Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आत्‍मनिर्भरता : अशोक ने पेश की नजीर, जूता कंपनी में मजदूर का काम कर रहे बन गए मालिक

    कहते है जज्‍बा और जूनून हो तो असंभव कुछ भी नहीं होता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया जमुई के अशोक दास ने वे बाहर एक जुटे की कंपनी में काम करते थे लॉकडाउन के कारण वे घर लौट आए और यहां शुरू कर दी जूते बनाना

    By Amrendra TiwariEdited By: Updated: Wed, 02 Dec 2020 03:14 PM (IST)
    Hero Image
    एक रिश्तेदार के साथ मिलकर जमुई के मटिया मोहनपुर में शुरू की अशोक ने जूते बनाने की छोटी यूनिट

    जमुई [अरविंद कुमार सिंह]। हर अंधेरी रात के बाद सुबह का उजाला निश्चित है। संक्रमण काल जमुई के एक मजदूर के लिए कुछ ऐसा ही परिणाम सामने लेकर आया। विपरीत परिस्थितियों से जूझने की हिम्मत ने इस मजदूर को मालिक बना दिया। मटिया मोहनपुर निवासी अशोक दास चेन्नई की एक मेडिकेटेड शू कंपनी में काम करते थे। लाकडाउन में बेरोजगारी के कारण वे घर वापस आ गए। यहां एक रिश्तेदार के सहयोग से उसने मेडिकेटेड शू बनाने का काम शुरू किया। प्रवासियों के लिए चलाई जा रही योजना से इन्हें सरकार द्वारा पांच लाख रुपये की मशीन दी गई है। साथ ही एक लाख रुपये सामग्री के लिए दिया गया है। आज ये मेडिकेटेड शू तैयार करने वाली एक छोटी यूनिट के मालिक हैं। 25 प्रवासियों के समूह का नेतृत्व कर रहे अशोक हर रोज दो सौ जोड़ी मेडिकेटेड जूते और चप्पल तैयार कर रहे हैं। इससे हर महीने उन्हें लगभग 50 हजार की आमदनी हो रही है। फिलहाल बाजार की समस्या अशोक के व्यवसाय में आड़े आ रही है जिसे दूर करने की कोशिश में वह दिन रात जुटा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    19 साल की उम्र में गया था चेन्नई

    34 वर्षीय अशोक 15 साल पूर्व 19 वर्ष की उम्र में रोजगार की तलाश करने चेन्नई पहुंचा था। वहां सेलम स्थित एक फुटवियर कंपनी में उसने काम प्रारंभ किया लॉकडाउन से पहले तक उसे 18-19 हजार रुपया प्रतिमाह मेहनताना मिल रहा था।

    परिवार के लोग हैं खुश

    लॉकडाउन में परदेस की प्राइवेट नौकरी छोड़ गांव वापस लौटे अशोक एवं संतोष के काम से परिवार के लोग खुश और संतुष्ट हैं। अशोक के 65 वर्षीय पिता ठकुरी दास, मां शकुंतला देवी, पत्नी रिंकू देवी एवं चार बच्चे अब साथ रहते हैं। अशोक को भी इस बात का संतोष है कि अब वह बच्चों की पढ़ाई पर नजर रख सकेगा।

    डायबिटीज मरीजों के लिए तैयार करते हैं जूता

    डायबिटीज मरीजों के अलावा किसी प्रकार के जख्म, एंड़ी (हील) में परेशानी तथा छोटे बड़े पांव वालों के लिए जूता और चप्पल तैयार करने में अशोक को महारत हासिल है। अशोक की छोटी यूनिट में फ्लैट फुट, फुट ड्राफ्ट, चारकोट फुट, हिल फ्री, फोर फुट फ्री एवं फुट अल्सर के अलावा सामान्य जूते भी तैयार किए जा रहे हैं।

    क्‍या कहते हैं अशोक

    अशोक कहते हैं कि जब उसने चौकी टांड़ निवासी जीजा संतोष दास के साथ मेडिकेटेड शू बनाने की यूनिट शुरू की तो प्रशासनिक स्तर पर भी उसे मदद मिला। उद्योग विभाग की नवप्रवर्तन योजना के तहत कङ्क्षटग, सिलाई, रङ्क्षफग एवं प्रोसेङ्क्षसग मशीन के अलावा पूंजी के लिए एक लाख रुपया मिला।

    बोले उप विकास आयुक्‍त

    जमुई के उप विकास आयुक्‍त आरिफ अहसन ने कहा कि अशोक दास द्वारा प्रेरणादायक प्रयास किया गया है। उनके प्रयास को उड़ान देने के लिए नवप्रवर्तन योजना के तहत छह लाख रुपये की मशीन एवं पूंजी के रूप में मदद दी गई है।