क्या है 'सखी', जिसे BCE के स्टूडेंट्स ने बनाया; माहवारी समस्याओं में महिलाओं की करेगा मदद
भागलपुर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (BCE) के छात्रों ने 'सखी' नामक एक प्लेटफॉर्म बनाया है। यह महिलाओं को उनकी माहवारी से जुड़ी समस्याओं में मदद करेगा और सही ...और पढ़ें
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सखी टीम को पुरस्कृत करते कालेज के प्राचार्य। फोटो जागरण
ललन तिवारी, भागलपुर। माहवारी के दौरान होने वाली पीड़ा, असहजता और सुरक्षित उत्पादों की कमी अब भी बड़ी चुनौती है। देश में लगभग 36% महिलाएं रासायनिक तत्वों वाले पैड का इस्तेमाल करती हैं, जिससे गर्भाशय कैंसर का जोखिम बढ़ता है।
वहीं इन पैडों का अपघटन न होने से पर्यावरण पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है। इसी वास्तविक समस्या का समाधान तलाशते हुए भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज (बीसीई) के छात्रों ने एक उपयोगी और प्रभावशाली इनोवेशन तैयार किया है-‘सखी’, एक पर्सनलाइज्ड मेंस्ट्रुअल केयर किट।
कालेज के स्टार्टअप सेल ने इसे चयनित कर उद्योग विभाग को भेज दिया है। औपचारिक स्वीकृति मिलने पर स्टार्टअप को फंडिंग उपलब्ध होगी और बड़े पैमाने पर उत्पादन व वितरण शुरू किए जाएंगे।
क्या है ‘सखी’, कैसे करेगी मदद
‘सखी’ स्टार्टअप के संस्थापक हर्ष कुमार, सह-संस्थापक स्नेहलता कुमारी और प्रबंध निदेशक शिवानी कुमारी के अनुसार, इस किट में माहवारी के दौरान महिलाओं की सम्पूर्ण जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सामग्री शामिल की गई है।

इसमें केले के रेशे या बांस फाइबर से बने बायोडिग्रेडेबल पैड, हॉट वॉटर बैग, हैंड सैनिटाइजर, डिस्पोजल बैग, चॉकलेट और 24×7 मेडिकल सपोर्ट की सुविधा होगी। इन इको-फ्रेंडली पैडों की खासियत है कि ये सिर्फ तीन महीनों में पूरी तरह डिकंपोज हो जाते हैं, जिससे स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों सुरक्षित रहते हैं।
सिर्फ स्टार्टअप नहीं, एक सामाजिक बदलाव
‘सखी’ का उद्देश्य केवल व्यवसाय नहीं, बल्कि मेनस्ट्रुअल हेल्थ में नए मानक स्थापित करना है। बीसीई के युवा इंजीनियरों का यह प्रयास दर्शाता है कि नवाचार प्रयोगशालाओं के बाहर निकलकर समाज में वास्तविक परिवर्तन ला सकता है और महिलाओं के स्वास्थ्य, सम्मान और सुविधा को नया आयाम दे सकता है।

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