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    नवगछिया में सातवीं की छात्रा को कराया 100 उठक-बैठक; बेहोश होकर गिरी, आवाज भी गुम

    Updated: Fri, 12 Dec 2025 05:07 AM (IST)

    बिहार के नवगछिया में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहाँ एक सातवीं कक्षा की छात्रा को 100 उठक-बैठक लगाने की सजा दी गई। सजा के बाद छात्रा बेहोश हो ग ...और पढ़ें

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    दादी के साथ अस्पताल में पीड़ित छात्रा प्रीति कुमारी। फोटो जागरण

    संवाद सहयोगी, नवगछिया। गोपालपुर प्रखंड के आदर्श मध्य विद्यालय धरहरा में एक छात्रा को मामूली गलती पर 100 बार दंड बैठक कराने का मामला सामने आया है। सजा पूरी करते-करते छात्रा बेहोश हो गई, उसकी आवाज चली गई और हालत बिगड़ने लगी, लेकिन इसके बाद भी स्कूल प्रशासन ने गंभीरता नहीं दिखाई। मामले को लेकर परिजनों में गहरा आक्रोश है और आरोपी शिक्षक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है।

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    क्या है पूरा मामला?

    मिली जानकारी के अनुसार, गुरुवार को दोपहर करीब 12 बजे कक्षा-7 की छात्रा प्रीति कुमारी (11 वर्ष), पिता—सूरज भगत, निवासी—लत्तीपुर, गोपालपुर को उसके सहपाठी के साथ बातचीत करने पर शिक्षक गौरव कुमार ने 100 बार दंड बैठक की सजा दे दी।

    अत्यधिक शारीरिक थकावट के कारण छात्रा वहीं बेहोश होकर गिर पड़ी। बेहोश होने पर महिला शिक्षक शशिकला देवी ने छात्रा के परिजनों को फोन कर कहा- “अपने बच्चे को ले जाइए, बेहोश हो गई है।” स्कूल प्रशासन की लापरवाही का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बेहोश बच्ची को प्राथमिक उपचार तक नहीं दिया गया।

    अस्पताल ले जाने पर बिगड़ती गई हालत

    परिजन आनन-फानन में प्रीति को नवगछिया अनुमंडल अस्पताल लेकर पहुंचे। वहाँ डॉक्टरों ने प्राथमिक इलाज के बाद दवाई दी, लेकिन बच्ची की हालत में सुधार न होने पर उसे तुरंत मायागंज अस्पताल, भागलपुर रेफर कर दिया गया। डॉक्टरों के अनुसार बच्ची कमजोर थी और अत्यधिक शारीरिक दंड के कारण उसके शरीर में तेज दर्द, थकावट और अस्थायी रूप से आवाज बंद होने जैसे लक्षण दिखाई दिए।

    परिजनों का आरोप- “इतनी क्रूर सजा कैसे दे दी?” : पीड़ित के पिता सूरज भगत ने कहा कि दो बच्चों के बात करने पर ऐसी सजा देना अमानवीय है। उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षक खुद स्कूल समय में मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं और बच्चों को ही प्रताड़ित किया जाता है। परिजनों ने कहा- “हमारी बच्ची इतनी सहम गई है कि कुछ बोल भी नहीं पा रही। क्या बच्चों को पढ़ाने का यही तरीका है?”

    गांव में आक्रोश, कार्रवाई की तैयारी

    घटना के बाद इलाके में शिक्षकों के रवैये को लेकर भारी नाराज़गी है। ग्रामीणों का कहना है कि स्कूलों में इस तरह के शारीरिक दंड पर प्रतिबंध होने के बावजूद शिक्षक मनमर्जी से हिंसक दंड देते हैं। लोग शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन से आरोपी शिक्षक गौरव कुमार के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

    स्कूल प्रशासन चुप, अभिभावकों में आक्रोश बढ़ा

    घटना के बाद स्कूल प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है। वहीं परिजन जिला शिक्षा पदाधिकारी से शिकायत दर्ज कराने की तैयारी में हैं।