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    नौकरी से उद्योग तक का सफर, युवाओं की प्रेरणा बने जयकांत; फुटवियर से कर रहे सालाना 6 करोड़ का कारोबार

    Updated: Mon, 18 Aug 2025 02:36 PM (IST)

    भागलपुर के जयकांत जिन्होंने मर्चेंट नेवी की नौकरी छोड़कर जूता-चप्पल निर्माण का उद्योग शुरू किया आज युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। बियाडा परिसर में स्थापित उनकी फैक्ट्री में बने उत्पाद बिहार के साथ देश-विदेश में भी सप्लाई हो रहे हैं। 2018 से इस कारोबार में उतरे जयकांत ने बाजार की मांग को समझा और सालाना छह करोड़ का टर्नओवर हासिल किया।

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    नौकरी से उद्योग तक का सफर, युवाओं की प्रेरणा बने जयकांत

    परिमल सिंह, भागलपुर। संकल्प यदि मजबूत हो तो कोई सपना अधूरा नहीं रहता। बरारी संतनगर निवासी जयकांत इसकी जीवंत मिसाल हैं। कभी मर्चेंट नेवी की नौकरी करने वाले जयकांत ने सुरक्षित करियर छोड़कर उद्योग जगत में कदम रखा और आज वे न सिर्फ भागलपुर, बल्कि पूरे क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए हैं।

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    बियाडा परिसर में उन्होंने जूता-चप्पल निर्माण की फैक्ट्री स्थापित की। छोटे स्तर से शुरुआत हुई थी, लेकिन गुणवत्ता और कड़ी मेहनत के दम पर यह उद्योग देखते-ही-देखते बड़ा कारोबार बन गया। आज उनके बनाए जूते-चप्पल की सप्लाई न केवल बिहार, बल्कि देश-विदेश में हो रही है।

    दरअसल, उनके पिता अशोक कुमार रजक का खुद का लांड्री और राशन की दुकान का कारोबार था। जयकांत बताते हैं कि बचपन से ही उन्होंने व्यवसाय का माहौल देखा था। नौकरी का बंधन उन्हें रास नहीं आया और इसलिए खुद का उद्योग स्थापित किया।

    सालाना छह करोड़ से अधिक का कारोबार:

    वर्ष 2018 से फुटवियर कारोबार में उतरने के बाद जयकांत ने बाजार की जरूरतों को समझा और कारोबार का विस्तार किया। इसके लिए वे कोलकाता गए और वहां के व्यवसायियों से प्रशिक्षण व अनुभव हासिल किया। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज भागलपुर में तैयार रबर फ्लेक्स चप्पल, सैंडल और हवाई चप्पल की सप्लाई असम, नदिया (प. बंगाल) और पड़ोसी देश नेपाल तक हो रही है।

    चप्पलों की मांग इतनी बढ़ गई है कि फैक्ट्री का सालाना टर्नओवर छह करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यहां बनने वाली रबर फ्लेक्स चप्पल 65 से 150 रुपये, सैंडल 50 से 500 रुपये, हवाई चप्पल 18 से 100 रुपये तक मिलती है। खास बात यह है कि यहां 40 रुपये में 11 सौ रुपये तक लेडिज सैंडल तैयार हो रही है।

    100 से अधिक लोगों को दे रहे रोजगार

    जयकांत की सफलता का सबसे बड़ा लाभ स्थानीय लोगों को मिला है। उनकी फैक्ट्री में आज 100 से अधिक युवक-युवतियां काम कर रहे हैं। कई ग्रामीण परिवार, जिनके पास पहले रोजगार का साधन नहीं था, अब इस उद्योग से अपनी आजीविका चला रहे हैं।

    बेस्ट मैनेजमेंट क्लस्टर भविष्य की योजना

    अब जयकांत एक महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रहे हैं। बौसी क्षेत्र में करीब तीन एकड़ भूमि पर वे बेस्ट मैनेजमेंट क्लस्टर स्थापित करने जा रहे हैं। यहां जिलेभर से प्लास्टिक और रबर संबंधी कचरे को एकत्र कर उसका प्रोसेसिंग किया जाएगा। और उससे नई उपयोगी सामग्री तैयार होगी।

    जयकांत का कहना है कि नौकरी जीवन का आखिरी विकल्प नहीं है। यदि युवा मेहनत और लगन से काम करें तो वे खुद का उद्योग खड़ा कर सकते हैं। वह आगे उद्यमियों को मदद करना चाहते हैं।