अनामिका अंबर Vs शशिकांत यादव : कभी दरिया के अंदर भी समंदर जाग उठता है, देखिए तस्वीर
Anamika Amber Vs Shashikant Yadav भागलपुर में देश के नामचीन कवियों ने बांधा समा मारवाड़ी पाठशाला का मैदान बना ऐतिहासिक क्षण का गवाह। सजी ठहाकों की महफिल हंसते-हंसते लोटपोट हुए लोग। दैनिक जागरण के अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में उमड़ी भीड़।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। दैनिक जागरण ने भागलपुर में एक बार फिर ठहाकों की महफिल सजाई। मारवाड़ी पाठशाला के मैदान में खुले आसमान के नीचे आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में पहुंचे देश के नामचीन कवियों ने अपनी रचनाओं से ऐसा समां बांधा कि शाम से कब रात हो गई लोगों को पता ही नहीं चला।
कभी प्रेम रस की कविता नई पीढ़ी को रोमांचित कर रही थी, तो कभी हास्य व्यंग्य से सराबोर रचनाएं लोगों को गुदगुदा रही थी। देश भक्ति पर आधारित कविता पर भारत माता की जय जयकार की ध्वनि नई ऊर्जा का संचार कर रही थी।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए शशिकांत यादव ने अपने चुटीले अंदाज से लोगों को कई बाहर ठहाके लगाने पर मजबूर किया। नामचीन कवयित्री अनामिका अंबर जैन, हास्य-व्यंग्य के प्रसिद्ध कवि सुदीप भोला, महेश दुबे, वरिष्ठ कवि कमलेश राजहंस, ओज के हस्ताक्षर मानवीर मधुर ने भी अपनी रचनाओं से साहित्य की सतरंगी छटा बिखेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
इससे पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन जिला जज शिव गोपाल मिश्रा, डीआइजी विवेकानंद, कृषि विश्व विद्यालय सबौर के कुलपति अरुण कुमार सिंह, मेयर सीमा साहा, जिला परिषद अध्यक्ष अनंत कुमार साह उर्फ टुनटुन साह, जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. उमाशंकर सिंह और समाजसेवी बिजय कुमार यादव ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
इसके बाद अतिथियों ने दैनिक जागरण के संस्थापक पूर्णचंद्र गुप्त और मां शारदे की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की। दैनिक जागरण भागलपुर के संपादकीय प्रभारी देवेंद्र नाथ राय ने अतिथियों और मंच पर मौजूद कवियों का स्वागत किया।
अनामिका जैन अंबर ने मां शारदे के भजन से कार्यक्रम की शुरुआत की। मंच संचालन करते हुए शशि कांत यादव ने सुनाया- तोला से मन भर बोला है, पारा पानी में घोला है, सब कीड़े बाहर निकले, चुटकी भर तो सच बोला है..., से राजनीति पर करारा व्यंग्य किया। राजनीति पर व्यंग्य के लिए चर्चित सुदीप भोला ने बाबा जी को समझा था क्या कच्चा बादाम, साइकिल धड़ाम.. से लोगों को तालियां बजाने के लिए मजबूर कर दिया।
कवयित्री अनामिका जैन अंबर ने कभी दरिया के अंदर भी समंदर जाग उठता है... की प्रस्तुति से लोगों के दिल पर मजबूत दस्तक दी। एक से बढ़ कर एक प्रेम रस की कविता प्रस्तुत कर नई पीढ़ी का दिल जीत लिया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे डा. कमलेश राजहंस ने अपनी रचना यदि शब्द हुए गद्दार मेरे तो कलम तोड़ कर रख देना... पर खूब वाहवाही लूटी...।
