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    भागलपुर : ग्रामीणों ने बीईओ रेखा को सुनाई खरी-खोटी, फ‍िर बनाया बंधक, बीडीओ और दारोगा पहुंचे तो...

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By:
    Updated: Tue, 28 Jun 2022 07:54 AM (IST)

    भागलपुर सुल्तानगंज में ग्रामीणों ने बीईओ को बनाया बंधक। बच्चे के साथ मारपीट की जांच करने पहुंची विद्यालय थीं। बीडीओ और थानाध्यक्ष ने पहुंच ग्रामीणों को समझाकर मुक्त कराया। ग्रामीणों ने बीईओ को खूब खरी-खोटी सुनाई। बीडीओ और दारोगा ने मुक्‍त कराया।

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    भागलपुर : बीईओ रेखा भारती को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया।

    संवाद सूत्र, सुल्तानगंज (भागलपुर)। सुल्‍तानगंज प्रखंड क्षेत्र की भीरखुर्द पंचायत के मध्य विद्यालय उधाडीह स्कूल में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रेखा भारती को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया। बीईओ दो दिन पूर्व शिक्षक द्वारा पांचवी कक्षा के छात्र गुलशन कुमार के साथ मारपीट करने के मामले की जांच करने पहुंची थीं। सूचना मिलने पर प्रखंड विकास पदाधिकारी मनोज कुमार मुर्मू एवं थानाध्यक्ष लाल बहादुर स्कूल पहुंचे और ग्रामीणों को समझा-बुझाकर तीन घंटे बाद प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को मुक्त कराया। इस दौरान बीईओ को ग्रामीणों ने खुब खरी-खोटी सुनाई।

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    जांच के लिए प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के पहुंचने की खबर आग की तरह फैल गई। वह जैसे ही मध्य विद्यालय से मामले की जांच कर सड़क पार उच्चतर माध्यमिक विद्यालय परिसर में खड़ी अपनी गाड़ी तक पहुंचीं तो ग्रामीणों ने उन्हें वहीं रोक लिया। भीड़ में महिलाओं की संख्या सबसे अधिक थी। ग्रामीण बीईओ से सरपंच के आमरण अनशन में अबतक हुई कार्रवाई का लेखा-जोखा की मांग रहे थे। ग्रामीणों का आरोप था कि पिछले आठ दिनों से गांव के सरपंच अनशन पर बैठे हैं। ऐसे में उनकी मांगें अब तक पूरी क्यों नहीं की गईं। सरपंच उदित नारायण मंडल की मांग को ग्रामीण जायज ठहरा रहे थे।

    बच्चों को मानसिक रूप से प्रताडि़त करते हैं शिक्षक

    ग्रामीणों का आरोप था कि स्कूल में स्थानीय शिक्षकों द्वारा बच्चों को प्रताडि़त किया जाता है। बच्चों के साथ भेदभाव भी किया जाता है। शिक्षक पढ़ाने में कम और उपस्थिति दर्ज कर भागने में अधिक रहते हैं। ऐसे लापरवाह व उदासीन शिक्षकों को किसी भी कीमत पर स्कूल में नहीं रहने देंगे। पंचायत के सरपंच 20 जून से प्रखंड मुख्यालय के मुख्य गेट पर आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं, लेकिन पदाधिकारियों द्वारा अब तक किसी भी प्रकार का ठोस कदम नहीं उठाया गया है। हालांकि आठवें दिन कई राजनीतिक दल के लोगों ने सरपंच को समझाने-बुझाने का प्रयास किया, लेकिन सरपंच अपनी मांग पर अड़े हुए हैं।