यादें-इरादें : दानवीर कर्ण की नगरी है भागलपुर
अंग प्रदेश की प्रथम चर्चा अथर्ववेद में मिलती है। यहां गैर आर्य जातियों के निवास को स्वीकारा जाता है।
अंग प्रदेश की प्रथम चर्चा अथर्ववेद में मिलती है। यहां गैर आर्य जातियों के निवास को स्वीकारा जाता है। अंग नाम के पीछे भी किवदंती है। जिसके अनुसार यहां के शासकों के अंग बहुत सुंदर होते थे। बौद्धों के अनुसार अपने शरीर की सुंदरता के कारण ये लोग अपने को अंग कहते थे। महाभारत में अंग के लोगों को सुजाति या अच्छे वंश का बताया गया है। इसलिए इस क्षेत्र का नाम अंग पड़ गया। प्रारंभ में अंग प्रदेश की राजधानी मालिनी थी। बाद में उसका नाम चंपा या चंपावती हो गया। यह नाम यहां के राजा अथवा नदी के नाम पर पड़ा। प्रसिद्ध चीनी यात्री (बौद्ध) ह्वेनसांग (युवान-युआंग) इस जगह को चेन-पो अर्थात चम्पा कहता था। नगर के अन्य नाम मालिनी और काल चंपा भी थे। अलेक्जेंडर कनिंघम के मुताबिक भागलपुर के निकट स्थित चंपानगर और चम्पापुर नामक दो ग्राम प्राचीन चंपा के अवशेष हैं। देश के छह प्रधान नगरों में चंपा की गणना की जाती थी। इस स्थान ने अपने धन, वैभव व व्यापार के कारण ख्याति प्राप्त की थी।
प्रारंभ से लेकर अंग क्षेत्र पर मगध शासक बिम्बिसार के विजय तक के इतिहास को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। तितुक्षी यहां का पहला आर्य राजा था। इनके बाद यहां 25 आर्य राजा हुए। इसी कड़ी में महाभारतकालीन राजा कर्ण का नाम याद आता है, जिसकी चर्चा महाभारत में दानवीर अंग राजा के रूप में की गई है। महाभारत के युद्ध के पश्चात अंग और मगध के बीच लगातार संघर्ष होता रहा। विदुर पंडित जातक के अनुसार कभी मगध भी अंग राज्य के अधीन था। अंग के अंतिम तीन राजाओं के बारे में जानकारी मिली है। दधिवाहन पहले राजा थे। जिनकी बेटी चंदना महावीर के धर्म को स्वीकार करने वाली महिला शिष्या थी। इसके समय में कौशाम्बी के वत्स राजा शतनीक ने चम्पा पर आक्रमण किया। दूसरे राजा द्रधवर्मन ने अपनी पुत्री का विवाह मगध राजा उदयन के साथ किया, जिसने पाटलिपुत्र शहर को बसाया। ब्रह्मदत्त इस वंश के अंतिम राजा थे। इसी समय मगध के राजा बिम्बिसार ने अंग पर आक्रमण कर इसे अपने साम्राज्य में मिला लिया। अंग प्रदेश के प्रमुख शहरों में चम्पा, भद्दया या भदरिया, अस्सपुर व आषण शामिल थे। भदरिया में बुद्ध का आगमन हुआ था।
- डॉ. रविशंकर कुमार चौधरी, इतिहासकार
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