Sawan 2024: ये है बाबा भोलेनाथ का विश्वप्रसिद्ध मंदिर, त्रिशूल के अलौकिक दर्शन से पूरी होती है हर मनोकामना!
Ajgaivinath Mandir बिहार के भागलपुर में गंगा के किनारे स्थित अजगैवीनाथ धाम मंदिर भगवान शिव के विश्वप्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि भगवान शिव का त्रिशूल यहीं स्थापित है। मान्यता है कि अजगैवीनाथ धाम में शिवलिंग और महादेव के त्रिशूल के दर्शन मात्र से सारी मनोकामना पूरी हो जाती है। सावन में तो यहां शिव भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
संवाद सूत्र अजगैवीनाथ धाम। Ajgaibinath Temple Bhagalpur : अजगैवीनाथ धाम की पुण्य पावन धरती पर अवतरित महादेव शिव की मनोकामना मंदिर त्रेता काल से ही शिव भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण कर रहा हैl सावन के महीने में यहां शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। कहा जाता है कि भगवान शिव का त्रिशूल यहीं स्थापित है।
गंगा की लहरों के बीचो-बीच ग्रेनाइट पत्थर से बेहद बारीक तरीके से बना यह मंदिर विराट दिव्य और अलौकिक है। मंदिर का प्रांगण मनमोहित करने है वाला है।
मन मोहने वाला है मंदिर का नजारा
यहां के पत्थरों पर उत्कृष्ट नक्काशी और शिलालेख श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। गंगा के लहरों के साथ अटखेलिया करता यह मंदिर पूर्व बिहार और अंग क्षेत्र का मान सम्मान और अभिमान है।
भागलपुर से 26 किलोमीटर दूर पश्चिम सुल्तानगंज में उत्तरायणी गंगा के मध्य स्थित यह मंदिर पहाड़ पर स्थित है। मंदिर के चारों तरफ पहाड़ों पर फैली हरियाली, इसे प्राकृतिक रूप से सुंदर बनाते हैं।
दर्शन मात्र से पूरी होती है मनोकामना
मान्यता है कि मंदिर में स्थापित मनोकामना शिवलिंग के दर्शन मात्र से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। यही भी मान्यता है कि यहां भगवान शिव का त्रिशूल है, जिसके दर्शन से पुण्य मिलता है।
अजगैवीनाथ गर्भगृह से बाबा बैद्यनाथ धाम तक सीधा रास्ता
सावन में अजगैवीनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर की गर्भगृह से एक रास्ता सीधे देवघर की बाबा बैद्यनाथ शिव मंदिर तक जाता है। पहले इसी रास्ते से प्रतिदिन यहां के पुजारी गंगाजल लेकर बाबा बैद्यनाथ धाम पर जल अर्पण करते थे।
मनोकामना शिवलिंग के अभिषेक के बाद देवघर पहुंचे हैं भक्त
इस मंदिर की विशेषता व अलौकिकता का अंदाजा इसी से लगाया जाता है कि श्रद्धालु पहले इस मनोकामना शिवलिंग का अभिषेक करते हैं, तत्पश्चात 105 किलोमीटर पैदल चलकर देवघर पहुंचते हैं l
आध्यात्म और पर्यटन का बना केंद्र
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