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन के उद्घाटन समारोह का संचालन आकाशवाणी भागलपुर के वरीय उद्घोषक डा. विजय कुमार मिश्र 'विरजू भाई' ने किया। अपने बेहतरीन अंदाज से उन्होंने कवि सम्मेलन को प्रारंभ कराया। विरजू भाई के अपनी संचालनशैली से सभी को दीवाना बनाया।
भैया बहनों ने जीता दिल
आनंदराम ढांढनियां सरस्वती विद्या मंदिर के भैया बहनों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। आचार्य धीरज कुमार मिश्रा के नेतृत्व में विदिशा, प्राची बुधिया, प्राची रानी, गौरी आनंद, श्रेष्ठ आनंद, वैशाली ने गणेश वंदना, सरस्वती वंदना, स्वागत गीत और नृत्य पेश किया। इस अवसर पर प्राचार्य अनंत कुमार सिन्हा भी मौजूद थे।
अनामिका और शशिकांत के नोंकझोंक पर लोट पोट हुए श्रोता
दैनिक जागरण द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन के दौरान अनामिका जैन अंबर और संचालक कवि शशिकांत यादव के बीच हुई नोंकझोंक पर श्रोता लोटपोट हो गए। संचालन के दौरान शशिकांत यादव लोगों को गुदगुदाने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे थे। अनामिका ने कहा- देर रात में दो लोगों को ही फोन आता है। एक उधार का और दूसरा जुगाड़ का। इस पर शशिकांत ने कहा- यह भागलपुर है। यहां जुगाड़ भी उधार का ही आता है। इस क्रिसेंट इंग्लिश स्कूल पनसल्ला चौक के निदेशक शाह रजी अहमद, शिक्षक नसीम अहमद आदि मौजूद थे। शाह रजी अहमद ने कहा कि शानदार आयोजन रहा। हंसते हंसते कब आधी रात ढल गई, पता ही नहीं चला।
दुश्मन देश के बच्चे भी निकले ओढ़ तिरंगा, भारत है सब पे भारी तिरंगा शान हमारी
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में देश भक्ति की भावना पूरे आवेग पर दिखी। वीर रस के ओजस्वी कवि शशिकांत यादव ने सुनाया - तोला से मन भर तोला है, पारा पानी में घोला है, सब कीड़े बाहर निकले हैं, चुटकी भर तो सच बोला है। यूक्रेन संकट के दौरान भारतीय छात्रों के बचाव को लेकर भारतीय कुटनीति की जीत को रेखांकित करते हुए कवि शशिकांत यादव ने कहा कि दुश्मन देश के बच्चे भी निकले देखो ओढ़ तिरंगा, भारत है सब पे भारी, तिरंगा है शान हमारी पर पूरा कार्यक्रम स्थल तालियों से गूंज उठा।
बाबा को समझा था क्या कच्चा बादाम ...
नेताजी लपेटे में फेम सुदीप भोला ने जहां राजनीति पर करारा व्यंग्य किया वहीं, शहीदों को नमन करते हुए जब वर्दियां कविता सुनाई, तो हर कोई भावुक हो उठा। कच्चा बादाम का पालिटिकल वर्जन भी लोगों को खूब भाया। पहिया तेरा साइकिल वाला टेढ़ा-मेढ़ा, टूटी चेन लेकर डबल इंजन चली बाबा की ट्रेन, बाबाजी को समझा था क्या कच्चा बादाम कविता पर देर तक तालियों के बीच ठहाके लगते रहे।
सुदीप भोला : वर्दियां ये वर्दियां जो वतन के वास्ते खून में सनी रही, रेश-रेश देश के लिए बनी रही आन-बान-शान स्वाभिमान की धनी बनी रही, तन हुए खाक पर खाकी तनी रही, जोड़ती रही वतन उड़ा कर अपनी धज्जियां, वर्दियां ये वर्दियां कविता के माध्यम से जब शहीदों को काव्यांजलि दी गई, तो कार्यक्रम स्थल भारत माता की जय के नारों से गूंज उठा।
अनामिका और शशिकांत के नोंकझोंक पर लोट पोट हुए श्रोता
