Updated: Fri, 05 Sep 2025 05:30 AM (IST)
भागलपुर जिले में कर्मयोगी अभियान की शुरुआत हुई जिसमें जनजातीय बहुल 62 गांवों को शामिल किया गया है। जिलाधिकारी ने कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए योजना को शत-प्रतिशत लाभार्थियों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा। इस अभियान का उद्देश्य जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाना सेवाओं का विस्तार करना और विभिन्न विभागों के बीच समन्वय स्थापित करना है ताकि उनकी समस्याओं का समाधान किया जा सके।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। कर्मयोगी अभियान में जिले के तीन जनजातीय बाहुल्य प्रखंड पीरपैंती, कहलगांव एवं सन्हौला के 62 जनजातीय बाहुल्य गांवों को शामिल किया गया है। जिला स्तरीय कार्यशाला के बाद प्रखंड स्तरीय कार्यशाला एवं ग्राम स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया जाना है। जिलाधिकारी डॉ. नवल किशोर चौधरी गुरुवार को कर्मयोगी कार्यशाला का शुभारंभ किया।
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इस अवसर पर उप विकास आयुक्त प्रदीप कुमार सिंह, सहायक समाहर्ता जतिन कुमार भी मौजूद थे। जिलाधिकारी ने कहा कि कार्यक्रम को सर जमीन पर उतारना है और इस योजना के लाभ को शत प्रतिशत लाभुकों तक पहुंचना है।
इस कार्यक्रम में समग्र सरकारी दृष्टि का उपयोग करते हुए सेवाओं की व्यापकता और सेवा केन्द्रों को सक्रिय करके जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाना है। इस अभियान अंतर्गत जनजातीय केन्द्रित योजना और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील सेवा वितरण की समझ को जनजातीय समुदाय के बीच बढ़ावा देना व विभागीय योजनाओं का जनजातीय आकांक्षाओं के साथ ताल-मेल सुनिश्चित करते हुए कियान्वित करना है।
अभियान में आठ विभागों स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण, ग्रामीण विकास, जंगल, पंचायती राज, पेयजल एवं स्वच्छता को नोडल विभाग मानते हुए विभाग द्वारा संचालित योजनाओं से अनु. जनजाति समुदाय को लाभान्वित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य इसमें रखा गया है।
इस अभियान में मुख्य फोकस ग्राम स्तर पर विभिन्न विभागों के बीच समन्वय को मजबूत करना, ग्राम एवं पंचायत स्तर के कर्मचारियों के बीच बेहतर ताल-मेल स्थापित करना, जनजातीय समुदाय की समस्याओं को सामुदायिक दृष्टिकोण से देखते हुए उनके निराकरण के लिए कार्य योजना बनाकर उनका त्वरित समाधान करने पर रखा गया है।
साथ ही अभियान अंतर्गत नागरिक सामाजिक संगठनों एवं युवा जनजातीय सामाजिक संगठनों का सहयोग लेते हुए जनजातीय रीति-रिवाजों, सामाजिक-सांस्कृतिक वास्तविक्ताओं और क्षेत्र आधारित चुनौतियों के प्रति अधिकारियों को अति संवेदनशील बनाने का भी लक्ष्य रखा गया है।
इस अभियान का अंतिम लक्ष्य प्रखंड एवं ग्राम स्तर पर उत्तरदायी शासन समूहों का गठन करना है एवं यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक जनजातीय ग्राम में सरकारी योजनाओं की विव्रणी एवं वितरण की स्थिति प्रदर्शित हो।
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