स्वयंभू हैं मड़वा धाम के बाबा बज्रलेश्वरनाथ महादेव
बिहपुर (भागलपुर)। प्रखंड मड़वा गांव में बाबा बज्रलेश्वरनाथ महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि की

बिहपुर (भागलपुर)। प्रखंड मड़वा गांव में बाबा बज्रलेश्वरनाथ महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि की सारी तैयारी पूरी कर ली गई है। मंदिर को फूलों से सजाया जा रहा है। मंगलवार को गांव में ही देर शाम में शिव बारात भव्य झांकी भी निकाली जाएगी।वहीं रात में वैदिक विधि विधान के साथ मंदिर में शिव विवाह संपन्न होगा।इस दौरान श्रद्धालु भगवान भेले की बाराती व सराती बने होते हैं।इस मंदिर का 400 साल पुराना मंदिर है।यहां के बाबा बज्रलेश्वरनाथ महादेव स्वयंभू है।मान्यता है कि बाबा बज्रलेश्वर अकाल मौत को टाल देते हैं।बाबा भोले का यह दरबार मिनी देवघर के नाम से भी जाना जाता है।यहां भादो मेला विख्यात है।इस मंदिर की स्थापना क्षेत्र के राजा झब्बन सिंह ने जन सहयोग से कराया था।जिस स्थान पर अभी मदिर है।वहां पूर्व में जंगल हुआ करता था।एक चरवाहे की गाय जंगल में एक जगह रोज पहुंती और उसका दूध वहां गिीने लगता था।यह बात चरवाहे ने गांव में बताई।कुदाल से लोग उस जगह को खोदने लगे,जिसमें शिवलिग मिला।उसी रात क्षेत्र के राजा को स्वप्न आया।इसके बाद यहां जन सहयोग से मंदिर का निर्माण हुआ।मंदिर के गर्भगृह में जाने के लिए पुरूष और महिला श्रद्धालुओं के लिए अलग अलग प्रवेश द्वार बनाया गया है।मंदिर परिसर और यहां तक आने वाले मार्ग पर जगह-जगह रोशनी की व्यवस्था की जाती है।मंदिर ठाकुरबाड़ी के महंत श्री श्री 108 महंत राजेंद्र दास जी महाराज कहते हैं कि सावन माह की सोमवारी पर 70 से 80 हजार शिवभक्त जलार्पण करने पहुंते हैं।सुल्तानगंज अगुवानी गंगाघाट से जलभर कर 40 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर शिवभक्त मड़वा पहुंचते हैं।सुरक्षा और विधि-व्यवस्था के मद्देनजर पुलिसबल व ग्रामीण स्वयंसेवक भी तैनात होते हैं।मंदिर ट्रस्ट के सचिव दिलीप गुप्ता कहते हैं कि बाबा बज्रलेश्वर अकाल आने वाले दुख व समस्या को टाल देते हैं।बाबा के इस चौखट पर आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। मंदिर के प्रधान पुजारी उपेंद्र पांडेय कहते हैं कि भोलेनाथ का दर्शन और जलाभिषेक करने के लिए कई जिले से सालो भर श्रद्धालुओं का आना यहां लगा रहता है।सावन माह में तो जनसैलाब उमड़ पड़ता है।
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