जदयू के भीतर नेतृत्व-संघर्ष: भागलपुर जिलाध्यक्ष विपिन बिहारी हाशिए पर, कार्यकारी अध्यक्ष को मिले सभी अधिकार
भागलपुर जदयू में नेतृत्व को लेकर संघर्ष जारी है। जिलाध्यक्ष विपिन बिहारी हाशिए पर चले गए हैं, और कार्यकारी अध्यक्ष को सभी अधिकार मिल गए हैं। पार्टी के ...और पढ़ें

सांकेतिक तस्वीर
जागरण संवाददाता, भागलपुर। जदयू की जिला राजनीति में इस समय द्वंद की हवा तेज है। एक ओर पार्टी 13 तारीख को सदस्यता अभियान 2025–2028 का भव्य शुभारंभ करने जा रही है। वहीं दूसरी ओर संगठन के भीतर नेतृत्व संघर्ष खुलकर सामने आने लगा है।
कार्यकारी जिलाध्यक्ष विवेकानंद गुप्ता ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि अभियान में सांसद, विधान पार्षद, विधायक, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, संगठन प्रभारी, विधानसभा प्रभारी से लेकर राष्ट्रीय, प्रदेश और जिला स्तर के सभी पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल होंगे। लेकिन दूसरी तरफ, जिला संगठन के भीतर खींचतान चरम पर है।
जिलाध्यक्ष विपिन बिहारी को हाशिये पर ढकेलते हुए लगभग सभी महत्वपूर्ण अधिकार कार्यकारी जिलाध्यक्ष को सौंप दिए गए हैं। राजनीतिक गलियारों में इसे पार्टी की क्लीन स्लेट पालिसी के रूप में देखा जा रहा है, जहां कमजोर या विवादों से घिरे पदाधिकारियों को धीरे-धीरे किनारे किया जा रहा है। चर्चा यह भी कि पार्टी अब उन्हें नेतृत्व की पहली पंक्ति से हटाने की तैयारी में है।
विपिन बिहारी पर आरोप था कि वे विधानसभा चुनाव में सुल्तानगंज से टिकट के प्रबल दावेदारों में शामिल थे, लेकिन टिकट न मिलने के बाद वे निष्क्रिय हो गए। पार्टी की स्थानीय इकाई में यह धारणा मजबूत होती गई कि वे संगठन के प्रति वह सक्रियता नहीं दिखा पा रहे थे, जिसकी अपेक्षा थी।
इतना ही नहीं, चुनावी मौसम में उनके पार्टी विरोधी रुझान की भी कानाफूसी चलती रही। खुद को आरोपों से बचाने के लिए उन्होंने भाजपा के एक विधायक से समर्थन में पत्र लिखवाया, ताकि यह संदेश जा सके कि वे किसी विरोधी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं थे। लेकिन यह कदम भी सवालों के घेरे में आ गया और भीतरखाने इसे प्रेशर पॉलिटिक्स की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, जदयू की अनुशासन समिति ने उनसे स्पष्टीकरण भी मांगा है और वे जल्द ही अपना पक्ष रखने वाले हैं। ऐसे में सदस्यता अभियान का यह मंच सिर्फ औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि जिला जदयू की बदलती राजनीतिक संरचना का संकेत भी बनने जा रहा है।
13 दिसंबर को होने वाला आयोजन इसलिए भी खास होगा कि यह कार्यक्रम यह तय करेगा कि जिला संगठन आने वाले दिनों में किस दिशा में आगे बढ़ेगा। एकजुट नेतृत्व की ओर या अंदरूनी सियासत के नए अध्याय की तरफ।

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