Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    एक डॉक्टर ऐसा जो भूखों को देते हैं खाना, गरीबों का फ्री में करते हैं इलाज

    By Abhishek KumarEdited By:
    Updated: Sun, 20 Dec 2020 11:32 PM (IST)

    भागलपुर के डॉ. पी राम केडिया गरीबों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं है। वह हर रोज गरीब मरीजों का फ्री इलाज करते हैं। इतना ही नहीं वे जरूरतमंदों को भोजन भी कराते हैं। इनके पास कोसी और सीमांचल से बड़ी संख्या में मरीज आते हैं।

    Hero Image
    भागलपुर स्थिति अपने क्लीनिक में डॉ. पीराम केडिया।

    भागलपुर [नवनीत मिश्र]। कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के लिए डॉ. पीराम केडिया हमदर्द साबित हो रहे हैं। जहां अन्य चिकित्सक कोरोना पीडि़त मरीजों का नाम सुनते ही दूरी बना ले रहे हैं, वहीं डॉ. केडिया पूरी सिद्दत से उनका इलाज कर रहे हैं। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लॉकडाउन के दौरान जब शहर के ज्यादातर चिकित्सकों ने अपनी-अपनी क्लीनिकों व हॉस्पीटलों को बंद कर रखा था, तब भी डॉ. केडिया अपनी क्लीनिक खोलकर मरीजों का इलाज कर रहे थे।

    लॉकडाउन के दौरान और इसके बाद भी उन्होंने अपनी फीस नहीं बढ़ाई। अभी भी वे मरीजों से मात्र तीन सौ रुपये फीस ले रहे हैं। जबकि पांच सौ से कम फीस किसी फिजिशियन का नहीं है। गरीबों के लिए तो वे मसीहा हैं। इलाज के लिए पैसे नहीं होने पर वे उनका फ्री में उपचार तो करते ही हैं, दवा भी उपलब्ध करा देते हैं।

    इतना ही नहीं गुरुवार को गरीबों के लिए भंडारा करते हैं। शाम साढ़े चार बजे से साढ़े पांच बजे तक होने वाले भंडारा में लोगों को भरपेट भोजन कराते हैं।

    बेटियों को इलाज के लिए भेजा अस्पताल

    डॉ. पीराम केडिया की तीन बेटी डॉक्टर और एक इंजीनियर है। बेटा डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहा है। लॉकडाउन के दौरान डॉ. केडिया की दो बेटियों ने सरकारी नौकरी छोड़कर अस्पताल नहीं जाने की बात कही थी। पर डॉक्टर साहब ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया। उन्होंने बेटियों को समझाया था कि डॉक्टर बनी हो तो मरीजों का इलाज करो। अभी मरीजों को अच्छे डॉक्टरों की जरूरत है। वे इलाज के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं।

    28 जनवरी को ले लिया वीआरएस

    डॉ. केडिया मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज में प्राध्यापक थे। पांच वर्ष पहले उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के लिए आवेदन दिया था। लेकिन उन्हें वीआरएस नहीं दिया गया। उन्हें वीआरएस मिला 28 जनवरी 2020 को। नौकरी के दौरान उन्हें भागलपुर व मुजफ्फरपुर दोनों ही जगहों पर समय देना पड़ता है। उनके वीआरएस लेने का फायदा कोरोना मरीजों को मिला।

    अमौर में रखते थे डिब्बा

    डॉ. केडिया पूर्णिया जिले के अमौर रेफरल अस्पताल में पोस्टेड थे, तब अपनी क्लीनिक में एक डिब्बा रखते थे। जो मरीज दिखाने आते थे, वे उसी डिब्बे में फीस डालकर चले जाते थे। फीस मरीज की इच्छा पर होता था। कोई पांच, दस तो कोई 50 सौ रुपये भी डिब्बे में गिरा देता था। वे वहां जब तक कार्यरत रहे, तब तक डिब्बा में ही फीस लेते थे। भागलपुर में क्लीनिक खोलने के बाद दो सौ रुपये फीस रखा। इसके तीन वर्ष बाद बाद तीन सौ रुपये फीस किया। उन्होंने नौकरी की शुरुआत 1990 में बांका जिले के बौंसी रेफरल अस्पताल से की थी। 2008 में मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज में योगदान दिया। उन्होंने 31 वर्ष नौकरी की। 60 वर्ष पूरा होने के पहले ही वीआरएस के लिए आवेदन दे दिया था।