Bhagalpur News: बिना एग्रीमेंट चल रहा बैंक, हर महीने हो रहा एक लाख का नुकसान
भागलपुर में एक बैंक बिना एग्रीमेंट के चलने से हर महीने एक लाख रुपये का नुकसान हो रहा है। एग्रीमेंट अवधि समाप्त होने के बाद भी बैंक का संचालन जारी है। उच्च अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए हैं, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

परिमल सिंह, भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) प्रशासनिक भवन परिसर में संचालित इंडियन बैंक की शाखा पिछले दो वर्षों से बिना एग्रीमेंट के चल रही है। अनुबंध नवीनीकरण में विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही के कारण हर माह लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। इस पर अब विश्वविद्यालय के अंदर ही सवाल उठने लगे हैं।
जानकारी के मुताबिक, विश्वविद्यालय और बैंक के बीच का अनुबंध 2023 में समाप्त हो गया। इसके बाद से अब तक अनुबंध का नवीनीकरण नहीं किया गया है।
बैंक प्रबंधन का कहना है कि उन्होंने कई बार विश्वविद्यालय प्रशासन को अनुबंध नवीनीकरण के लिए पत्र भेजा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि विश्वविद्यालय नवीनीकरण संबंधी कोई पत्र मिलने से इंकार किया है।
वृत्त समिति के सदस्य गौरीशंकर डोकानिया ने बताया कि विश्वविद्यालय बैंक से आठ रुपये प्रति वर्ग फीट के हिसाब से किराया प्राप्त कर रहा है, जबकि वर्तमान बाजार दर इसकी कीमत लगभग 45 से 50 रुपये प्रति वर्ग फीट तक पहुंच चुकी है।
इस दर में भारी अंतर के कारण विश्वविद्यालय को सालाना दस लाख से अधिक रुपये का राजस्व का नुकसान हो रहा है। इस मामले को पूर्व कुलपति जवाहर लाल के पास भी रखा गया था।अब नए कुलपति व वृत्त समिति की बैठक में जोरदार तरीके से उठाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि वर्तमान किराया हर माह लगभग 1.50 लाख रुपये होना चाहिए। विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने बताया कि बैंक के द्वारा अनुबंध नवीनीकरण नहीं करने की मामले की जांच कराई जाएगी। इसके लिए संबंधित अधिकारी से बात की जाएगी। दो वर्षों से विश्वविद्यालय को नुकसान हो रहा है। इस मामले पर संज्ञान लिया जाएगा।
3000 वर्ग फीट में बैंक व करेंसी चेस्ट का हो रहा संचालन
इंडियन बैंक, विश्वविद्यालय शाखा के मुख्य प्रबंधक जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय ने बैंक संचालन के लिए 3000 वर्ग फीट जगह उपलब्ध कराया है। बैंक का संचालन 1600 वर्ग फीट तो करेंसी चेस्ट 1600 वर्ग फीट में संचालित हो रही है। बैंक हर माह नियमित रूप से किराया लगभग 34 हजार रुपये विश्वविद्यालय को टीडीएस काटकर जमा कर रहा है।
उन्होंने बताया कि लगभग दो साल से एग्रीमेंट नहीं हुआ है। बैंक प्रबंधन विश्वविद्यालय के अधिकारियों से एग्रीमेंट करने को लेकर पत्र लिखा गया है। अनुबंध के तहत जो किराया होगा वो विश्वविद्यालय को उपलब्ध करा दिया जाएगा।
विश्वविद्यालय की वित्तीय अनुशासन पर सवाल
विश्वविद्यालय के जानकार बताते हैं कि दो साल से बिना एग्रीमेंट बैंक का संचालन विश्वविद्यालय की वित्तीय अनुशासन पर सवाल खड़ा करता है। इस मुद्दे को लेकर कई सदस्य सिंडिकेट में सवाल उठाने की तैयारी कर रहे हैं।
एक सदस्य ने बताया कि तत्कालीन कुलपति प्रो. रामाश्रय यादव के कार्यकाल में इंडियन बैंक (उस समय इलाहाबाद बैंक) की शाखा विश्वविद्यालय परिसर में स्थानांतरित की गई थी। उस समय बैंक और विश्वविद्यालय के बीच दो अलग-अलग अनुबंध हुए थे। एक 2022 तक प्रभावी रहा, जबकि दूसरा 2023 तक मान्य है।
एक लाख से अधिक राजस्व का हर माह नुकसान
वृत्त समिति के सदस्य गौरीशंकर डोकानिया ने बताया कि बैंक अगर किराया के मद में 34 हजार रुपये हर माह देने की बात भी कर रहा है तो भी वर्तमान किराया 1.50 लाख रुपये लगभग होता है। इस तरह हर माह विश्वविद्यालय को एक लाख रुपये से अधिक का नुकसान हो रहा है।
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