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    Bihar News: आलू को झुलसा रोग से कैसे बचाएं? पढ़ें 5 असरदार उपाय, फिर जमकर होगी पैदावार

    Aalu Jhulsa Rog बेगूसराय जनपद के किसानों का आलू मुख्य नगदी फसल है। बेगूसराय ही नहीं प्रदेश में किसान व्यापक पैमाने पर आलू की खेती करते हैं। इसकी जानकारी देते हुए खोदावंदपुर बेगूसराय केविके के वरीय कृषि विज्ञानी सह प्रधान डा. राम पाल ने बताया कि फिलवक्त आलू की खेती करने वाले किसानों का आलू का पौधा लगभग 35 से 40 दिनों का हो गया है।

    By Arun Kumar Mishra Edited By: Sanjeev KumarUpdated: Wed, 17 Jan 2024 03:00 PM (IST)
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    आलू को झुलसा रोग से बचाने के उपाय (जागरण)

    संवाद सूत्र, खोदावंदपुर (बेगूसराय)। Bihar News: बेगूसराय जनपद के किसानों का आलू मुख्य नगदी फसल है। बेगूसराय ही नहीं, प्रदेश में किसान व्यापक पैमाने पर आलू की खेती करते हैं। पिछले पांच सात दिनों से जिले में ठंड का प्रकोप बढ़ गया है। ऐसे में आलू के पौधों पर झुलसा रोग का प्रकोप संभव है।

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    इसकी जानकारी देते हुए खोदावंदपुर, बेगूसराय केविके के वरीय कृषि विज्ञानी सह प्रधान डा. राम पाल ने बताया कि फिलवक्त आलू की खेती करने वाले किसानों का आलू का पौधा लगभग 35 से 40 दिनों का हो गया है। जो किसान समय पर आलू की बोआई किए हैं, उनकी खेतों में आलू का कंद बनना शुरू हो चुका होगा। यह बीमारी का आक्रमण आलू के कंद बनने के साथ ही होने लगता है।

    यहां पढ़ें रोग निवारक उपाय (Aalu Jhulsa Rog)

    यह बीमारी मिट्टी के नजदीक वाली पत्तियां के पास पहले पनपता है, जो यह फैल कर ऊपर की ओर बढ़ने लगता है। इस बीमारी में पत्तियों पर बिखरे हुए छोटे-छोटे हल्का भूरे रंग का धब्बा बनने लगता है। इसके चारों ओर केंद्रीय लकीरें बनने लगती है। अगेती झुलसा की एक अलग पहचान है, धब्बे के चारों ओर हल्का पीला हरा होना, जो बढ़ने के साथ फैलता जाता है।

    तापमान का रखें खासा ध्यान

    इस बीमारी के फैलने के लिए अनुकूल तापमान पांच से 30 डिग्री सेंटीग्रेड या औसत तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड है। ठंड एवं सूखे मौसम में धब्बा के कठोर हो जाने से पत्तियां मुड़ जाती है। अगर इसका समय पर समुचित प्रबंधन नहीं किया गया तो आलू की खेती करने वाले किसान भाइयों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके इसलिए कुछ जरूरी प्रबंधन कर इसके नुकसान से बचा जा सकता है।

    किसान भाई अपनी खेतों को खरपतवार मुक्त एवं साफ सुथरा रखें। फसल कटनी के तुरंत बाद खेतों में पड़े अवशेष को निकाल कर नष्ट कर दें।

    आक्रांत होने की स्थिति में डायथैन एम 45, 2.5 ग्राम प्रति लीटर की दर से 10 दिन के अंतराल में चार से पांच बार छिड़काव करें। ब्लैटाक्स 50 का छिड़काव 2.5 ग्राम प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें या जीनेव दो ग्राम प्रति लीटर की दर से सात दिनों के अंतराल पर छिड़काव करने की सलाह कृषि वैज्ञानी डा. राम पाल ने दी।

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