चार बार के विधायक सहित 68 प्रत्याशियों की जमानत जब्त, भागलपुर की सातों विधानसभा पर NDA ने एकतरफा किया कब्जा
भागलपुर जिले में NDA ने सभी सात विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाया, जिससे विपक्षी दलों को करारी शिकस्त मिली। इस चुनाव में चार बार के विधायक समेत 68 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025
अभिषेक प्रकाश, भागलपुर। इस बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने जिले की सातों विधानसभा सीटों पर एकतरफा कब्जा जमाकर राजनीतिक समीकरण बदल दिए।
हालांकि सबसे ज्यादा चर्चा नतीजों के बजाय प्रत्याशियों की जमानत जब्ती को लेकर रही। इस चुनाव में जिले के 82 प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन उनमें से केवल 14 ही अपनी जमानत बचा पाए। यानी 68 उम्मीदवारों की जमानतें जब्त हो गईं।
यह आंकड़ा बताता है कि मतदाता अब केवल वही चेहरा चुनते हैं, जो उनके मुद्दों के प्रति संवेदनशील रहते हैं और उन्हें पूरे करने का भरोसा देते हैं। बिहपुर विधानसभा सीट पर 1,74,555 वोट पड़े। हर प्रत्याशी के लिए जमानत बचाने के लिए वहां 29,080 वोट जरूरी थे, लेकिन 10 में से 8 प्रत्याशी यह आंकड़ा पार नहीं कर पाए।
वहीं भागलपुर में 1,97,146 मत पड़े और जमानत बचाने के लिए प्रत्याशी को 32,758 वोट लाने की जरूरत थी, जिसे 10 उम्मीदवार नहीं छू सके। कहलगांव में 2,51,983 वोट पड़े। वहां जमानत बचाने के लिए उम्मीदवार को 41,997 वोट लाने में 11 प्रत्याशी फेल रहे।
पीरपैंती के 2,47,489 वोटों में जमानत के लिए 41,428 मतों की सीमा थी। लेकिन 8 उम्मीदवार उस दीवार को पार नहीं कर सके। नाथनगर में 2,41,500 वोट पड़े।
वहां 13 उम्मीदवार जमानत बचाने के मानक 40,250 मत से पीछे रहे। वहीं सुल्तानगंज में 2,09,814 वोटिंग में 10 प्रत्याशी और गोपालपुर में 1,91,402 मत पड़ने पर 8 प्रत्याशी जमानत नहीं बचा पाए।
पार्टी ने छोड़ा तो चार बार के विधायक गोपाल मंडल की जमानतें भी चली गई
गोपालपुर विधानसभा सीट से चार बार विधायक रहे गोपाल मंडल के लिए यह चुनाव बेहद निराशाजनक साबित हुआ। जेडीयू से टिकट कटने और पार्टी से बेदखल होने के बाद उन्होंने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा, लेकिन सिटिंग विधायक होते हुए भी अपनी जमानत नहीं बचा पाए।
गोपालपुर में जमानत बचाने के लिए 31,900 मतों की जरूरत थी, जबकि उन्हें मात्र 12,686 वोट ही मिल सके। इसी तरह कहलगांव के सिटिंग विधायक पवन कुमार यादव भी इस बार जनता का भरोसा नहीं जीत पाए और उनकी भी जमानत जब्त हो गई।
उन्हें 41,997 वोट की जरूरत थी, पर सिर्फ 10,244 मत ही मिल पाए। उधर, जदयू सांसद अजय मंडल के भाई और कहलगांव से निर्दलीय प्रत्याशी अनुज कुमार मंडल को भी जनता का समर्थन नहीं मिला। जमानत बचाने के लिए जहां 41,997 वोट जरूरी थे, वहीं उन्हें मात्र 931 वोट मिले।
2000 से 2025 के बीच 473 उम्मीदवारों के हो चुके हैं जमानत जब्त
जिले में पिछले दो दशकों का इतिहास देखें तो तस्वीर और भी कठोर दिखती है। वर्ष 2000 से 2025 के बीच हुए सात विधानसभा चुनावों में कुल 583 उम्मीदवार चुनावी अखाड़े में उतरे हैं।
उनमें से सिर्फ 110 ही अपनी जमानत बचा पाए। बाकी 473 उम्मीदवारों को न वोट मिले, न राजनीतिक पहचान और उनकी जमानतें भी जब्त हो गई थीं। जनता ने लगातार यह संकेत दिया कि भागलपुर की राजनीति भावनाओं पर नहीं, ठोस विश्वास पर चलती है।
वहीं 2020 के विधानसभा में तो 98 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे , लेकिन 84 की जमानतें जब्त हो गई थीं। 2015 में 87 में से 73, 2010 में 107 में से 93, 2005 के फरवरी चुनाव में 74 में से 55, अक्टूबर चुनाव में 53 में से 38 और 2000 में 82 में से 62 उम्मीदवारों की जमानतें जब्त होना इस जिले के वोटर के इस मिजाज को इंगित करता है।

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