड़ी सभाओं में कपड़े की मांग बढ़ेगी। चुनावी मांग ने बुनकरों में नई ऊर्जा भरी है।- जियाउर रहमान, बुनकर
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