Bhagalpur News: घर-घर पहुंचेगा गंगा का पानी, शहर के हजारों लोगों का एक दशक का सपना होने जा रहा साकार
भागलपुर के शहरी क्षेत्र में गंगा के पानी की आपूर्ति का 10 साल का इंतजार अब खत्म हो गया है। बरारी वाटर वर्क्स में नए प्लांट का ट्रायल शुरू हो गया है। यहाँ गंगा के पानी का शोधन कर शहर के 81 हजार घरों में आपूर्ति की जाएगी। जुलाई के अंतिम सप्ताह तक उद्घाटन की तैयारी है। जलशोधन प्लांट ऑटोमैटिक होगा और इसमें चूना व ब्लीचिंग का इस्तेमाल नहीं होगा।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। शहरी क्षेत्र के घरों में गंगा के पानी की आपूर्ति को लेकर 10 वर्षों का लंबा इंतजार अब समाप्त हो गया। मंगलवार को बरारी वाटर वर्क्स में तैयार नए प्लांट का ट्रायल एंड रन शुरू हो चुका है। यहां गंगा के पानी का शोधन कर शहर के 81 हजार घरों की पांच लाख आबादी निर्बाध आपूर्ति की जााएगी।
जुलाई के अंतिम सप्ताह तक उद्घाटन की तैयारी है। जलशोधन प्लांट पूरी तरह से ऑटोमैटिक संचालित होगा। बरारी स्थित हाउसिंग बोर्ड कालोनी में बने जलमीनार में पानी की आपूर्ति कर पाइपलाइन की सफाई की जा रही है। चार दिनों तक आपूर्ति कर देखा जाएगा कि पाइप में कोई लीकेज की समस्या तो नहीं है।
तीन दिन बाद जलमीनार में पीने योग्य पानी के भंडारण की तैयारी है। मंगलवार को जलशोधन प्लांट के ट्रायल को लेकर वीए टेक एवं वेवाग कंपनी ने विधि-विधान से पूजन-अर्चना की। इस दौरान बुडको जलापूर्ति योजना के परियोजना निदेशक अखिलेश प्रसाद व निर्माण कंपनी के लोग मौजूद थे। परियोजना निदेशक ने बताया कि यहां लैब की व्यवस्था है। जांच में पानी की गुणवत्ता मानक पर खरा उतरा है।
चूना व ब्लीचिंग का नहीं होगा इस्तेमाल:
कैमिकल ट्रीटमेंट का ट्रायल भी मंगलवार को किया गया। आधुनिक प्लांट में परंपरागत नहीं बल्कि नई तकनीकी से शोधन होगा। इसमें चूना व ब्लीचिंग का उपयोग नहीं किया जाएगा। सिर्फ एलएम पाली यानि फिटकरी क्लोरिन का शोधन में उपयोग होगा। रेपिड ग्रेविटी फिल्टर बेड तकनीक के तहत पानी का ट्रीटमेंट होगा।
जिससे लोगों को नेच्यूरल पानी मिलेगा। इस तकनीक के तहत राव वाटर झरने की तरह बेड में गिरकर जमा होगा। बेड में ग्रेबुल व बालू डाला गया है। यहां से पानी स्टोरेज टंकी में जाएगा। टैंक में जमी गाद को ईंट निर्माण में इस्तेमाल किया जाएगा।
स्काडा सिस्टम से फायदे
स्काडा यानि सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एजक्यूजिटव सिस्टम से सबसे पहले पानी की गुणवत्ता में सुधार होगा। स्वचालित प्रक्रिया में अशुद्धियों को दूर करने के लिए अधिक सटीक और प्रभावी तरीके से काम किया जाएगा। दूसरा, यह प्लांट अधिक कुशल होगा, जिससे पानी की बर्बादी कम होगी और पानी का वितरण भी बेहतर होगा।
ऑटोमैटिक सिस्टम से प्लांट संचालित होगा। इसके लिए कंट्रोल कक्ष बनाया गया है। प्लांट के सभी मोटर पंप कंट्रोल केंद्र से ऑटोमैटिक चालू व बंद होंगे। ज्यादा पानी की आवश्यकता होगी तो सेंसर ऑटोमैटिक दो से चार पंप को चलाएगा। कैमिकल भी ऑटोमैटिक डाला जाएगा। यह प्लांट न केवल भागलपुर के निवासियों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराएगा, बल्कि जल प्रबंधन को भी बेहतर बनाएगा।
दक्षिणी क्षेत्र में जलापूर्ति में चार महीने और लगेंगे
शहर के दक्षिणी क्षेत्र में जलापूर्ति को लेकर अभी बाधा है। दो वर्ष पूर्व भीखनपुर से इशाकचक मार्ग के बीच मुख्य जलापूर्ति पाइप बिछाया गया था। अब उक्त मार्ग पर फ्लाईओवर का निर्माण चल रहा है। इस दौरान पाइप क्षतिग्रस्त हो गया। इसे दुरुस्त करने के लिए बुडको ने पुल निर्माण विभाग को क्षतिपूर्ति की 2.5 करोड़ रुपये की मांग की। भुगतान की कवायद शुरू हो चुकी है। चार माह में पाइप बिछाने के बाद दक्षिणी क्षेत्र में जलापूर्ति शुरू हो जाएगी। जिसके बाद लोगों की बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा।
95 एमएलडी है प्लांट की क्षमता
नए वाटर वर्क्स में 95 एमएलडी (एक मिलियन लीटर पर डे) जलशोधन की क्षमता है। प्लांट से 90 एमएलडी पानी की शहर में आपूर्ति होगी। शेष पांच एमएलडी गंदा पानी बचेगा। उसका भी उपयोग होगा। इसे रिसाइकिल कर जलापूर्ति कर दी जाएगी। करीब 600 करोड़ रुपये की जलापूर्ति योजना धरातल पर उतरने लगी है। प्लांट के निर्माण पर 259 करोड़ रुपये खर्च किये गये।
पहले इन जलमीनारों में जलापूर्ति की योजना
पहले चरण में हाउसिंग बोर्ड व आनंदगढ़ कालोनी के जलमीनार में जलभंडारण किया जाएगा। इसके उपरांत सुरखीकल, आदमपुर, लाजपत पार्क, घंटाघर, नगर निगम गोदाम परिसर, जगलाल इंटर स्कूल कंपनीबाग, नाथनगर कर्णगढ़ स्थित सीटीएसई, सीटीएस, टीएमबीयू, ड्योढ़ी में दो जलमीनार में नए वाटर वर्क्स से पानी की आपूर्ति की जाएगी। जुलाई में ही इन जलापूर्ति का लक्ष्य रखा गया है।
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