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    आद्रा नक्षत्र 2022 : खीर और आम का विशेष महत्‍व, इन देवी-देवताओं का करें पूजन, मिलेगा यह फल

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By:
    Updated: Fri, 24 Jun 2022 07:39 AM (IST)

    आद्रा नक्षत्र 2022 इस नक्षत्र का प्रवेश हो गया है। इस नक्षत्र में देवी-देवताओं के पूजन का विशेष महत्व है। खीर आम सहित मिष्ठान भोजन करने की परंपरा ह ...और पढ़ें

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    आद्रा नक्षत्र 2022 : बुधवार की सांय 7 बजकर 13 मिनट पर उर्जा और प्रकाश देने वाले सूर्य

    संवाद सहयोगी, भागलपुर। आद्रा नक्षत्र 2022 : 22 जून 2022 बुधवार की सायं 7 बजकर 13 मिनट पर उर्जा और प्रकाश देने वाले सूर्य आद्रा नक्षत्र में प्रवेश किया। आद्रा को कृषक कार्य करने वाले लोगों का सहयोगी माना जाता है।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 27 नक्षत्रों में आद्र्रा छठा नक्षत्र है। जिसे जीवनदायी भी कहा जाता है। वैसे , आद्रा नक्षत्र में खीर, आम सहित मिष्ठान भोजन करने की परंपरा है।

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    ज्योतिषाचार्य पंडित सचिन कुमार दुबे ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि आद्रा नक्षत्र प्रवेश करते ही दो दिनों तक किसान मिट्टी की खोदाई व जुताई नहीं करते हैं। आद्रा का शाब्दिक अर्थ गीला अर्थात नमी होती है। सूर्य के आद्र्रा में प्रवेश से ही मानसून का आगमन हो जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार आद्रा नक्षत्र में देवी देवताओं का पूजन और दर्शन का विशेष महत्व है। इस समय हिंदू धर्मावलंबियों को मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए। वैदिक ज्योतिष अनुसार भगवान शंकर का रुद्र रूप इस नक्षत्र का मालिक होते हैं जो भक्तों का कल्याण करते हैं। इस तरह आद्रा नक्षत्र जहां एक ओर वर्षा लेकर आता है वहीं आध्यात्मिक दृष्टि है। 

    ज्योतिषाचार्य पंडित सचिन कुमार दुबे ने बताया कि यह मुख्यत: राहु ग्रह का नक्षत्र है, जो मिथुन राशि में आता है। आद्र्रा नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक जिज्ञासु प्रवृत्ति के होते हैं। इसके चारों चरणों पर मिथुन का स्पष्ट प्रभाव रहता है। सूर्य जब आद्र्रा नक्षत्र पर होता है, तब पृथ्वी रजस्वला होती है और इसी पुनीत काल में कामाख्या तीर्थ में अंबुवाची पर्व का आयोजन किया जाता है। यह नक्षत्र उत्तर दिशा का स्वामी है। आद्रा के प्रथम चरण व चौथे चरण का स्वामी गुरु, तो द्वितीय व तृतीय चरण का स्वामी शनि है। आमतौर पर जून माह के तृतीय सप्ताह में आद्रा नक्षत्र का उदय होता है। हिंदू धर्म में इस नक्षत्र की काफी महत्‍व है। लोगों का ज्‍यादातर समय पूजन-पाठ पर होता है।