नाटक में दिखी दशरथ मांझी से माउंटेन मेन की कहानी
बेगूसराय। दिनकर कला भवन में आठवें आशीर्वाद राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव के अंतिम दिन प्रयास पटना की प्रस्तुति दशरथ-मांझी का सफल मंचन किया गया। मंचन से पूर्व समापन समारोह का उद्घाटन डॉ. पुष्पम नारायण डीन ललित कला संकाय मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा डॉ अजय जोशी नाट्य समीक्षक डॉ. रंजन चैधरी संजय कुमार सिंह सुनील राय शर्मा विनोद कुमार सिन्हा फुलेना राय अशोक तिवारी ललन प्रसाद सिंह एवं अमित रौशन ने संयुक्त रूप से किया।

बेगूसराय। दिनकर कला भवन में आठवें आशीर्वाद राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव के अंतिम दिन प्रयास, पटना की प्रस्तुति 'दशरथ-मांझी' का सफल मंचन किया गया। मंचन से पूर्व समापन समारोह का उद्घाटन डॉ. पुष्पम नारायण, डीन ललित कला संकाय, मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा, डॉ अजय जोशी, नाट्य समीक्षक, डॉ. रंजन चैधरी, संजय कुमार सिंह, सुनील राय शर्मा, विनोद कुमार सिन्हा, फुलेना राय, अशोक तिवारी, ललन प्रसाद सिंह एवं अमित रौशन ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर सभी अतिथियों ने रंगमंडल द्वारा प्रकाशित एक स्मारिका का विमोचन किया। अपने उद्घाटन भाषण में डॉ. पुष्पम नारायण ने शिक्षा में कला-संस्कृति एवं नाट्य कला को जगह मिलने की वकालत की। डॉ. अजय जोशी ने बेगूसराय की कला-संस्कृति एवं दर्शकों की तारीफ की। स्मारिका विमोचन के उपरांत प्रयास पटना की प्रस्तुति दशरथ मांझी का मंचन किया गया। निर्देशक मिथलेश सिंह ने दशरथ मांझी के घर जाकर शोध कर अपनी कल्पनाओं को बेहतर तरीके से मंच पर उतारा। नाटक में दिखाया है कि दशरथ मांझी के जीवन में उनकी पत्नी का गहलौर पहाड़ी पर पानी का घड़ा फूटना, उनका प्यासे रह जाना, इस घटना से दुखित हो पहाड़ काट कर रास्ता बनाने की धुन सवार होना और एक दिन उनके भागीरथी मेहनत की बदौलत रास्ता बना देना आदि इन्हीं घटनाओं से दशरथ मांझी एक साधारण परिवार से माउंटेन मेन बनकर इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए। नाटक में दशरथ मांझी की भूमिका उदय कुमार शंकर ने प्रभावशाली ढंग से निभाया। नाटक में संगीत-संरचना संजय उपाध्याय, गीत-सतीश कुमार मिश्रा, एवं मिथलेश सिंह, गायिका-बबिता रावत (उत्तराखंड), गायक संजय उपाध्याय, स्पेशल साउंड इफेक्ट किशोर कुमार सिन्हा, मंच परिकल्पना-पद्मश्री प्रो. श्याम शर्मा, मंच निर्माण राकेश कुमार, प्रकाश परिकल्पना-रवि भूषण बबलू एवं लेखक सह निर्देशन मिथलेश सिंह ने किया।
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