Bhagalpur News: मियाद पूरी, तीन वर्ष बाद भी सम्राट अशोक भवन अधूरा, पोर्टिको विवाद में उलझा रहा निर्माण कार्य
भागलपुर में सम्राट अशोक भवन का निर्माण अब तक अधूरा है। जबकि निर्माण के लिए समय सीमा समाप्त कर दिया गया है। प्रथम तल का तकनीकी पेंच से लंबित। 89 लाख की लागत से वर्ष 2018 में हुई थी निविदा एक वर्ष में करना था पूरा।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। शहर की विकास योजनाएं कभी विवादों में तो कभी तकनीकी कारणों से लंबित होती जा रही है। ऐसे में मियाद पूरी होने के तीन से चार वर्षों बाद भी पूरा नहीं हो पाता है। जिस संस्थान को योजनाओं की निगरानी करना है उस नगर निगम प्रशासन के नाक नीचे ही विकास कार्यों की धीमी चाल है। इससे शहर के विकास कार्यों का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। दरअसल निगम कार्यालय परिसर में 89 लाख रुपये की लागत से सम्र्राट अशोक भवन निर्माण जा रहा है। इसकी निविदा वर्ष 2018 में हुई और 12 माह में कार्य पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। लेकिन अब तक ग्राउंड तल के भवन का कार्य अंतिम चरण में है। जबकि प्रथम तल पर अतिथि कक्ष व गार्ड कक्ष का निर्माण भी शुरू नहीं हुआ है। अब भी 30 फीसद कार्य अधूरा है। इसके बदले निगम प्रशासन ने 65 लाख रुपये का अब तक संवेदक को भुगतान कर दिया।
कार्यक्रम व बैठक को आधुनिक भवन
सम्राट अशोक भवन के ग्राउंड तल में 400 लोगों के बैठेने की सुविधा मिलेगी। इसके लिए 12 मीटर चौड़ाई व 20 मीटर लंबाई में सभागार बनाया गया है। इसमें भव्य मंच बनाया गया है। शौचालय व अतिथि के बैठने की व्यवस्था है। वहीं प्रथम तल पर अतिथि के विश्राम के लिए कमरा व गार्ड कक्ष के साथ शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है।
भवन निर्माण को लेकर होता रहा विवाद
निवादा करने के करीब एक वर्ष बाद मार्च 2019 में संवेदक को वर्क आर्डर दिया। इस बीच निगम प्रशासन को भवन निर्माण के लिए स्थान चिन्हित करने में छह माह का समय लगा दिया। जब कार्य शुरू हुआ तो मेयर ने कार्य की गुणवत्ता को लेकर जांच की मांग की दी। दरअसल भवन का पोर्टिको पूर्वी दिशा में बनना था। जमीन अभाव वे सड़क आने की वजह से निगम के अभियंता ने उत्तर दिशा में कर दिया। इस मामले की जिला प्रशासन की टीम ने जांच किया था और बिना अनुमति के डिजाइन बदलने पर सवाल खड़े हुए थे। इसके बाद आनन-फानन में तत्कालीन नगर आयुक्त श्याम बिहारी मीणा ने मुख्य अभियंता से 2019 में डिजाइन पर अनुमोदन लेकर कार्य शुरू किया। अब मामला प्राक्कलन के पुर्ननिर्धारण में उलक्ष गया है। संवेदक से डिजाइन के अनुसार कार्य कराया। जबकि प्राक्कलन और डिजाइन के स्टीमेंट मिलान करने पर 20 टन छड़ का अंतर आ गया। निगम अभियंता ने संशोधित प्राक्कलन तैयार नहीं किया और ना ही मुख्य अभियंता को भेजा गया।
प्रथम तल का कार्य होना है। भवन के प्राक्कलन में 20 टन छड़ के मामले का इंजीनियर आंकलन कर रहे हैं। इसके अनुमोदन को विभाग भेजा जाएगा। मई में कार्य पूरा करने का निर्देश दिया है।- प्रफुल्ल चंद्र यादव, प्रभारी नगर आयुक्त

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