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    किसानों की मेहनत चट कर रही नीलगाय

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 27 Feb 2021 07:12 PM (IST)

    बेगूसराय। जिले के किसान लंबे समय से नीलगाय से परेशान हैं। चाहे वह दियारा क्षेत्र के किसान हों या फिर करारी के। पहले दियारा क्षेत्र में ही नीलगाय का ज् ...और पढ़ें

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    किसानों की मेहनत चट कर रही नीलगाय

    बेगूसराय। जिले के किसान लंबे समय से नीलगाय से परेशान हैं। चाहे वह दियारा क्षेत्र के किसान हों या फिर करारी के। पहले दियारा क्षेत्र में ही नीलगाय का ज्यादा उत्पात होता था, लेकिन बाढ़ के समय दियारा क्षेत्र से भागकर आई नील गाय ने अब करारी क्षेत्र में भी अपना बसेरा बना लिया है। इस क्षेत्र में भी मक्का, सरसों सहित अन्य फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा रही है। यहां तक कि किसानों द्वारा खेत में लगाए गए छोटे-छोटे फलदार व अन्य पौधों को भी यह गाय नुकसान पहुंचा रही है।

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    नीलगाय से फसल क्षति से बचाव के लिए किसानों ने जिले के डीएम से लेकर अन्य अधिकारियों से गुहार लगाई। किसी तरह की कार्रवाई नहीं होने पर सांसद व विधायक से भी गुहार लगाई। किसानों की इस परेशानी को लेकर राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा ने एक कार्यक्रम में इससे निजात दिलाने का आश्वासन दिया। वहीं विधायक कुंदन सिंह ने विधानसभा में यह मुद्दा उठाया। लेकिन न तो सरकार इस दिशा में कोई सार्थक पहल कर सकी है और न ही जिला प्रशासन। जिसके कारण किसान आज भी नीलगाय से परेशान हैं। किसानों को इससे हुई फसल क्षति का मुआवजा तक भी नहीं मिल पा रहा है।

    खास बात यह कि नीलगाय से होने वाली क्षति का कोई आंकड़ा कृषि विभाग में भी नहीं है। विभाग के अधिकारी कहते हैं कि इसके लिए सरकार द्वारा किसी तरह का निर्देश नहीं मिला है। न तो क्षति हुई फसल का आकलन करने का और न ही मुआवजा देने का। जिसके कारण विभाग द्वारा किसी तरह की सहायता किसानों को नहीं दी जा रही है।

    क्या कहते हैं किसान

    नीलगाय एक साथ झुंड में निकलती है और कई एकड़ की फसल को तहस नहस कर बर्बाद कर देती है। हाल के वर्षों में नीलगाय का आतंक बढ़ गई है। छीमी, धनिया, रैचा के फसल को नुकसान पहुंचा रही है। इससे पूरे क्षेत्र के किसान परेशान है। सरकार को इस तरफ जल्द ध्यान देना चाहिए।

    मृत्युंजय कुमार, किसान बलिया

    2. इन दिनों नीलगाय के उत्पात से किसानों की नींद हराम है। बछवाड़ा पंचायत समेत संपूर्ण प्रखंड क्षेत्र में लाखों एकड़ में लगी गेहूं, मक्का, सरसों समेत विभिन्न फसलों को नीलगायों की झुंड आकर तहस-नहस कर रही है। इस समस्या से निजात दिलाने को लेकर लिखित रूप से अंचल अधिकारी एवं वन प्रमंडल पदाधिकारी को भी सूचना उपलब्ध कराई गई। लेकिन पदाधिकारियों के द्वारा किसानों के समस्या के निदान करने की जगह टालमटोल की नीति अपनाई जा रही है।

    रामबाबू चौधरी, किसान बछवाड़ा