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    भागलपुर में टिकट की दौड़ तेज: नेताओं की कतार पहुंची पटना, CM को बायोडाटा सौंपकर जताई चुनावी तैयारी

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 02:43 AM (IST)

    बिहार विधानसभा चुनाव के नज़दीक आते ही भागलपुर में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। टिकट पाने की दौड़ में नेता सक्रिय हो गए हैं। जिलाध्यक्ष समेत कई नेताओं ने मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी दावेदारी पेश की और बायोडाटा सौंपा। सीटों पर पुराने और नए चेहरों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा है और टिकट के लिए खींचतान तेज हो गई है। जातीय समीकरणों का भी असर देखने को मिलेगा।

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    भागलपुर से पटना तक टिकट यात्रा, बोयाडाटा के सहारे चुनावी दस्तक। फोटो जागरण

    जागरण संवाददाता, भागलपुर। बिहार विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। भागलपुर में चुनावी बिसात पर दावेदारी को लेकर नेताओं ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है।

    अब हर कदम पर टिकट की दौड़ साफ नजर आने लगी है। इसका ताजा उदाहरण तब दिखा जब भागलपुर से जिलाध्यक्ष सहित दर्जन भर नेता विभिन्न विधानसभा क्षेत्र से अपनी दावेदारी को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने शुक्रवार को पटना पहुंचे।

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    मुख्यमंत्री से मुलाकात औपचारिक कही गई, लेकिन यह पूरी तरह चुनावी रंग में रंगी दिखी। परंपरा के अनुसार त्योहार के बाद मुख्यमंत्री पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं से मिलते हैं।

    इस बार भी वही सिलसिला रहा, लेकिन मुलाकात का मकसद अलग था। भागलपुर से पहुंचे नेताओं ने भेंट के साथ-साथ अपना बायोडाटा भी सौंपा और साफ कर दिया कि वे आगामी चुनाव में मैदान में उतरने को तैयार हैं।

    जिले की सीटों पर इस बार जबरदस्त प्रतिस्पर्धा है। पुराने चेहरों के साथ नए लोग भी अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। संगठन स्तर पर सक्रियता बढ़ाकर और शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच बनाकर उम्मीदवार टिकट सुनिश्चित करना चाहते हैं।

    यही वजह है कि मुख्यमंत्री से हुई औपचारिक मुलाकात टिकट की राजनीति का हिस्सा बन गई। मुलाकात करने वालों में अलग-अलग पृष्ठभूमि के लोग शामिल थे।

    इनमें पार्टी संगठन से जुड़े सक्रिय कार्यकर्ता, समाजसेवा के नाम पर पहचान बनाने वाले चेहरे और ऐसे लोग भी थे जो लंबे समय से राजनीति में भले सक्रिय न रहे हों, लेकिन अब चुनावी तैयारी कर चुके हैं।

    इसी बीच, अंदरखाने खींचतान भी तेज हो गई है। कई सीटों पर पुराने और नए चेहरों के बीच संघर्ष की स्थिति बन रही है। कई वर्तमान पदाधिकारी खुद को दोबारा उम्मीदवार के तौर पर स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं नए चेहरे यह जताने में लगे हैं कि जनता बदलाव चाहती है।

    यही वजह है कि टिकट को लेकर होड़ अब और ज्यादा गरमाती जा रही है। वैसे जिले की राजनीति हमेशा से राज्य की चुनावी दिशा तय करने में अहम रही है। यहां जातीय और स्थानीय समीकरण टिकट वितरण में बड़ा असर डालते हैं।

    ऐसे में मुख्यमंत्री से हुई यह मुलाकात यह संकेत देती है कि दावेदार अब खुलकर सामने आ रहे हैं और यह सिलसिला चुनाव की घोषणा तक लगातार जारी रहेगा।

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