दैनिक जागरण द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन के दौरान अनामिका जैन अंबर और संचालक कवि शशिकांत यादव के बीच हुई नोंकझोंक पर श्रोता लोटपोट हो गए। संचालन के दौरान शशिकांत यादव लोगों को गुदगुदाने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे थे। अनामिका ने कहा- देर रात में दो लोगों को ही फोन आता है। एक उधार का और दूसरा जुगाड़ का। इस पर शशिकांत ने कहा- यह भागलपुर है। यहां जुगाड़ भी उधार का ही आता है। इस क्रिसेंट इंग्लिश स्कूल पनसल्ला चौक के निदेशक शाह रजी अहमद, शिक्षक नसीम अहमद आदि मौजूद थे। शाह रजी अहमद ने कहा कि शानदार आयोजन रहा। हंसते हंसते कब आधी रात ढल गई, पता ही नहीं चला।
लोकतंत्र अलगाववाद की भेंट चढ़ गया
वरिष्ठ कवि डा. कमलेश राजहंस ने अपनी कविता के माध्यम से वर्तमान राजनीतिक हालात पर तीखा व्यंग्य किया। लोकतंत्र अलगाववाद की भेंट चढ़ गया, बेबस जनता घोर जलालत झेल रही है, आजादी की पंचाली है लगी दांव पर, राजनीति सांसद में जुआ खेल रही है। ऐसे में कलमकार की कलम कहीं बिक जाएगी, भूषण और दिनकर की छाती में दरार पड़ जाएगी कविता पर लोगों ने तालियां बजा कर कवि की रचनाओं को अपना समर्थन दिया।
स्वार्थ सोच में घर कर ले, तो जीवन रण हो जाता है
वीर रस के प्रसिद्ध कवि मानवीर मधुर ने स्वार्थ सोच में घर कर ले तो जीवन रण हो जाता है, अपने ही विपरीत धरा का कण-कण हो जाता है, ज्ञान बाहुबल या फिर साहस कुछ काम नहीं आता, मन में राम नहीं हो तो ये तन रावण हो जाता है, विफल शास्त्र के होने पर शस्त्र जगाना पड़ता है, तब शांति दूत को भी युद्ध सजाना पड़ता है सुना कर लोगों की तालियां बटोरी। वहीं, संवेदनशील मुद्दों पर हो रही राजनीति पर व्यंग्य करते हुए सुनाया- अपने पर आ गए तो कोई भी नहीं जवाब, ऐसे लाजवाब से सवाल हुए चौबे जी, भाषा और वाणी से भी बड़े दिखते कड़क, भावनाओं से बड़े दायालु हुए चौबे जी, फिर तो कमाल पर कमाल हुए चौबे जी, संस्कार और विद्वता का दिव्य रूप लिए माता यमुना का लाल हुए चौबे जी पर जमकर तालियां बजी।
चौकीदार ने घुमाई लठ तो सब एक हो गए
हास्य के चर्चित कवि महेश दुबे ने अपने चुटीले अंदाज से लोगों को खूब हंसाया। कटुता का भव त्याग चट एक हो गए, मुंडवा का लट सब एक हो गए, दिल्ली के चौकीदार ने घुमाई लठ, तो सब एक हो गए सुन कर लोग तालियां बजाने पर मजबूर हो गए।
दरिया के अंदर भी समंदर जाग उठता है...
अनामिका जैन अंबर ने प्रेम रस की कविता सुना कर युवाओं का खूब मनोरंजन किया। अनामिका ने कभी दरिया के भी अंदर समंदर जाग उठता है। मिले सम्मान हीरे का तो पत्थर जाग उठता है। मेरा ईश्वर, तेरा अल्लाह मालिक एक है सब का, मेहरबानी हो उसका तो मुकद्दर जाग उठता है। चली आऊंगी सब छोड़ कर तुम आवाज दे देना सुनाया तो दर्शक भी संग संग गुनगुनाने लगे।
मारवाड़ी पाठशाला की ओर बढ़ रहे थे हर कदम
मानो शहर की सभी सड़कें मारवाड़ी पाठशाला की ओर मुड़ गई हों। दैनिक जागरण की ओर से आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन के प्रारंभ होने का समय संध्या सात बजे निर्धारित था। शाम छह बजे से ही लोग मारवाड़ी पाठशाला मैदान पहुंचने लगे थे। सात बजे तक मैदान में लगी कुर्सियां भर गई थी। देर से आने वाले लोग जगह ढूंढ रहे थे। जिन्हें जगह नहीं मिली, उनके चेहरे पर बैचेनी के भाव नहीं थे। वे खड़े होकर भी अपने पसंदीदा कवि को देखने-सुनने को आतुर दिखे। जिले के अलग-अलग प्रखंडों से लोग कवि सम्मेलन का साक्षी बनने पहुंचे थे।
