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    साधु साध्वी : लव, सेक्स एंड धोखा

    By Edited By:
    Updated: Thu, 30 Aug 2012 12:40 AM (IST)

    जागरण प्रतिनिधि, भागलपुर : यह कहानी बॉलीवुड फिल्म लव, सेक्स एंड धोखा से कम रोमांचक नहीं है। पहले फिल्मी कहानी के बारे में जान ले.। इस कहानी में लड़की से हीरो प्यार करता है फिर उसके साथ सेक्स करता है फिर उसका एमएमएस बनाकर बेंचने की बात सोंचता है। यह बात फिल्म की हो गयी.। ठीक इसी तरह दो साध्वी बहनों के साथ हुआ। हालांकि इनकी फिल्म नहीं बनी लेकिन इनके साथ सेक्स हुआ और धोखा भी। साध्वी बहने मनिहारी, कटिहार की।

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    साध्वी बहन की कहानी में कई जगह घुमाव है..। फिल्म शुरू होती है राजेश्वरानंद बाबा और आज्ञानंद बाबा उर्फ मंटू बाबा से.। उन्होंने दोनों बहनों को पहले शादी का झांसा दिया फिर जमीन का लालच देकर साध्वी के गांव से रामपुर लाये। फिर दोनों बहनों का साध्वी का चोला पहना रामपुर में महर्षि मेंहीं आश्रम के नाम पर लोगों को धर्म व अध्यात्म की चासनी पिलाने लगे। मगर पीछे मकसद वही था आश्रम की 14 बीघा जमीन। राजेश्वरानंद बाबा की नीयत को गांव के लोगों ने भांप लिया था और इसी डर से उन्हें गांव छोड़ वापस हरिद्वार भागना पड़ा। आश्रम में बच गई दोनों बहनें और मंटू बाबा। मंटू बाबा भी इसी फिराक में थे किसी तरह दोनों बहने आश्रम छोड़ दें ताकि आश्रम में उनका आधिपत्य कायम रहे। और फिर शुरु हो गया दोनों बहनों के साथ यौन अत्याचार। यह लव सेक्स एंड धोखा नहीं है तो और क्या है।

    मगर इस पूरे कहानी में तार-तार हो गई महर्षि मेंही आश्रम की गरिमा। कुप्पा घाट लाख पल्ले झाड़ ले कि रामपुर स्थित आश्रम से महासभा और कुप्पा घाट से कोई संबद्धता नहीं है, पर दोनो आरोपी बाबा परमपूज्य महर्षि मेंही के नाम पर ही रामपुर में संत बने फिरे थे।

    कुप्पा घाट आश्रम में नहीं है साध्वी की परंपरा

    इस पूरे प्रकरण पर जब कुप्पा घाट प्रशासन और वहां के साधुओं से बात की गई तो पहली बात यही उभर कर सामने आई कि महर्षि मेंही आश्रम में साध्वी बनाने की कोई परंपरा ही नहीं है। हां कोई अपने स्वेच्छा से संतमत मंदिर खोल गुरुमत का प्रचार प्रसार कर सकता है। बनमनखी स्थित संतमंत मंदिर में मीना देवी और मुरलीगंज में सावित्री देवी गुरुमत का प्रचार प्रसार और सत्संग कर रही है। इतना ही नहीं प्रशासक स्वरुपानंद बाबा ने यह भी बताया कि रामपुर स्थित आश्रम की जमीन से भी महासभा को कोई मतलब नहीं है। दरअसल, यह जमीन स्वामी शाही बाबा के समय में दान में मिली थी। शाही बाबा और उनके अनुयायियों से कुप्पा घाट का कोई संबंध नहीं है।

    महासभा ने जारी की संतमंत मंदिरों की सूची

    संतमंत मंदिरों और आश्रमों में लगातार हो रही अनैतिक घटनाओं के मद्देनजर महासभा ने बुधवार को 138 संतमंत मंदिरों की सूची जारी की है। प्रशासक स्वरुपानंद बाबा ने बताया कि सिर्फ कुप्पा घाट के आश्रम का नाम ही महर्षि मेंही आश्रम के नाम से महासभा में सूचीबद्ध है। बाकी संतमंत मंदिर के नाम से जाने जाते हैं। इसके संचालन और देखभाल की जिम्मेवारी कुप्पा घाट की नहीं है।

    कोट

    - महासभा जल्द ही संतमंत मंदिरों के साधुओं के आचरण और उनके ब्रह्माचर्य का सत्यापन कराएगी।

    स्वामी स्वरुपानंद बाबा, प्रशासक

    महर्षि मेंही आश्रम, कुप्पा घाट

    कोट

    - पूज्यवर महर्षि मेंही दास ने कभी भी किसी महिला को साध्वी का चोला पहनने की सलाह नहीं दी। आश्रम में महिलाएं आती भी हैं तो अपने अभिभावक के साथ और उन्हें सिर्फ तीन दिन ही रहने की इजाजत है।

    - डॉ. स्वामी गुरु प्रसाद, प्रवक्ता

    महर्षि मेंही आश्रम, कुप्पा घाट

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