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    बटेश्वरस्थान गंगा पंप नहर परियोजना: 30 साल में खर्च हो गए 828 करोड़, अब भी खेतों तक नहीं पहुंचा पानी

    By Abhishek KumarEdited By:
    Updated: Thu, 23 Dec 2021 11:30 AM (IST)

    भागलपुर का बटेश्‍वरस्‍थान गंगा पंप नहर परियोजना 30 साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है। इस परियोजना पर अब तक 828 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। लेकिन कि ...और पढ़ें

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    भागलपुर बटेश्‍वस्‍थान गंगा पंप नहर परियोजना का काम अब भी अधूरा है।

    कहलगांव [विजय कुमार विजय]। कहलगांव स्थित बटेश्वरस्थान गंगा पंप नहर परियोजना का पानी तीन साल बाद भी किसानों के खेतों तक नहीं पहुंचा। बता दें कि परियोजना का उद्घाटन करीब साढ़े तीन साल पहले हुआ था। उस वक्त किसानों की आस जगी थी कि अब पानी के बिना फसल नहीं बर्बाद होगी। लेकिन आजतक यह आस आज पूरी नहीं हो पाई। आज भी नहर सुखी है।

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    43 वर्ष बाद भी अधूरी पड़ी है परियोजना

    विडंबना तो इस बात की है। 43 वर्ष बीत गए। फिर भी परियोजना अधूरी पड़ी हुई है। ज्ञात हो कि परियोजना से संबंधित प्रश्न विधानसभा में भी उठाई गई थी। बावजूद इसका कायाकल्प नहीं हो पाया। आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी है विभाग या सरकार के पास। जो कि इस परियोजना के प्रति लापरवाही बरत रहे हैं। दिलचस्प बात तो यह है कि हर साल परियोजना के लिए फंड का आवंटन हो रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि वर्ष 1977 में ही परियोजना का निर्माण कार्य शुरू हुआ था।

    तब के तत्कालीन सिंचाई मंत्री सदानंद सिंह के प्रयास से परियोजना की स्वीकृति मिली थी। बताया जाता है कि यह सदानंद सिंह का यह ड्रीम प्रोजेक्ट था। उस समय इसकी लागत 100 करोड़ रुपये रखी गई थी। समय के साथ-साथ लागत व खर्च बढ़ती गई। वर्तमान में परियोजना के निर्माण में 828 करोड़ 80 लाख रुपये से ज्यादा खर्च हो गया। बावजूद निर्माण कार्य अधूरा पड़ा हुआ है। यह परियोजना शुरू से ही विभाग और नेताओं के लिए दुधारू गाय बनी हुई है। निर्माण कार्य शुरू होने के बाद जब काम में तेजी आई तो घालमेल होने लगा। एक राजनेता ने तो जमकर फायदा उठाया था।

    उस वक्त हुई जांच में करीब दो दर्जन से ज्यादा कार्यपालक अभियंता, सहायक एवं कनीय अभियंता निलंबित हुए थे। पहले तीन डिवीजन था। अब दो ही रह गया है। इस परियोजना में सेतपुरा कुलकुलिया से गंगा से पानी लिफ्ट कर पंप हाउस फेज टू जो शिवकुमारी पहाड़ की तराई में है। वहां ले जाकर फिर से लिफ्ट कर मुख्य नहर में छोडऩे की व्यवस्था है। इस परियोजना से बिहार की 22 हजार 716 हेक्टेयर एवं झारखंड के 27 हजार 623 हेक्टेयर में सिंचाई का लक्ष्य रखा गया था।

    अभी तक सिर्फ अकबरपुर रानीपुर तक ही मुख्य नहर केनाल का निर्माण हो पाया है। आगे अधूरा पड़ा हुआ है। हरिश्चंद्रपुर, कुशापुर, वंशीपुर,आदि वितरणी का कार्य धीमी गति से चल रहा है। किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए काडा सिस्टम नाला का भी निर्माण नहीं हुआ है। इस परियोजना का आनन फानन में ही 19 सितंबर 2017 को तैयारी की जा रही थी कि 15 सितम्बर को ही जर्जर हो चुके मुख्य नहर केनाल में ट्रायल के दौरान ही एनटीपीसी अंडर पुल के पास ध्वस्त हो गया था।

    इसकी मरम्मती के बाद 15 फरवरी 18 को अधूरे योजना का ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा उद्घाटन कर दिया गया था। उद्घाटन के समय मुख्यमंत्री ने कहा था कि छह माह के अंदर किसानों के खेतों में पानी पहुंच जाएगा। तब किसानों को उम्मीद जगी थी कि अब पटवन के अभाव में फसल बर्बाद नहीं होगी। लेकिन अब किसानों की खुशी निराशा में बदल गई है। अब तो कुलकुलिया पंप हाउस से गंगा बहुत दूर चली गई है। बाढ़ के समय ही पानी उपलब्ध होगा या गंगा से पंप हाउस तक कैनाल खुदाई करवाना होगा। किसानों का कहना है कि इस योजना को देखते-देखते बच्चे जवान हो गए। जवान बूढ़े हो गए। परंतु अब तक योजना अधूरी पड़ी है। अब तो दोनों पंप हाउस में ताला लटका रहता है।