सबसे पहले आनंदराम ढांढनिया स्कूल की छात्राओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। कवियों की रचनाओं के साथ लोगों के चेहरे के हाव-भाव भी बदल रहे थे। कभी ठहाके लग रहे थे तो कभी तालियों गडग़ड़ाहट से पूरा स्कूल परिसर गुंजाएमान हो रहा था।
कवियों ने लोगों को इस कदर गुदगुदाया कि शुक्रवार की शाम वहां मौजूद लोगों के लिए यादगार बन गई।
कवियों ने जहां लोगों का मनोरंजन किया, वहीं भ्रष्टाचार, राजनीति में आ रही गिरावट पर तीखा व्यंग्य भी किया। मुहब्बत के नग्मों के साथ ही विरह-वेदना को भी कवियों ने स्वर दिया। ज्यों-ज्यों रात ढलती गई महफिल जवां होती गई।
हिंदी साहित्य को समृद्ध करने में दैनिक जागरण का प्रयास सराहनीय है। अखिल भारतीय कवि सम्मेलन नई पीढ़ी में साहित्य के प्रति अभिरूची पैदा करने में कारगर साबित होगा। युवाओं में कविता लिखने-पढऩे के प्रति जागरुकता आएगी। - बिजय कुमार यादव, समाजसेवी
साहित्य समाज का दर्पण होता है। ऐसे आयोजन नई पीढ़ी को साहित्य-संस्कृति से जुडऩे का अवसर प्रदान करती है। दैनिक जागरण का यह प्रयास सराहनीय है। - राजेश संथालिया, मैनेजिंग डायरेक्टर
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में में संचालन करने आए आकाशवाणी भागलपुर के वरीय उद्घोषक डा विजय कुमार मिश्र 'विरजू भाई' ने कहा कि एक अद्भुत कार्यक्रम फिर एक बार भागलपुर के लोगों के सामने दैनिक जागरण ने प्रस्तुत किया। हमेशा यह समाचार पत्र सामाजिक सरोकार से जुड़ रहा है। उन्होंने दैनिक जागरण को इस आयोजन के लिए धन्यवाद दिया।
मोबाइल और वीडियो गेम में अपना समय व्यतीत करने वाली नई पीढ़ी जिस तरीके घंटों बैठ कर कविता सुनती रही, यह सकारात्मक बदलाव के संकेत हैं। दैनिक जागरण प्रत्येक वर्ष अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन करा कर अपने सामाजिक सरोकार का बेहतर तरीके से निर्वाहण कर रहा है। - डा. सुदर्शन सिंह, हल्लोमेडस हास्पिटल
दैनिक जागरण परिवार को बधाई। यह प्रयास सराहनीय है। कोरोना संकट के बाद पहली बार लोग खुल कर हंसे। देश के वीर जवानों को समर्पित कविता लोगों को काफी समय तक याद रहेगी। - आनंद प्रियदर्शी, निदेशक हल्लोमेडस हास्पिटल
दैनिक जागरण परिवार को बधाई। एक साथ देश के सभी चर्चित कवियों को सुनने का अवसर मिला। ऐसे आयोजन से नई पीढ़ी में साहित्य के प्रति जागरुकता बढ़ेगी। - सूरज वर्मा, हरिओम लक्ष्मी नारायण ज्वेलर्स
साढ़े चार घंटे तक लोगों ने किया मनोरंजन
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में आए देश के बेहतरीन छह कवियों को सुनने काफी संख्या मेंं लोग वहां पहुंचे। समय से पूर्व ही कार्यक्रम स्थल पर लोग आ गए थे। देर रात तक सभी जुटे रहे। इस दौरान चिकित्सक, व्यवसायी, सामाजिक कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधि, विभिन्न पार्टियों के नेता, प्रशासनिक अधिकारी, न्यायिक अधिकारी, शिक्षा विभाग के लोग, प्रोफेसर, शिक्षक, वैज्ञानी, कृषि विज्ञानी, खिलाड़ी, रंगमंंच कलाकार, स्थानीय कवि, गायक, आकाशवाणी कलाकार आदि कवि सम्मेलन में शामिल हुए।
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