भागलपुर-जमुई और मुंगेर वालों के लिए खुशखबरी, मिलेंगी 24 नई बसें; 2 दिन में जारी होगा रूट चार्ट
भागलपुरवासियों के लिए खुशखबरी! इस महीने के अंत तक शहर में 24 नई सरकारी बसें दौड़ेंगी। परिवहन निगम जल्द ही इन बसों का रूट चार्ट जारी करेगा। यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए अत्यधिक दबाव वाले रूट पर बसों का संचालन किया जाएगा। भागलपुर को 12 बसें मिलेंगी जबकि जमुई और मुंगेर डीपो को 12-12 बसें मिलेंगी। बसों का रजिस्ट्रेशन पूरा हो चुका है।
क्षेत्रीय प्रबंधक अजिताभ आनंद ने बताया कि 24 बस में 12 बस भागलपुर को मिलेंगी। 12 बसें जमुई और मुंगेर डीपो को मिलेगी। बसों का रजिस्ट्रेशन पूरा हो चुका है। बस एक सप्ताह के भीतर तिलकामांझी सरकारी बस डिपो में पहुंच जाएगी। बस की खरीदारी होकर वेयरहाउस में तकनीकी जांच के लिए रखा गया है।
एक करोड़ से बदलेगी निजी बस स्टैंड की सूरत
रेलवे की जमीन पर संचालित निजी बस स्टैंड का एक करोड़ से कायाकल्प होगा। यहां प्रतिदिन प्रदेश के दूसरे जिले के साथ-साथ झारखंड व बंगाल से आने-जाने वाले आठ से दस हजार यात्रियों व कर्मचारियों की सुविधा के लिए शौचालय, रोशनी, पानी व बैठने की व्यवस्था की जाएगी। यात्री शेड का भी निर्माण होगा।
बसों को पार्क करने के लिए नंबर सिस्टम विकसित किया जाएगा। आठ हजार स्क्वायर फीट में फैले बस स्टैंड की जमीन पर पैबर्स ब्लाक बिछाए जाएंगे। जल निकासी के लिए नाला का भी निर्माण कराया जाएगा। यात्रियों से मनमाने तरीके से वसूली न हो इसके लिए शौचालय के बाहर रेट चार्ट लगाए जाएंगे।
रेलवे ने इसका प्राक्कलन तैयार कर लिया है। 3.60 करोड़ में हुआ है डाक पिछली बार डेढ़ करोड़ में स्टैंड का डाक हुआ था। इस बार तीन साल के लिए 3.60 करोड़ का डाक हुआ है।
मालदा मंडल से हरी झंडी मिलते ही स्टैंड के विकास का कार्य शुरू किया जाएगा। यहां से पूर्णिया, देवघर, रांची, जमशेदपुर, बोकारो, धनबाद, जमशेदपुर, गोड्डा, कोलकाता, सिलीगुड़ी, जमुई सहित झारखंड व बंगाल के लिए प्रतिदिन 100 बसों का संचालन होता है।
अभी न शौचालय, न ही पीने योग्य पानी की व्यवस्था
वर्तमान में इस स्टैंड में यात्रियों व कर्मचारियों के लिए न शौचालय और न ही पीने योग्य पानी की व्यवस्था है। इसकी वजह से महिला यात्रियों को अधिक परेशानी होती है। यहां डेढ़-दो साल पहले हाईमास्ट लगाया गया था। लेकिन कुछ दिन बाद ही खराब हो गया। इसे ठीक कराने की किसी ने जहमत नहीं उठाई। जिस कारण शाम ढलने के बाद स्टैंड परिसर अंधेरे में डूब जाता है।
क्या कहते हैं स्टैंड किरानी व कर्मचारी?
स्टैंड किरानी व कर्मचारियों का कहना है कि यहां 35 साल से स्टैंड चल रहा है। शुरुआती समय में यहां शौचालय, यात्रियों के लिए शेड व चापाकल की व्यवस्था थी। कुछ साल पहले स्टैंड को यहां से हटाकर बागबाड़ी में शिफ्ट कर दिया गया। इस बीच लोग शौचालय की ईंट तक उखाड़ कर ले गए। चापाकल खराब होने के बाद ठीक नहीं कराया गया।
इस स्टैंड से चलने वाली गाड़ियों से पहली ट्रिप में 120 रुपये और उसके बाद हर ट्रिप का 100 रुपये वसूल किया जाता है। बावजूद सुविधा नहीं जाती।
उन्होंने बताया कि जब डाक होता है तो उसमें लिखा जाता है कि स्टैंड में शौचालय सहित यात्रियों व कर्मचारियों के सभी सुविधाओं का विस्तार तीन माह के भीतर किया जाएगा। पर बाद में बात आई-गई हो जाती है।
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