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    बिहार में तत्कालीन जज के काफिले पर हमले में पांच को सजा, सांसद के समर्थक हैं सभी दोषी

    Updated: Tue, 20 May 2025 07:00 PM (IST)

    तत्कालीन न्यायाधीश के काफिले पर हमले के मामले में पांच को सजा मिली। स्काट दल का नेतृत्व कर रहे साहेबपुर कमाल थाना के तत्कालीन दारोगा यदुनाथ मिश्र के बयान पर बेगूसराय के नगर थाने में प्राथमिकी अंकित हुई थी। घटना साल 2003 की है। अर्थदंड की सजा के साथ ही अधिकतम तीन वर्ष की सजा सुनाई गई।

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    तत्कालीन न्यायाधीश के काफिले पर हमले में पांच दोषियों को सजा दी गई। सांकेतिक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, बेगूसराय। एडीजे प्रथम महेश प्रसाद सिंह की अदालत ने सर्वोच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीपी सिंह के काफिले पर हमला करने के मामले में दोषी पाए गए पांच लोगों को अर्थदंड की सजा के साथ ही अधिकतम तीन वर्ष की सजा सुनाई है।

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    सजा की बिंदू पर पक्षकारों की दलीलें सुनीं

    इसमें शाम्हो थाना क्षेत्र के बिजुलिया गांव निवासी दिलीप कुमार सिंह, रंजीत सिंह, रजनीश सिंह एवं पड़ोसी जिला लखीसराय के पिपरिया थाना के पथुआ गांव निवासी भुल्लू भगत एवं शिवदानी ठाकुर हैं। इससे पूर्व अदालत सजा की बिंदू पर पक्षकारों द्वारा दी गई दलीलें सुनीं।

    अधिवक्ता ने कहा, ह प्रथम अपराध है..

    बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता प्रमोद कुमार ने अदालत से गुहार करते हुए कहा कि दोषी का यह प्रथम अपराध है और उनके ऊपर बहुत बड़ा पारिवारिक दायित्व है। फलतः उन्हें प्रोवेशन आफ अफेंडर का लाभ देकर जेल की सजा से मुक्त करने की कृपा प्रदान करें।

    दूसरे पक्ष ने की अधिकतम सजा की मांग

    वहीं अभियोजन का पक्ष रखते हुए एपीपी बहोर दास ने अधिकतम सजा की मांग अदालत से की। सजा की बिंदू पर सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने बारी-बारी से अभियुक्तों के नाम पुकारे और उन्हें भादवि की अलग-अलग धाराओं के तहत सजा सुनाई। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।

    धारा 147 में दो वर्ष की कैद एवं दो हजार रुपये अर्थदंड

    मामले में पूर्व के जेल अवधि को भी समायोजित कर दिया जाएगा। अदालत ने सिद्ध दोष की धारा 147 में दो वर्ष की कैद एवं दो हजार रुपये अर्थदंड, 148 में तीन वर्ष की कैद एवं तीन हजार रुपये अर्थदंड, 427 के तहत दो वर्ष की कैद एवं दो हजार अर्थदंड, 353 में दो वर्ष की कैद एवं दो हजार रुपये अर्थदंड एवं भादवि की धारा 189 में दो वर्ष की कैद एवं दो हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।

    मुवक्किलों को जमानत की सुविधा दी जाए

    सजा सुनाए जाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने अदालत में इस आशय का आवेदन दिया कि चूंकि सजा की अवधि तीन साल तक की है। इसलिए ऊपरी अदालत में अपील याचिका दाखिल होने तक उनके मुवक्किलों को जमानत की सुविधा दी जाए और अर्थदंड की राशि को अपील याचिका के निर्णय आने तक स्थगित की जाए। बचाव पक्ष के इस अनुरोध को अदालत ने स्वीकार कर लिया।

    15 फरवरी 2003 का मामला

    अदालत पांचों को 15 फरवरी 2003 को नगर थाना क्षेत्र के एनएच-31 पर सुभाष चौक डीसी सिंह पेट्रोल पंप के समीप अपनी कार से भागलपुर जा रहे सर्वोच्च अदालत के तत्कालीन जज न्यायमूर्ति वीपी सिंह के काफिले पर पथराव करने के आरोप में अभियोजन साक्ष्य के आधार पर उक्त धारा के तहत दोषी पाया।

    तत्कालीन दारोगा के बयान पर नगर थाना में प्राथमिकी

    पथराव में जस्टिस की कार का शीशा टूट गया था। स्काट दल का नेतृत्व कर रहे साहेबपुर कमाल थाना के तत्कालीन दारोगा यदुनाथ मिश्र के बयान पर नगर थाना में प्राथमिकी अंकित हुई थी। स्काट दल में शामिल पुलिस ने खदेड़ कर पांचों अभियुक्तों को पकड़ लिया था। पांचों पूर्णिया के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के समर्थक बताए जाते हैं। उस दिन पप्पू यादव ने बिहार बंद का आह्वान किया था।

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