भागलुपर शहर के नजदीक बहेगी गंगा, पानी की समस्या से मिलेगी निजात; पर्यटन को भी मिलेगा बढ़ावा
भागलपुर शहर के लिए खुशखबरी है कि गंगा नदी अब शहर के नजदीक बहेगी, जिससे पानी की समस्या से निजात मिलेगी। इस परियोजना से भागलपुर के लोगों को पानी की कमी से राहत मिलेगी और क्षेत्र में विकास की नई उम्मीद जगेगी। इससे कृषि और उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा।

भागलपुर में बहेगी गंगा। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, भागलपुर। शहर से रूठ चुकी गंगा की धारा एक बार फिर शहर के नजदीक से बहेगी। पुरानी धारा को पुनर्जीवित करने के लिए भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण ने अजमेरीपुर दियारा के समीप ड्रेजिंग (इनलैंड वाटर सर्वे) का कार्य शुरू कर दिया है। यह सर्वे गंगा के रुख को शहर की ओर मोड़ने दिशा में बड़ी पहल मानी जा रही है।
जानकारी के अनुसार, यहां करीब 30 वर्षों से धारा निष्क्रिय पड़ी थी। जिसके कारण गंगा शहर से दूर चली गई थी। इनलैंड वाटर वेज अथारिटी आफ इंडिया (आइडब्ल्यूएआइ) की तकनीकी टीम इस पुराने मार्ग से गाद हटाने के लिए लगभग 100 मीटर की ड्रेजिंग करेगी।
अधिकारियों ने बताया कि ड्रेजिंग पूरी होते ही गंगा का प्रवाह फिर से सक्रिय धारा की ओर बढ़ेगा और पानी माणिक सरकार घाट के समीप शहर के पास प्रवेश कर जाएगा। इससे शहर के नजदीक गंगा का बहाव सालों भर होता रहेगा।
इस परियोजना से बूढ़ानाथ रिवर फ्रंट और बरारी रिवर फ्रंट को भी नया जीवन मिलेगा। गंगा की धारा नजदीक आने से इन दोनों क्षेत्रों में स्वच्छ जल उपलब्ध होगा और लोग पूरे वर्ष स्नान व प्राकृतिक हवाओं का आनंद ले सकेंगे।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि गंगा के नगर के करीब आने से शहर की भू-जल समस्या से बड़ी राहत मिलेगी। क्षेत्र का जलस्तर बढ़ेगा, हैंडपंप एवं बोरिंग की समस्याएं कम होंगी। इसी के साथ गंगा का बैकवाटर चंपा नदी तक भी पहुंचेगा, जिससे नदी में सालों भर पानी रहने की संभावना बढ़ जाएगी।
दरअसल, जिलाधिकारी ने आइडब्ल्यूएआइ को गंगा को शहर के नजदीक लाने के लिए अजमेरीपुर दियारा के पास स्थित पुरानी धारा को फिर से सक्रिय करने का सुझाव दिया था। उनके सुझाव पर ही इनलैंड वाटर सर्वे का काम शुरू किया गया है।
गंगा के शहर के पास बहने से होने वाले लाभ
1. भू-जल स्तर में बढ़ोतरी, जिससे हैंडपंप और बोरिंग की समस्या कम होगी
2. बरारी वाटर वर्क्स को सालों भर स्वच्छ जल की उपलब्धता, पेयजल आपूर्ति सुचारू होगी
3. चंपा नदी में बैकवाटर के माध्यम से जलप्रवाह, नदी का पुनर्जीवन संभव, सिंचाई की सुविधा
4. बूढ़ानाथ और बरारी रिवर फ्रंट पर सदाबहार जल, वर्षभर स्नान, नौकायन और पर्यटन संभव होगा
5. पर्यटन को बढ़ावा, घाटों की सुंदरता, नाव सफारी, रिवर फ्रंट डेवलपमेंट जैसे अवसर बढ़ेंगे
6. पर्यावरणीय लाभ, आसपास के क्षेत्रों में हरियाली और नमी बढ़ेगी, शहर का तापमान नियंत्रित होगा
7. नदी तटों पर आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी, स्थानीय दुकानदारों और नाविकों को लाभ
8. नदी से जुड़े सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजन के दौरान सहूलियत होगी, जैसे छठ, स्नान पर्व आदि।

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