Bhagalpur News: तारों के मकड़जाल से शहर को मिलेगी मुक्ति, बिजली विभाग करने जा रहा ये काम
भागलपुर शहर को तारों के मकड़जाल से मुक्ति मिलने वाली है। शहर में 355 किलोमीटर तक तारों को भूमिगत किया जाएगा। इस परियोजना से शहर की सुंदरता बढ़ेगी और शहरवासियों को सुरक्षित वातावरण मिलेगा। बिजली के तारों को भूमिगत करने से शहर में फैले तारों के जाल से निजात मिलेगी।

तारों के मकड़जाल से शहर को मिलेगी मुक्ति
जागरण संवाददाता, भागलपुर। भागलपुर शहर में 33 एवं 11 हजार वोल्ट तारों को अंडरग्राउंड करने की योजना बनाई गई है। इस परियोजना के तहत 355 किलोमीटर तारें अंडरग्राउंड बिछाई जाएंगी, जिसमें 178 किलोमीटर 33 हजार वोल्ट और 177 किलोमीटर 11 हजार वोल्ट तार शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, 16 किलोमीटर रेलवे क्रॉसिंग पर 33 हजार वोल्ट और 17 किलोमीटर 11 हजार वोल्ट तारों को अंडरग्राउंड किया जाएगा। इसके साथ ही, 30 किलोमीटर नेशनल हाइवे पर 33 हजार व 31 किलोमीटर 11 हजार वोल्ट तारों को भी अंडरग्राउंड किया जाएगा।
इस परियोजना पर कुल 301 करोड़ 58 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है। विद्युत विभाग का लक्ष्य है कि इस परियोजना को 2027 तक पूरा किया जाए।
विद्युत विभाग के अधिकारियों के अनुसार, 20 दिन पहले तारों को अंडरग्राउंड करने की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) मुख्यालय को भेजी जा चुकी है। भागलपुर, पटना, मुजफ्फरपुर, मुंगेर सहित राज्य के सभी नौ प्रमंडलीय शहरों में 33 हजार और 11 हजार वोल्ट तारों को अंडरग्राउंड करने की योजना है, जिसके लिए लगभग तीन हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
पटना में अंडरग्राउंड तार बिछाने के लिए डीपीआर को मंजूरी मिल चुकी है, जिसमें 550 करोड़ रुपये का खर्च होगा। भागलपुर में भी इस योजना की डीपीआर को मंजूरी मिलने की उम्मीद है, लेकिन विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण यह मामला रुका हुआ है।
अधिकारी ने बताया कि एलटी तारों को भी अंडरग्राउंड करने की योजना है, लेकिन पहले 33 और 11 हजार वोल्ट तारों को अंडरग्राउंड किया जाएगा। शहर में 750 बिजली खंभे और सड़क किनारे 4500 ट्रांसफार्मर लगे हुए हैं।
अंडरग्राउंड तारों के बिछने के बाद बिजली खंभे हटाए जाएंगे, जिससे सड़कों की चौड़ाई बढ़ेगी और यातायात व्यवस्था में सुधार होगा। साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के अभियंता ने बताया कि डीपीआर को मंजूरी मिलने के बाद इस योजना पर कार्य प्रारंभ किया जाएगा और इसे दो वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य है।
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