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    डेंगू, टायफायड या कोरोना के सारे लक्षण, पर रिपोर्ट निगेटिव, चिकित्‍सक भी परेशान, किसका और कैसे करें इलाज

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By:
    Updated: Fri, 12 Nov 2021 10:33 PM (IST)

    हाल के दिनों में सर्दी खांसी व बुखार की समस्‍या बढ़ी हुई है। सर्दी व खांसी जल्‍द ही ठीक हो जा रहा है। लेकिन कमजोरी सिर दर्द हल्का बुखार जोड़ों का दर्द ...और पढ़ें

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    सभी प्रवृत्ति के वायरस बदल रहा स्वरूप, चिकित्सक हो रहे परेशान।

    जागरण संवाददाता, भागलपुर। सर्दी, खांसी व बुखार आना आम बात है। लेकिन हाल के दिनों में सर्दी व खांसी दो से तीन दिनों में ठीक हो जा रहा है। पर कमजोरी, जोड़ों का दर्द, सिर दर्द, हल्का बुखार काफी दिनों तक रह जा रहा है। सामान्य जांच में बीमारी पकड़ में नहीं आ रही है। डेंगू, टायफायड या कोरोना के सारे लक्षण रहने के बावजूद रिपोर्ट पाजिटिव की जगह निगेटिव आ रहा है। हाल के दिनों में युवाओं के साथ बच्चे काफी बीमार पड़ रहे हैं। खासकर चार से नौ वर्ष के बच्चे वायरल फीवर से अत्यधिक प्रभावित हो रहे हैं। राहत की बात है कि इनकी मृत्युदर नहीं के बराबर है। इन्हीं मरीजों में से कुछ मरीजों को सांस फूलने व सांस लेने की समस्या काफी दिनों तक रह जा रही है। लेकिन एक्सरे व सिटी स्कैन कराने पर कोरोना के कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं। डेंगू जैसे लक्षण वाले मरीज को बुखार, सिरदर्द, जोड़ों का दर्द, कमजोरी व प्लेटलेट्स कम होने के बावजूद रिपोर्ट निगेटिव आ रहा है। लेकिन चिकित्सक इलाज डेंगू का कर रहे हैं। इस इलाज से मरीज ठीक हो जा रहे हैं। कोरोना लक्षण वाले मरीजों का भी जांच रिपोर्ट निगेटिव आ रहा है। डीडाइमर व सीआरपी बढ़े रहने के बाद भी रिपोर्ट निगेटिव आ रहा है।

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    डीडाइमर, सीआरपी व फेरीपीन की जांच से मिलती है सही जानकारी

    चिकित्सकों का कहना है कि हाल के दिनों में तीन जांच कोरोना संक्रमितों की पुष्टि के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इनमें से डीडाइमर, सीआरपी व फेरीपीन शामिल हैं। डीडाइमर की जांच से पता चलता है कि खून मोटा है या पतला। दूसरी सीआरपी व फेरीपीन की जांच से मरीज की स्थिति की गंभीरता का पता चलता है। सांस फूलने के बाद मरीज का सीटी स्कैन कराना भी उपायोगी होता है। चिकित्सकों का कहना है कि इन जांचों के बाद मरीज का कारगर इलाज करना संभव हो जाता है। उसके बाद गंभीर रोगियों को भी बचाने की संभावना बढ़ जाती है।

    जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के सहायक प्राध्यापक डा. आलोक कुमार सिंह का कहना है कि एंटीजन और आरटीपीसीआर जांच के दौरान कभी कभी कोरोना वायरस संक्रमण की सही जानकारी नहीं मिल पाती है। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी कई मरीज कोरोना पाजिटिव रहते हैं। डीडाइमर, सीआरपी व फेरीटीन की जांच के बाद पता चल जाता है कि मरीज कितना गंभीर है। समय से मरीज की गंभीरता का पता चल जाने से समय पर इलाज शुरू हो जाता है और मरीज की जान बच जाती है। डीडाइमर की जांच से पता चलता है कि मरीज का खून मोटा है या पतला।

    अगर मरीज का खून मोटा होता और थक्का की जानकारी मिलती है तो उसे पतला करने की दवा चलाई जाती है। इस जांच से किडनी, हृदय, फेफड़े में खून के थक्का बनने की जानकारी मिलती है। रिपोर्ट निगेटिव आने पर पता चलता है कि रिपोर्ट फेफड़ा में खून का थक्का नहीं जम रहा है। मरीज की स्थिति ठीक है। इससे शरीर के प्रोटीन लेवल की भी जानकारी मिलती है। कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों में प्रोटीन का टुकड़ा घुलने से थक्का जमने लगता है। सीआरपी जांच से मरीज की गंभीरता का पता चलता है। मरीज कितना सीरियस है, इसकी जानकारी मिल जाती है। सीआरपी लेवल दस मिलीग्राम या इससे ज्यादा होने पर मरीज की स्थिति गंभीर मानी जाती है। फेरिटीन की मात्रा तीन सौ नैनोग्राम होने की स्थिति में मरीजों की हालत गंभीर मानी जाती है। सांस फूलने, सांस लेने में तकलीफ होने, दम फूलने जैसी स्थिति सिटी स्कैन कराया जाता है। सिटी स्कैन से पता चलता है कि फेफड़ा कितना संक्रमित है।

    वायरस का स्वरूप बदल रहा है। कई बीमारी के लक्षण दिखने के बाद भी जांच रिपोर्ट निगेटिव आ रहा है। संबंधित इलाज के बाद मरीज ठीक हो रहे हैं। - डा. आलोक कुमार सिंह, सहायक प्राध्यापक, जेएलएनएमसीएच