जगदर की बेटी विभा ने एक बीघा खेत से कर दिखाया कमाल, गेंदा की खेती से कमा रही हैं लाखों रुपये
बिहार के बेगूसराय जिले के वीरपुर प्रखंड की विभा कुमारी ने गेंदा की खेती से अपनी पहचान बनाई है। सात बहनों में से एक विभा ने अपने अक्षम पिता की मदद की और खुद भी आत्मनिर्भर बनीं। रसायन शास्त्र में स्नातक और डी.एल.एड. की पढ़ाई करते हुए उन्होंने एक बीघा खेत में गेंदा उगाकर लाखों रुपये कमाए।

संवाद सूत्र, वीरपुर (बेगूसराय)। “साहस की उड़ान और परिश्रम की खुशबू” — यह कहानी है वीरपुर प्रखंड के जगदर पंचायत की बेटी विभा कुमारी की, जिन्होंने एक बीघा खेत में गेंदा की खेती कर न केवल अपनी नियति बदली, बल्कि गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भरता का नया रास्ता दिखाया।
2014 में बड़हारा गांव में चंदन कुमार के साथ विवाह के बंधन में बंधीं विभा, सात बहनों में छठे स्थान पर हैं। उनके पिता रामसागर महतो शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम हैं, फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। विभा तीन बच्चों की मां होने के साथ-साथ खेती और पढ़ाई को एक साथ संभाल रही हैं। रसायन शास्त्र में स्नातक और आगरा से डी.एल.एड. की पढ़ाई कर रही विभा की मेहनत आज लाखों रुपये की आय के साथ बरौनी, बेगूसराय और सिमरिया के बाजारों में सुगंध फैला रही है।
घर-गृहस्थी से शिक्षा तक: विभा की प्रेरक यात्रा
पति चंदन कुमार टेंट पंडाल का काम कर परिवार का भार संभालते हैं, लेकिन विभा ने कठिनाइयों को अवसर में बदला। एक बीघा खेत में गेंदा बोकर उन्होंने नया मार्ग बनाया। वह बताती हैं, “एक कट्ठा खेत में 2000 रुपये की लागत से 5000 रुपये तक की कमाई होती है।” उत्सवों, विवाह समारोहों, पूजा-पाठ और यहां तक कि चुनावी प्रचार में भी उनके फूलों की मांग बढ़ रही है। उनकी फसल अब सामाजिक, धार्मिक और राजनैतिक समारोहों की शोभा बढ़ा रही है।
सात बहनों की साहसी बेटी
सात बहनों के बीच पली-बढ़ी विभा ने भाई की कमी को कभी कमजोरी नहीं बनने दिया। अपने अक्षम पिता के परिवार को संभालते हुए उन्होंने साहस और परिश्रम से नई मिसाल कायम की। वह कहती हैं, “गेंदा की खेती सिर्फ आय का जरिया नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता का रास्ता है।” तीन बच्चों की जिम्मेदारी, खेती और डी.एल.एड. की पढ़ाई को एक साथ संभालकर वह समय प्रबंधन की भी मिसाल हैं। उनकी सफलता ने गांव की अन्य महिलाओं को प्रेरित किया है, जो अब उनके नक्शेकदम पर चलने को तैयार हैं।
गांव से बाजार तक: गेंदा की खुशबू
विभा के गेंदों की खुशबू ने न केवल जगदर की गलियों को महकाया, बल्कि बेगूसराय के बाजारों में भी अपनी पहचान बनाई। चार साल की मेहनत ने सिद्ध कर दिया कि साहस और परिश्रम से हर कठिन रास्ता आसान हो सकता है। उनकी फसल की मांग अब दूर-दूर तक फैल चुकी है, जो उनकी लगन का जीवंत प्रमाण है।
शिक्षा और परिश्रम का संगम: विभा
रसायन शास्त्र में स्नातक और डी.एल.एड. की पढ़ाई के साथ विभा ने साबित किया कि शिक्षा और परिश्रम का मेल असंभव को संभव बना सकता है। अपने बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए वह दिन-रात मेहनत करती हैं, फिर भी अपनी पढ़ाई को नहीं छोड़तीं।
विभा की कहानी केवल फूलों की खेती की नहीं, बल्कि साहस, परिश्रम, शिक्षा और आत्मविश्वास की जीत की है। तीन बच्चों की मां, एक मेहनती पत्नी और एक शिक्षित किसान के रूप में वह नारी बल की प्रतीक बन चुकी हैं। उनके गेंदों की खुशबू अब गांव की हर गली में फैल रही है, जो बताती है कि सपनों को साकार करने के लिए बस एक कदम और दृढ़ संकल्प की जरूरत है।
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