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    घटोरा वेटलैंड बना विदेशी परिंदों का ठिकाना, यूरोप-मध्य एशिया से आए दर्जनों पक्षी

    Updated: Thu, 11 Dec 2025 06:20 AM (IST)

    भागलपुर के घटोरा वेटलैंड में यूरोप और मध्य एशिया से दर्जनों विदेशी पक्षी पहुंचे हैं, जिससे यह क्षेत्र प्रवासी परिंदों का ठिकाना बन गया है। यह वेटलैंड ...और पढ़ें

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    घटोरा वेटलैंड में पक्षीविद दीपक व पीओजी को सम्मानित करते अजय। फोटो जागरण

    मिथिलेश कुमार, बिहपुर। सोनवर्षा का घटोरा वेटलैंड समेत गंगा दियारा इन दिनों यूरोपियन व मध्य एशिया समेत करीब 12 देशों के पक्षियों का बसेरा बना हुआ है। मंगलवार को बिहार एशियन जल पक्षी गणना समन्यक (एडब्लूएस) दीपक कुमार झून्नू व पोस्ट आफिस जनरल मनोज कुमार यहां पहुंचे। बाइक के बाद फिर पैदल व नाव से पूरे वेटलैंड का मुआयना किया।

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    पीओजी मनोज कुमार ने इस क्षेत्र को जैव विविधताओं से समृद्ध बताया। मौके पर सोनवर्षा पंचायत की मुखिया नीनारानी व ग्रामीण अजय उर्फ लाली कुंवर ने पूरे क्षेत्र की ओर से दोनों अधिकारियों को दियारा में सम्मानित भी किया।

    मौके पर पंसस प्रतिनिधि राजीव उर्फ नूनू चौधरी, उपमुखिया राहुल कुमार व शिवशंकर चौधरी समेत कई किसान व ग्रामीण भी मौजूद थे। मौके पर एडब्लूएस ने बताया कि मंगलवार को यहां यूरोपियन व मध्य एशिया समेत करीब 12 देशों चीन, मंगोलिया, तजाकिस्तान, कजाकिस्तान, अजरबैजान के कुल 46 प्रजातियों के पक्षी मिले।

    उन्होंने बताया कि यह वेटलैंड सर्दियों के मौसम में इसलिए भाता है क्योंकि यह क्षेत्र विशाल है। दियारा में खेती योग्य भूमि व जलधारा होने के कारण देसी व विदेशी पक्षियों के लिए उत्तम नहीं सर्वोत्तम वातावरण है। ये पक्षी जलीय वनस्पति को बड़े चाव से खाते हैं।

    ये पक्षियां गेहूं के पौधे का ऊपरी हिस्सा खा लेता है, तब पौधे के चार नए सिरे निकल आते हैं

    Ghatora Wetland

    एडब्लूएस ने कहा कि इस महीने में यहां होने वाली गेंहू की बुआई के बाद निकलने वाले पौधे का ऊपरी सिरा ये पक्षी खाते हैं। जो किसानों के लिए फायदेमंद हो जाता है। दीपक कुमार ने कहा कि ऊपरी खाने के बाद उक्त पौधे के चार नए सिरे और निकलते हैं। इन पक्षियों का मल खेतों की उर्वरा के लिए काफी सहायक हैं। बीते दिनों घटोरा वेटलैंड में भागलपुर जिले का पक्षी का पहला जीपीएस टैगिंग अभियान चला।

    बिहार में पक्षी का जीपीएस टैगिंग प्रवासी पक्षी अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। बर्ड रिंगिंग एंड मानिटरिंग स्टेशन भागलपुर जो पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार व बीएनएचएस का संयुक्त उपक्रम है। एक मादा ग्रेलैग गूज़ को जीपीएस-जीसीएम टैग किया। ताकि उसके प्रवासी मार्ग का अध्ययन किया जा सके। भागलपुर ज़िले में किसी भी पक्षी का पहला जीपीएस टैगिंग अभियान है जो बिहार में प्रवासी पक्षी शोध के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

    दो दिन पहले घटोरा में मिले इन प्रजातियों के पक्षी

    एडब्लूएस दीपक कुमार झून्नू के नौ दिसंबर को छोटी सीटी बजाने वाली बत्तख, ग्रेलैग गूज़, रूडी शेल्डक, गर्गनी, गैडवाल, यूरेशियाई कबूतर, उत्तरी पिंटेल, लाल-कलगी वाला पोचार्ड, ग्रे फ्रेंकोलिन, यूरेशियन कालर-कबूतर, यूरेशियन कूट, धूसर सिर वाला दलदली फ़ेन, वाटरकाक, नाजुक प्रिनिया, सादा प्रिनिया, ज़िटिंग सिस्टिकोला, धारीदार घासपक्षी, चेस्टनट-टेल्ड स्टार्लिंग, ब्लैक हेडेड आइविस, ग्रेट इग्रेट, ग्रे बगुला, आम किंगफिशर, सफेद गले वाला किंगफिशर, चितकबरा किंगफिशर, हाउस क्रो, बंगाल बुशलार्क, सामान्य टेलरबर्ड आदि पक्षी इस वेटलैंड में मिले थे।