कामेश्वर को देखने काफी संख्या में पहुंचे थे लोग
भागलपुर। : भागलपुर दंगे में सजा पाए कामेश्वर यादव भले जेल की सलाखों के अंदर कैद हों लेकिन इलाके में
भागलपुर। : भागलपुर दंगे में सजा पाए कामेश्वर यादव भले जेल की सलाखों के अंदर कैद हों लेकिन इलाके में पहलवान नाम से चर्चित उसके समर्थक काफी संख्या में आज भी उसकी झलक पाने को बेताब रहते हैं। जैसे ही लोगों को पता चला कि दंगा कांड में कोर्ट का फैसला आना है तो काफी संख्या में लोग कोर्ट पहुंच गए। उन्हें देख पहलवान की आंखें भर आई। कोर्ट के दूसरे मंजिल से अपने समर्थक को पहलवान ने हाथ हिला कर अभिवादन का इजहार किया। पहुंची भीड़ से किसी को कोई तकलीफ ना हो इसके लिए कामेश्वर यादव के करीबी इंजीनियर सुभाष यादव, चचेरे भाई छट्ठु यादव, छोटे लड़के समेत कई लोग उन्हें खुद नियंत्रित कर रहे थे।
परिवार के साथ जब्बारचक से अफसर अली परवत्ती आया था
24 अक्टूबर 1989 की दोपहर तातारपुर थाना क्षेत्र के जब्बारचक निवासी सैय्यद अफसर अली अपने परिवार के साथ परवत्ती स्थित अजहर अली लेन आया था। तब दोपहर ढाई बजा था कि परवत्ती काली स्थान की तरफ से दंगाई भीड़ हरवे-हथियार के साथ चले आ रहे थे। सभी नारा लगाते हुए अभद्र शब्द का प्रयोग कर रहे थे। भीड़ में शामिल लोगों के हाथ में घातक हथियार, बम, देशी बंदूक आदि थे। अफसर अपने परिवार के साथ जान बचाकर किसी तरह बगल के मोहल्ले में जा छिपे। जहां वे छिपे थे उससे कुछ दूरी के फासले पर विश्वविद्यालय पुलिस फांड़ी थी। करीब 150 से 200 की संख्या में लोग बम, बंदूक, तलवार आदि से लैस होकर आगे बढ़ रहे थे। वे लूटपाट, आगजनी, हत्या करते हुए शव को छिपा दिया। दंगाई भीड़ में कौन-कौन शामिल थे, उन्हें देख कर पहचान लेने का तब अफसर अली ने दर्ज प्राथमिकी में दावा किया था।
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