आयुर्वेदिक कालेज बनेगा माडल अस्पताल, 1946 में हुई थी राजकीय श्री यतींद्र नारायण अष्टांग आयुर्वेद महाविद्यालय की स्थापना
भागलपुर के नाथनगर स्थति आयुर्वेदिक कालेज माडल अस्पताल बनेगा। इसके लिए कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए पांच एकड़ जमीन की जरूरत होगी। राजकीय श्री यतींद्र नारायण अष्टांग आयुर्वेद महाविद्यालय भागलपुर की स्थापना 1946 में हुई थी।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। नाथनगर के आयुर्वेदिक कालेज को माडल अस्पताल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई जा रही है। बिहार चिकित्सा सेवा एवं आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड द्वारा भले ही डीपीआर तैयार करने में जुट गया है, लेकिन इसके निर्माण में जमीन संबंधी बाधा उत्पन्न हो सकती है।
इसकी संभावना से इंकार तक नहीं किया जा सकता है। कालेज का प्रशासनिक भवन व आउटडोर भवन 10 बीघा फैला हुआ है। हर्बल गार्डेन के लिए कालेज का 10 बीघा भूखंड कंपनीबाग में है, जिसपर अतिक्रमण है। इस जमीन को नगर निगम से लीज पर लिया गया है, लेकिन मामला न्यायालय में चल रहा है।
दरअसल माडल अस्पताल के करीब पांच एकड़ जमीन की जरूरत है, लेकिन कालेज के पास 3.5 एकड़ की अभी जमीन उपलब्ध है। इसके आधार पर डीपीआर तैयार कराने में थोड़ी परेशानी होगी। इसके निदान को लेकर कालेज के प्राचार्य सीबी ङ्क्षसह ने अस्पताल पीछे खाली पड़ी पीडब्ल्यूडी की साढ़े चार एकड़ जमीन की मांग की है। इसे लेकर एक वर्ष पूर्व नाथनगर के अंचलाधिकारी ने प्रस्ताव भी तैयार किया है। इसे डीएम के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया है। जानकारी के अनुसार अभी भी जमीन स्थानांतरण से संबंधित फाइल पेंडिंग है। कई बार पटना में स्वास्थ्य विभाग की बैठक में इसका प्रस्ताव भी रखा गया, लेकिन निदान नहीं हुआ।
2004 से बंद है आयुर्वेद की पढ़ाई
आयुर्वेद कालेज में 2004 में ही भारतीय केंद्रीय चिकित्सा परिषद ने आधारभूत संरचना की वजह से रोक लगा दी थी। बार-बार चेतावनी देने के बावजूद मापदंड पूरा नहीं करने पर इस कालेज में नामांकन पर रोक लगा दी। इसके बाद सरकार ने भी इस कालेज को बंद करने की अधिसूचना जारी कर दी।
पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू ने की थी स्थापना
यतींद्र नाथ अष्टांग आयुर्वेद कालेज की स्थापना वर्ष 1946 में पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने की थी। यह कालेज छात्रों और संसाधनों से भरा-पूरा था। यहां उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, ओडिशा, बंगाल व असम से छात्र अध्ययन के लिए आते थे। पांच वर्षीय कोर्स के लिए प्रत्येक सत्र में 20 छात्रों का नामांकन लिया जाता था। अस्पताल में आशव, अरिष्ट, चूर्ण, भस्म आदि दवाइयां बनाई जाती थीं। इसके लिए जनवरी 1985 में सरकार ने इसका अधिग्रहण किया था। इसके बाद से कालेज की व्यवस्था का क्षरण होना शुरू हो गया।
अस्पताल को संसाधन की जरूरत :
- - 12 विभाग में 36 व्याख्याता व प्राध्यापक की आवश्यकता
- - 60 पारा मेडिकल कर्मचारी जरूरी
- - सभी विभागों का अपना कक्ष
- - अध्ययन के लिए क्लास रूम
- - लाइब्रेरी
- - प्रयोगशाला
- - 100 बेड वाला अस्पताल भवन
- - आउटडोर व इंडोर विभाग
- - हर्बल गार्डेन
एजेंसी को मिला है दायित्व
सरकार ने भवन बनाने के लिए डीपीआर तैयार करने का आदेश बिहार चिकित्सा सेवा एवं आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड को दिया है। एजेंसी द्वारा मापी किया गया है। इसका डिजाइन भी तैयार किया जा रहा है। आने वाले समय में कालेज में शैक्षणिक सत्र आरंभ हो सकता है। योजना के तहत मानव बल और शैक्षणिक कार्य आरंभ किया जाना तय है।