भागलपुर के तसर सिल्क की सुनहरी चमक ने डेनमार्क को खींचा, बुनकरों के लिए जगी नई आस
भागलपुर के तसर सिल्क की सुनहरी चमक ने डेनमार्क की एक कंपनी को आकर्षित किया है। कंपनी के प्रतिनिधिमंडल ने नाथनगर में बुनकरों से मिलकर सीधे व्यवसाय करने ...और पढ़ें
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डेनमार्क की आर्ट काइंड कंपनी का प्रतिनिधिमंडल। (जागरण)
जागरण संवाददाता, भागलपुर। सिल्क नगरी भागलपुर का तसर सिल्क आज भी अपनी विशिष्ट पहचान और वैश्विक मांग के कारण दुनिया भर में अपनी धाक जमाए हुए है।
प्राकृतिक सुनहरी चमक, मजबूत व हवादार बनावट, टिकाऊपन और इको-फ्रेंडली उत्पादन के लिए प्रसिद्ध तसर सिल्क भागलपुर का गौरव माना जाता है। तसर सिल्क की इसी प्राकृतिक सुनहरी आभा ने डेनमार्क की एक कंपनी को सिल्क सिटी भागलपुर तक खींच लाया।
डेनमार्क की आर्ट काइंड कंपनी का प्रतिनिधिमंडल पहले दिल्ली पहुंचा, जहां उन्हें भागलपुर सिल्क की विशेषताओं की जानकारी मिली। इसके बाद रविवार को प्रतिनिधिमंडल नाथनगर पहुंचा। यहां बुनकरों को लूम पर कपड़ा बुनते हुए देखा और सीधे बुनकरों से जुड़कर व्यवसाय करने का निर्णय लिया।
इससे भागलपुर को बड़े पैमाने पर ऑर्डर मिलने की संभावना प्रबल हो गई है। प्रतिनिधिमंडल भागलपुर से सिल्क के छह प्रकार के सैंपल अपने साथ ले गया है। साथ ही सैंपल के तौर पर प्रत्येक किस्म में 60-60 मीटर कपड़े का ऑर्डर भी दिया गया है।
यदि भविष्य में बड़े पैमाने पर ऑर्डर मिलता है तो इससे करीब 20 हजार बुनकरों के बंद पड़े हैंडलूम दोबारा चलने लगेंगे और बुनकरों को रोजगार मिलेगा।
डेनमार्क की कंपनी ने काम को सराहा
रविवार को नाथनगर स्थित रेशम बुनकर खादी ग्रामोद्योग संघ कार्यालय में डेनमार्क की आर्ट काइंड कंपनी की प्रतिनिधि अन्टोनिया क्लौडुए के नेतृत्व में आए दल ने हाथ से कते और हाथ से बुने रेशमी वस्त्रों को काफी सराहा। प्रतिनिधिमंडल ने तसर-तसर, तसर-कटिया, तसर-घिच्चा, कटिया-कटिया सहित अन्य किस्मों के कपड़ों में विशेष रुचि दिखाई।
कंपनी डेनमार्क में कपड़ा व्यापार से जुड़ी है और यदि भागलपुर से नियमित आपूर्ति होती है तो इससे स्थानीय बुनकरों का आर्थिक उत्थान संभव है।
संघ के संयोजक अलीम अंसारी ने बताया कि फिलहाल सैंपल ऑर्डर दिया गया है, लेकिन आने वाले दिनों में भागलपुरी सिल्क को अच्छी मात्रा में ऑर्डर मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में सिल्क वस्त्रों की मांग लगातार बढ़ रही है।
प्रधानमंत्री द्वारा स्वदेशी अपनाने के आह्वान के बाद विदेशी बाजारों में भी भारतीय हथकरघा और रेशमी वस्त्रों की अहमियत बढ़ी है।
उन्होंने हवाई सेवा के अभाव को बुनकरों के लिए बड़ी समस्या बताया। हवाई सुविधा नहीं होने के कारण बड़े सिल्क ऑर्डर बेंगलुरु, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों से एक्सपोर्ट होते हैं।
इससे भागलपुर के बुनकरों को समय पर उचित मूल्य नहीं मिल पाता। यदि राज्य सरकार शीघ्र भागलपुर हवाई अड्डे की शुरुआत कर दे, तो यहां के बुनकरों को बड़े पैमाने पर रोजगार और सीधा लाभ मिल सकता है।

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