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    बॉटम - खामोशी से हड्डियों को खोखला करती है आस्टियोपोरोसिस

    By Edited By:
    Updated: Fri, 21 Oct 2016 01:03 AM (IST)

    भागलपुर [नवनीत मिश्र] बैठने के बाद सहारा लेकर उठना पड़ रहा है तो समझ लीजिए ऑस्टियोपोरिसिस (हड्डी टू

    भागलपुर [नवनीत मिश्र]

    बैठने के बाद सहारा लेकर उठना पड़ रहा है तो समझ लीजिए ऑस्टियोपोरिसिस (हड्डी टूटने की बीमारी) का हमला हो गया है। देश में तीन बुजुर्ग महिलाओं में से एक में इस बीमारी के लक्षण पाए जाते हैं। बेहतर खानपान व सुनियोजित रहन सहन द्वारा इस बीमारी से बचा जा सकता है। ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी से शरीर में कैल्शियम, आयरन व विटामिन डी की कमी हो जाती है और हड्डी में छोटे-छोटे छेद हो जाते हैं जिससे यह कमजोर हो जाती है और जरा सा दबाव पड़ने पर टूट जाती है। इसका इलाज प्लेट लगाकर किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में मोनोपॉज के बाद महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिससे ग्रसित हो जाती हैं। रिपोर्ट की मानें तो भारत में तीन में से एक महिला इस बीमारी से पीड़ित है। बीमारी के आखिरी स्टेज में पहुंचने पर ही इसके लक्षण दिखाई देते हैं। इसमें कूल्हे की हड्डी टूटने का खतरा अधिक होता है। यह बीमारी पुरुषों में 60 वर्ष के बाद होती है। जानकारों की मानें तो बीमारी खानपान व रहन सहन में बदलाव के कारण हो सकती है।

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    कोट..

    चालीस वर्ष के बाद महिलाओं और 50 वर्ष के बाद पुरुषों को हड्डी में कैल्शियम की जाच करनी चाहिए। कैल्शियम की कमी होने पर तत्काल इलाज करना चाहिए।

    -डॉ. प्रवीण कुमार झा, फिजियोथेरापिस्ट

    कोट..

    दूध दही के अलावा धूप का सेवन भी करें तथा नियमित टहलने और व्यायाम करने से इस बीमारी से बचा जा सकता है। जानकारी के अभाव के कारण भी यह बीमारी फैल रही है इसलिए लोगों को जागरूक करना जरूरी है।

    -डॉ. गुलाम जौहर रब्बानी, हड्डी रोग विशेषज्ञ

    इसका करें सेवन

    दूध, दही, पनीर, पत्ता गोभी, आम, नाशपाती, सीताफल, खजूर, अंडा, गुड़

    सुबह धूप में बैठे या टहलें।

    नियमित व्यायाम व योग करें।

    उम्र बढ़ने के साथ काम करना बंद नहीं करें।

    कोल्ड ¨ड्रक से कमजोर होती हैं हड्डिया

    भागलपुर : फिजियोथेरापिस्ट डॉ. प्रवीण कुमार झा का कहना है कि काबरेनेटेड डिंक से जैसे सॉफ्ट ड्रिंक्स भी हड्डिया कमजोर बनाती हैं जो कि आगे चलकर ऑस्टियोपोरोसिस का कारण बनती हैं। इसके अलावा खराब जीवनशैली भी इसके लिए उत्तरदायी है। डब्लूएचओ के सर्वे के मुताबिक जहा 38 प्रतिशत महिलाएं इससे ग्रसित होती हैं तो लगभग पाच से आठ फीसद पुरुष इससे ग्रसित होते हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं में मेनोपॉज के बाद हड्डिया कमजोर होने लगती है। एस्ट्रोजन की कमी की वजह से बोन डेंसिटी में तेजी से कमी आती है। यह धीरे-धीरे 60 वर्ष तक पहुंचते-पहुंचते ऑस्टियोपोरोसिस में बदल जाती हैं।

    डॉ. प्रवीण ने बताया कि 20 वर्ष की आयु तक हम जो भी खाते हैं। वहीं आगे चलकर हमारे काम आता है। इसलिए शुरू से ही कैल्शियम, विटामिन आदि का सेवन करना चाहिए। इसे पीक बोन मॉस कहते हैं। वहीं बोन मॉस डेंसिटी (बीएमडी) यानि टी स्कोर -1 से -1.25 के बीच होनी चाहिए। इसे ऑस्टोपीनिया कहते हैं, वहीं अगर बीएमडी -1.25 से कम होतो यह ऑस्टियोपोरोसिस की श्रेणी में आता है। इसमें होने वाले सबसे ज्यादा फ्रैक्चर में हिप फ्रैक्चर है। इसके बाद रीढ़ की हड्डी और फीमर बोन का फ्रैक्चर आता है। डॉ. झा के मुताबिक शराब और सिगरेट के सेवन की वजह से भी हड्डिया खोखली होती हैं। आजकल बदलती हुई जीवनशैली की वजह से भी हड्डिया कमजोर होती जा रही हैं। वहीं कोल्ड डिंक और काबरेनेट डिंक्स में मौजूद फास्फोरिक एसिड की वजह से भी हड्डियों का हस होता है। साथ ही बताया कि बाथरूम के टॉयल्स ज्यादा चिकने नहीं बनाने चाहिए। फ्रैक्चर के अधिकतर मामले बाथरूम या चिकने फर्श पर पैर फिसलने से होते हैं।