Bihar Politics: सात दिनों से खाली पड़ा है जिला परिषद अध्यक्ष का पद, उपाध्यक्ष को नहीं मिला प्रभार
भागलपुर जिला परिषद में अध्यक्ष का पद खाली होने से उपाध्यक्ष को प्रभार नहीं मिला है। मिथुन कुमार के इस्तीफे के बाद, पंचायती राज विभाग चुनाव आयोग को सूच ...और पढ़ें

भागलपुर जिला परिषद अध्यक्ष मिथुन कुमार ने दे दिया है इस्तीफा। (जागरण)
जागरण संवाददाता, भागलपुर। पिछले सात दिनों से जिला परिषद अध्यक्ष का पद खाली है। जिला परिषद अध्यक्ष का पद खाली होने के बाद से उपाध्यक्ष को प्रभार नहीं मिला है।
इधर, जिला परिषद अध्यक्ष मिथुन कुमार से आठ दिन बीत जाने के बाद भी त्यागपत्र वापस नहीं लिया है। अब जिला पंचायती राज विभाग राज्य निर्वाचन आयोग को जिला परिषद अध्यक्ष का पद खाली होने की जानकारी और अध्यक्ष का चुनाव कराने से संबंधित पत्र भेजेगा।
फिलहाल अध्यक्ष पद को लेकर अनंत कुमार और विपिन मंडल आमने-सामने हैं। जिला परिषद में कई कार्य ठप पड़े हैं। पार्षदों में आक्रोश व्याप्त है। उम्मीद की जा रही है कि शुक्रवार को उपाध्यक्ष को अध्यक्ष का प्रभार मिल सकता है।
जिप उपाध्यक्ष प्रणव कुमार का कहना है कि शुक्रवार को जिलाधिकारी से मुलाकात करने के बाद आगे की रणनीति तय करेंगे।
जिला परिषद अध्यक्ष मिथुन कुमार ने विधायक बनने के बाद 27 नवंबर को त्यागपत्र दे दिया था। उनके त्यागपत्र के बाद उपाध्यक्ष को प्रभार मिलना था, लेकिन विभाग के स्तर बताया गया कि त्यागपत्र देने के बाद सात दिनों तक इंतजार किया जाता है। इसके पीछे तर्क है कि कहीं अध्यक्ष के द्वारा त्यागपत्र वापस तो नहीं ले लिया जाएगा।
उपाध्यक्ष को सात दिनों तक इंतजार करने के लिए कहा गया। बताया गया था कि त्यागपत्र के सातवें दिन राज्य निर्वाचन आयोग को अध्यक्ष पद खाली होने की सूचना भेजी जाएगी। वहीं, उपाध्यक्ष प्रणव कुमार अध्यक्ष पद का प्रभार ग्रहण करने के लिए पिछले सात दिनों से कक्ष में बैठ रहे हैं, लेकिन जिला पंचायती राज विभाग की ओर से कोई पदभार ग्रहण करने से संबंधित पत्र नहीं दिया जा रहा है।
सदस्य विपिन कुमार मंडल ने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान अध्यक्ष की कुर्सी खाली रही। उनके त्यागपत्र देने के बाद से अध्यक्ष का पद खाली है। ऐसे में जिला परिषद में नया कुछ नहीं हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि अध्यक्ष कोई भी बनें, विकास का कार्य जारी रहना चाहिए। दो महीने से अधिक समय से विकास का कार्य बाधित है।
एक वर्ष से भी कम समय बचा है। अगर कार्य शुरू नहीं हुआ तो विकास कार्यों पर असर पड़ेगा। जो कार्य हो चुका है, उसका भी भुगतान रुका हुआ है। जिला परिषद का कार्यकाल एक वर्ष से भी कम का समय बचा है। अध्यक्ष चुनाव को लेकर आचार संहिता लगने के बाद कामकाज नहीं हो पाएगा।

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