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    जलकुंभी से खुल रही रोजगार की राह, IIT पटना के छात्र के नए स्टार्टअप मॉडल से नदी भी होगी साफ

    Updated: Mon, 01 Sep 2025 05:31 PM (IST)

    आइआइटी पटना में कंप्यूटर साइंस एवं डाटा एनालिस्ट के छात्र कृष्णा ने ग्रामीण हाइसिंथ क्राफ्ट स्टार्टअप की शुरुआत कर जलकुंभी जैसे बेकार माने जाने वाले पौधे को चटाई बास्केट पर्स स्लीपर और किचन एक्सेसरीज जैसे उपयोगी एवं आकर्षक उत्पादों में बदलना शुरू किया है।कृष्णा का स्टार्टअप नदियों को साफ रखने और जलीय जीवन को बेहतर बनाने में भी मदद करेगी।

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    जलकुंभी से बनेगा रोजगार और आर्थिक समृद्धि का नया मॉडल

    संवाद सहयोगी, तेघड़ा (बेगूसराय)। बेगूसराय के तेघड़ा नगर परिषद क्षेत्र के मधुरापुर दक्षिण टोल निवासी कृष्णा कुमार ने यह साबित कर दिया है कि नवाचार और जुनून से गांव की मिट्टी में भी नए सपनों की फसल उगाई जा सकती है।

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    आइआइटी पटना में कंप्यूटर साइंस एवं डाटा एनालिस्ट के छात्र कृष्णा ने ग्रामीण हाइसिंथ क्राफ्ट स्टार्टअप की शुरुआत कर जलकुंभी जैसे बेकार माने जाने वाले पौधे को चटाई, बास्केट, पर्स, स्लीपर और किचन एक्सेसरीज जैसे उपयोगी एवं आकर्षक उत्पादों में बदलना शुरू किया है। कृष्णा का स्टार्टअप नदियों को साफ रखने और जलीय जीवन को बेहतर बनाने में भी मदद करेगी।

    कैसे मिली प्रेरणा

    कृष्णा की प्राथमिक शिक्षा संत पाल पब्लिक स्कूल, तेघड़ा से हुई। 2021 में 10वीं एवं 2023 में 12वीं पास करने के बाद उन्होंने पहले प्रयास में ही सीयूईटी के जरिए आइआइटी पटना में दाखिला लिया। पढ़ाई के दौरान ही वस्त्र मंत्रालय के स्किल डेवलपमेंट प्रशिक्षण की जानकारी मिली और छुट्टियों में घर लौटने पर उन्होंने गुरु-शिष्य हस्तशिल्प प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़ने का निर्णय लिया।

    ग्रामीण महिलाओं को मिला रोजगार

    कृष्णा ने बतौर प्रोग्राम को-आर्डिनेटर तेघड़ा अनुमंडल के तीन प्रखंडों तेघड़ा, भगवानपुर एवं मंसूरचक में प्रशिक्षण कार्य शुरू कराया। 17 अप्रैल से 17 जून 2025 तक चले इस 60 दिवसीय कार्यक्रम में करीब 190 महिलाओं ने प्रशिक्षण लिया। महिलाओं ने जलकुंभी से घरेलू एवं फैंसी उत्पाद बनाने की तकनीक सीखी, इससे उन्हें स्वरोजगार के नए अवसर मिल सके।

    पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों को लाभ

    कृष्णा का मानना है कि यह पहल नदियों को साफ रखने और जलीय जीवन को बेहतर बनाने में मदद करेगी। जलकुंभी, जिसे अब तक बेकार समझा जाता था, अब बिहार में आर्थिक समृद्धि का नया स्रोत बन रही है। यह पौधा जैविक खाद, ऊर्जा उत्पादन और कृषि के लिए नई संभावनाओं को भी जन्म दे रहा है।

    मार्गदर्शन और आगे की योजना

    कृष्णा को हैदराबाद से आए विशेषज्ञ शिव केशव राव से विशेष प्रशिक्षण मिला, वहीं वस्त्र मंत्रालय के क्षेत्रीय निदेशक संदीप मिश्रा, अतिरिक्त निदेशक विभूति कुमार झा और ईपीसीएच प्रमुख राहुल रंजन से मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। उनका कहना है कि उनकी रुचि हमेशा से स्टार्टअप और उद्यमिता में रही है। अब वे अपने उत्पादों को पैन इंडिया और विदेशों तक ले जाना चाहते हैं, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन वस्तुओं की भारी मांग है।

    बिहार की पहचान बनेगी जलकुंभी

    विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की सबसे अच्छी किस्म की जलकुंभी बेगूसराय की बलान नदी और बूढ़ी गंडक में पाई जाती है। अब तक बेकार माने जाने वाले इस पौधे से बिहार को देश-विदेश में नई पहचान मिलने की उम्मीद है। कृष्णा का यह स्टार्टअप न केवल ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास की दिशा में एक नई मिसाल भी पेश कर रहा है।

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