Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Artificial Intelligence (AI): क्या है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्यों हैं सभी चिंतित? आइए जानें इसके रहस्‍य

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By:
    Updated: Fri, 31 Dec 2021 07:58 PM (IST)

    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कृत्रिम बुद्धिमत्‍ता - बदलते समय में आज कंप्‍यूटर या मशीन की आवश्‍यकता को नकारा नहीं जा सकता है। या यूं कहें कि बुद्धि‍मान मशनी जो खुद से अपना निर्णय ले सके। लेकिन यह मानव समुदाय के लिए खतरा भी है।

    Hero Image
    कार्यक्रम के दौरान भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपल आइटी) में मौजूद शिक्षक और छात्र-छात्राएं।

    आनलाइन डेस्‍क, भागलपुर। भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपल आइटी) में स्क्वाड हेल्प (SQUAD HELP) के तत्‍वावधान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर जागरूकता वर्कशाप आयोजित किया। इसमें ट्रिपल आइटी द्वारा गोद लिए पांच गांव के बच्चों के अलावा माउंट असीसी स्‍कूल, सबौर महाविद्यालय, मारवाड़ी महाविद्यालय और टीएनबी कालेज आदि के विद्यार्थी आनलाइन और आफलाइन मोड में जुड़े हुए थे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    निदेशक प्रो. अरविंद चौबे ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि इस विधि को लेकर कई संस्थानों के साथ करार भी किया गया है। जिससे विद्यार्थियों को काफी फायदा हो रहा है। इसके तहत विद्यार्थियों को नई-नई तकनीक जानने का मौका मिलेगा।

    कार्यक्रम की शुरुआत निदेशक प्रो. अरविंद चौबे, डा. संदीप राज, मनीष कुमार झा और राजेश मिश्रा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्‍वलन कर किया। डा. संदीप राज ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए बेसिक आफ मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम से जुड़े विद्यार्थियों को बताया गया कि ट्रिपल आइटी में सेंटर आफ डाटा साइंस एंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस खुला है। जहां से विद्यार्थी विभिन्न सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स में नामांकन कराकर पढ़ाई कर सकते हैं।

    वक्ताओं ने संबोधित करते हुए कहा कि इसका प्रयोग स्वास्थ्य समेत अन्य रोजमर्रा के कार्यों के लिए होता है। इस मौके पर डा. संदीप राज, डा. रूपम भट्टाचार्य, डा. दिलीप कुमार चौबे ने भी संबोधित किया। पीपीटी के माध्‍यम से बच्‍चों को कई जानकारियां दी। कोरोना वायरस और इसके जांच के लिए बने सॉफ्टवेयर  के बारे में कई महत्‍वपूर्व बातें वक्‍ताओं ने सभी के बीच साझा की। डा. अभिनव गौतम कार्यक्रम का संचालन कर रहे थे। सरस्‍वती वंदना अभिलाषा भारती ने प्रस्‍तुत की। 

    इस दौरान यथार्थ कुमार, युगता गौतम, आदित्‍य कुमार, आयुष कुमार, हर्षित कुमार, आस्‍था कुमारी, अवनी नंदनी, म‍िहिर कुमार, दिव्‍यांशु कुमार आदि ने विशेषज्ञों से कई प्रश्‍न पूछकर जानकारी हासिल की।

    कार्यक्रम में स्क्वाड हेल्प (SQUAD HELP) के मनीष कुमार झा, राहुल मिश्रा, मानस कुमार झा, राजेश मिश्रा, श्‍वेता सुमन, श्‍वेता झा, खुशबू कुमारी, रंजीत और वरीय फिजिशियन डा. विनय कुमार झा आदि भी मौजूद थे।

    स्क्वाड हेल्प (SQUAD HELP) ने निदेशक प्रो. अरविंद चौबे, डा. संदीप राज, डा. रूपम भट्टाचार्य, डा. दिलीप कुमार चौबे, डा. अभिनव गौतम को अंग वस्‍त्र और बैम्बू प्लांट देकर सम्‍मानित किया तथा सभी बच्‍चों, अभिभावकों, शिक्षकों, कर्मचारियों और अतिथियों को अल्‍पहार पैकट दिया। 

    क्या होता हैं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) (कृत्रिम बुद्धिमत्‍ता)

    वर्ष 1965 में इंटेल के को-फाउंडर गोर्डोन ई मूरे ने एक नई थ्योरी रखी। जिसमें बताया गया है कि हर दो साल में कंप्यूटर में उपयोग होने वाले ट्रांजिस्टर अपनी प्रोसेसिंग पावर को बढ़ाकर दोगुना कर लेते हैं। इस नियम को मूरे लॉ कहा जाने लगा। कंप्यूटर की ये क्षमता आने वाले समय में और भी तेजी से बढ़ेगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर कई बड़े बिलियनेयर और विशेषज्ञ काफी चिंतित दिख रहे हैं। क्या एआई लोग की बुद्धिमत्ता को पीछे छोड़ देगा? तकनीकी क्षेत्र से जुड़े कई विशेषज्ञ एकमत हैं। कहा जा रहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विकास इंसान को विकास की दौड़ में पीछे कर सकता है।

    स्टीफन हॉकिंग, एलन मस्क से लेकर कई विशेषज्ञ एआई से इस विषय पर अपनी व्याख्याएं दिए थे। मैक्स टैगमार्क की पुस्तक लाइफ 3.0 में है - सदी के अंत तक आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस का विकास इंसानी बुद्धिमत्ता को पछाड़ देगा। महान वैज्ञानिक रहे स्टीफन हॉकिंग ने भी एआई से खतरों को लेकर कई बार आगाह किया था। एलन मस्क के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संपूर्ण मानवता के लिए सबसे अच्‍छा और सबसे खराब दोनों चीजें साबित हो सकती है।

    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से अभिप्राय कृत्रिम बुद्धिमत्ता से है। खुद सोचने, समझने और अंजाम देने में सक्षम है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की टर्म को वर्ष 1955 में जॉन मैकार्थी ने उछाला था। इस कारण जॉन मैकार्थी को फादर ऑफ एआई कहा जाता है। इसको समझने से पहले हमें इंसान के मस्तिष्क के बारे को समझना होगा, जो पैटर्न समझने में काफी तेज होता है। इस कारण कई सभ्यताओं और आविष्कारों को जन्म हुआ। लेकिन आज हम अपनी यही शक्ति मशीनों को दे रहे हैं। जब मशीनों को इस शक्ति का एक्सपोजर मिलेगा, तो खतरा पैदा हो सकता है।

    इंसानी मस्तिष्क एक सीमा के अंदर ही सूचनाओं को प्रोसेस करते हैं। लेकिन जब मशीनों की बात करें तो वह काफी तेजी से डेटा की प्रोसेसिंग करके रिजल्‍ट देता है। क्वांटम कंप्यूटिंग का विकास उसकी इस क्षमता को और शिखर पर ले जाने का काम करेगा।

    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अनंत मात्रा में डेटा को संग्रह करके काफी बड़े परिणाम निकालने में सफल होंगे। एआई के उद्देश्य हमारे उद्देश्यों से अगर मामूली बेमेल भी होते हैं, तो संपूर्ण मानवजाति के लिए यह खतरा साबित हो सकते हैं। इस कारण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर कई विशेषज्ञ काफी चिंतित दिख रहे हैं।