Bhagalpur News: 'साहब हम बर्बाद हो गए', बाढ़ में एक हजार पावरलूम डूबे; 20 करोड़ के रेडीमेड कपड़े बर्बाद
भागलपुर के बुनकर बहुल इलाकों में बाढ़ से तबाही मची है। 1000 से अधिक पावरलूम डूब गए हैं जिससे बुनकरों को 20 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। चंपा नदी के उफान से चंपानगर और मदनीनगर में पानी भर गया है। बुनकरों को भारी क्षति हुई है और उन्हें मुआवज़े का इंतजार है। जिला उद्योग केंद्र की ओर से एक टीम भेजी जाएगी।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। रेशम नगरी के बुनकर बहुल इलाकों में जहां कपड़ा उत्पादन होता है, बाढ़ का पानी फैलने से 1000 से अधिक पावरलूम ठप हो गए हैं। कपड़ा, उन पर लगे धागे और घरों में रखे रेडीमेड कपड़े नष्ट होने से बुनकर समुदाय को 20 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है।
बुनकरों के पावरलूम तीन से चार फीट पानी में पूरी तरह डूब गए हैं। गंगा से सटी चंपा नदी के उफान पर होने से चंपानगर मस्जिद लेन और मदनीनगर बुनकर बहुल इलाकों में एक सप्ताह से चार फीट बाढ़ के पानी का बहाव है। लोग अन्यत्र शरण लेने को मजबूर हैं।
बुनकरों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। चंपानगर के बुनकर बहुल इलाके में आई बाढ़ ने उनके जीवन में समस्याओं का पहाड़ खड़ा कर दिया है।
बुनकरों ने बताया कि अचानक मोहल्ले में बाढ़ का पानी घुस आने से वे पावरलूम पर कपड़ा और धागे से लदे बीम नहीं हटा पाए। पावरलूम पानी में डूब जाने से कपड़े बर्बाद हो गए हैं। कारखाने के बाहर सड़क पर कमर तक पानी में उनसे कपड़े निकालना मुश्किल हो गया है।
ऐसे में बुनकरों को काफी नुकसान हुआ है। जिला उद्योग केंद्र अब तक उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया है। बाढ़ के कारण एक हज़ार से ज़्यादा पावरलूमों पर काम करने वाले 1240 पावरलूम कारीगरों की रोज़ी-रोटी छिन गई है। कई बुनकर रिश्तेदारों और दोस्तों के घरों या ऊँचे स्थानों पर स्थित सहायता केंद्रों में रहने को मजबूर हो गए हैं।
बेरोजगारी का आलम था, लेकिन काम मिला तो घाटा हुआ
बुनकरों ने बताया कि पिछले चार महीनों से माँग कम होने के कारण वे मंदी की मार झेल रहे थे। दुर्गा पूजा और दिवाली के लिए कुछ ऑर्डर मिले थे। इसलिए वे समय पर ऑर्डर पूरे करने के लिए कपड़े तैयार करने में जुटे थे, लेकिन बाढ़ के कारण कपड़े खराब हो गए।
उन्होंने कहा कि अगर उन्हें मुआवज़ा राशि नहीं मिली तो वे बहुत मुश्किल में पड़ जाएँगे। बुनकरों ने बताया कि उन्हें सूती और रेशमी मिश्रित धागे से बनी साड़ियों के सबसे ज़्यादा ऑर्डर मिले हैं। दुपट्टों के भी अच्छे ऑर्डर मिले हैं। साहूकारों ने कपड़े तैयार करने के लिए सूती धागे उपलब्ध कराए थे।
वे 30 से 40 रुपये प्रति मीटर की मज़दूरी पर कपड़े तैयार कर रहे हैं। उनके अनुसार, एक पावरलूम पर 24 घंटे में 12 साड़ियाँ तैयार हो जाती हैं।
बुनकर शाहिद हुसैन और इम्तियाज़ ने बताया कि 20 से 25 हज़ार रुपये के धागे से भरी एक बीम पावरलूम पर चढ़ाई गई थी, लेकिन बाढ़ में तैयार कपड़े और धागे दोनों ही बर्बाद हो गए। अब बुनकरों को किश्तों में नुकसान की भरपाई करनी होगी। बुनकर अब साहूकारों के कर्ज़ के बोझ तले दबे हैं।
बुनकरों ने कहा, सब कुछ बर्बाद हो गया
- मोहम्मद अकरम, बुनकर: बाढ़ ने सारी उम्मीदें तोड़ दी हैं। काम न मिलने पर हमने साहूकार से मज़दूरी पर कपड़े तैयार करने के लिए धागे लिए थे, लेकिन अब हमें साहूकार से हुए नुकसान की भरपाई के लिए कर्ज़ लेना पड़ेगा।
- मोहम्मद इमरान, बुनकर: बाढ़ की वजह से हम पर दोहरी मार पड़ रही है। पावरलूम पर 30,000 रुपये के धागे और 20,000 रुपये के उपकरण खराब हो गए हैं। उपकरणों की मरम्मत के लिए पैसे नहीं हैं। ऐसे में हम साहूकार का कर्ज कैसे चुकाएँगे? हम उसके कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं।
- मोहम्मद खुर्शीद, बुनकर: बॉबिन और ताने के धागे पानी में खराब हो गए हैं। इसकी भरपाई के लिए हमें सरकारी मदद भी नहीं मिल पा रही है। पिछले साल आई बाढ़ में हुए नुकसान का मुआवजा आज तक नहीं मिला है। ऐसे में इस बार होने वाले नुकसान को लेकर हम चिंतित हैं।
बाढ़ आपदा से प्रभावित बुनकरों को मुआवजा देने का प्रावधान है। प्रभावित क्षेत्र में आकलन के लिए एक टीम भेजी जाएगी। टीम की रिपोर्ट के आधार पर मुआवजे का प्रस्ताव भेजा जाएगा।
- खुशबू कुमारी, महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र
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