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    Chhath Puja Date Time 2025: नहाय-खाय के साथ आरंभ होगा महापर्व छठ, नोट करें शुभ मुहूर्त और सही तिथि

    Updated: Tue, 21 Oct 2025 07:48 PM (IST)

    दीपावली के बाद भागलपुर में छठ पर्व की तैयारी शुरू हो गई है। नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय महापर्व का आरंभ होगा। छठ घाटों की सफाई हो रही है और शहर में भक्तिमय माहौल है। छठ पर्व सूर्य देव के प्रति कृतज्ञता और सामाजिक एकता का प्रतीक है। इस दौरान, व्रती कठोर नियमों का पालन करते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं।

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    नहाय-खाय के साथ आरंभ होगा महापर्व छठ

    संवाद सहयोगी, भागलपुर। दीपावली की रौनक के बाद अब भागलपुर में गंगा तटों से लेकर घर-आंगन तक लोक आस्था के सबसे बड़े पर्व छठ की गूंज सुनाई देने लगी है। शनिवार, 25 अक्टूबर से नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय इस महापर्व की शुरुआत होगी। घाटों की सफाई, व्रतियों की तैयारी और छठ मइया के पारंपरिक गीतों की मधुर लहरियों से पूरा शहर श्रद्धा और भक्ति में रंगने लगा है। ऐसे भी अंग की यह धरती सूर्य उपासना के लिए युगों युगांतर से जानी जाती है।

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    छठ महापर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्म-शुद्धि, प्रकृति और सूर्य देव के प्रति कृतज्ञता का पर्व है। व्रती कठोर नियमों और पवित्रता का पालन करते हुए निराहार रहकर सूर्योपासना करते हैं। लोक आस्था का यह उत्सव भागलपुर में सामाजिक एकता, सादगी और भक्ति की ऐसी मिसाल पेश करता है, जो हर वर्ष जनमानस को जोड़ता है। गंगा की लहरों पर प्रतिबिंबित दीपों की ज्योति और व्रतियों के आस्था-संकल्प से इस बार भी भागलपुर छठ पर अलौकिक आभा से दमकेंगी।

    घर-घर में छठ गीतों की गूंज, बाजारों में उमंग का माहौल

    मोहल्लों और गलियों में उग हो सूरज देव अरघ के बेर जैसे पारंपरिक गीतों की गूंज वातावरण को भक्ति से भर रही है। महिलाएं पूजा की सामग्रियों की तैयारी में व्यस्त हैं, वहीं बच्चे सजावट और साफ सफाई में उत्साह से हाथ बंटा रहे हैं। मिट्टी के नए चूल्हों, गुड़, चावल, सूप-दौरे और फल-सब्जियों की खरीदारी से बाजार गुलजार है। लोक परंपराओं और सामूहिक आस्था का यह अनोखा संगम भागलपुर की संस्कृति को एक बार फिर जीवंत कर रहा है।

    चार दिवसीय पर्व का धार्मिक अनुक्रम

    बूढ़ानाथ मंदिर के पंडित भूपेश मिश्रा बताते हैं कि छठ पूजा का पूरा क्रम इस प्रकार रहेगा-

    • 25 अक्टूबर (शनिवार) – नहाय-खाय: गंगा जल से स्नान कर सात्विक आहार कद्दु, अरवा चावल की भात, चना की दाल के साथ व्रत की शुरुआत होगी ।
    • 26 अक्टूबर (रविवार) – खरना : दिनभर निर्जला उपवास के बाद देर शाम गुड़-चावल की खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण किया जाएगा।
    • 27 अक्टूबर (सोमवार) – संध्या अर्घ्य : अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा। शुभ मुहूर्त शाम 05:10 से 05:58 अपराह्न।
    • 28 अक्टूबर (मंगलवार) – प्रातःकालीन अर्घ्य: उदयाचल सूर्य को अर्घ्य अर्पण के साथ व्रत का समापन। शुभ मुहूर्त सुबह 05:33 से 06:30 पूर्वाह्न रहेगा।

    प्रशासन और स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा छठ घाटों को संवारने की तैयारी

    भागलपुर के नगर निगम क्षेत्र , सबौर नगर पंचायत का क्षेत्र में पड़ने वाले गंगा घाटों की साफ सफाई , लाइटिंग आदि का विशेष अभियान के तहत आरंभ कर दी गई है। प्रशासन के अलावा स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाएं भी छठ घाटों को रोशनी, रंगोली और सजावटी तोरणों से सजाने की तैयारी कर रही है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए एनडीआरएफ और गोताखोरों की टीमों की तैनाती की योजना भी बनाई जा रही है।

    क्यों खास है छठ?

    सूर्य उपासना की अद्भुत परंपरा : छठ एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें अस्ताचलगामी और उदयाचल दोनों सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है यह जीवन के आरंभ और अंत दोनों के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है।

    प्रकृति और शुद्धता का पर्व : व्रती बिना नमक, तेल, मसाले के सात्विक आहार लेते हैं और मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद बनाते हैं। यह पर्यावरण-संवेदनशील और शुद्ध जीवनशैली का संदेश देता है।

    पारिवारिक एकता का उत्सव : छठ की पूजा में पूरा परिवार शामिल होता है जो सामूहिक सहयोग और पारिवारिक एकजुटता का उदाहरण है।

    लोक संगीत और संस्कृति का उत्सव : उग हो सूरज देव अरघ का बेर ... जैसे लोकगीत पीढ़ियों से चली आ रही लोकसंस्कृति की जीवंत धरोहर हैं, जो बिहार की मिट्टी की आत्मा से निकला है।

    आस्था और अनुशासन का प्रतीक : यह पर्व सांसारिक सुखों से विरक्त होकर आत्मसंयम और समर्पण की भावना को जगाता है। व्रती शरीर, मन और आत्मा तीनों को शुद्ध करने का संकल्प लेते हैं।