अमरी विशनपुर से बूढ़ानाथ तक गंगा नदी के दक्षिणी तट पर होगा कटाव निरोधी कार्य, ग्रामीणों ने लिखा CM को लेटर
भागलपुर के नाथनगर अंचल में अमरी विशनपुर से बूढ़ानाथ स्थल तक गंगा नदी के दक्षिणी तट पर कटाव निरोधी कार्य की योजना है। जिलाधिकारी ने जल संसाधन विभाग के ...और पढ़ें
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अजमेरीपुर दियारा में स्थल निरीक्षण करते एसडीएम और विधायक। (जागरण)
जागरण संवाददाता, भागलपुर। नाथनगर अंचल के अमरी विशनपुर से बूढ़ानाथ स्थल तक गंगा नदी के दक्षिणी तट पर स्थायी कटाव निरोधी कार्य किए जाने की योजना बनाई गई है।
इस संदर्भ में जिलाधिकारी डॉ. नवल किशोर चौधरी ने जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखा है। यह पत्र अनुमंडल पदाधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर भेजा गया है।
अनुमंडल पदाधिकारी, सदर द्वारा जिलाधिकारी को सूचित किया गया है कि भारतीय जलमार्ग प्राधिकरण ने नाथनगर अंचल के रत्तीपुर बैरिया, अमरी विशनपुर एवं अन्य क्षेत्रों में जहाज के आवागमन के लिए ड्रेजिंग कार्य प्रारंभ किया है। इस कार्य के विरोध में स्थानीय ग्रामीणों ने धरना-प्रदर्शन किया।
निरीक्षण के दौरान ग्रामीणों ने बताया कि इस कार्य के कारण गंगा का बहाव गांव की ओर मुड़ सकता है, जिससे कटाव और रैयती जमीन का जलमग्न होना संभव है।
ग्रामीणों के विरोध को समाप्त करने और कार्य की महत्ता को देखते हुए, गंगा के किनारे बसे गांवों और ग्रामीणों की भूमि को सुरक्षित रखने के लिए कटाव निरोधी कार्य कराना अत्यंत आवश्यक है।
इसके अतिरिक्त, जिलाधिकारी ने शहरी क्षेत्र की ओर गंगा को लाने के लिए भी पहल की है। उन्होंने भारतीय अंतदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण को पत्र भेजकर रतीपुर बैरिया से भागलपुर शहरी क्षेत्र की ओर गंगा नदी की धारा को पुनर्जीवित करने के लिए ड्रेजिंग कार्य कराने का अनुरोध किया है।
गंगा नदी पूर्व में भागलपुर शहर के निकट बहती थी, लेकिन विक्रमशिला सेतु के निर्माण के बाद इसका बहाव नवगछिया की ओर मुड़ गया है। इससे बाढ़ के दौरान क्षेत्र में पानी का दबाव बढ़ता है और तटबंधों को क्षति पहुंचने का खतरा रहता है।
ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
रत्तीपुर बैरिया के ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर रत्तीपुर बैरिया नाथनगर क्षेत्र में गंगा की धारा परिवर्तित करने के पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए तटबंध निर्माण व कटाव निरोधी कार्य कराने की मांग की है।
ग्रामीणों का कहना है कि गंगा की धारा गांव की ओर मोड़े जाने से कृषि भूमि कटाव की जद में आ सकती है। यदि सुरक्षा बांध नहीं बनाया गया तो पूरा क्षेत्र कटाव की जद में आ जाएगा। गंगा की धारा में परिवर्तन तभी उचित होगा, जब गांखें, खेतों, घरों और ग्रामीण बस्तियों को सुरक्षित कर दिया जाए।

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