भाई के खिलाफ भाई ने फर्जीवाड़ा कर सरकारी स्कूल में शिक्षक बनने का लगाया आरोप, बर्खास्त की मांग
जिला शिक्षाधिकारी मनोज कुमार ने इस मामले की सुनवाई के लिए दोनों भाईयों को बुलाया था। जहां छोटे भाई ने अपने बड़े भाई के नौकरी को फर्जी करार देते हुए सारे दस्तावेज प्रस्तुत किए। वहीं इस संदर्भ में बड़े भाई ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज किया।

जागरण संवाददाता, बेगूसराय। दो सगे भाईयों की लड़ाई घर से शुरु होकर जिला शिक्षा विभाग तक पहुंच गई। छोटा भाई अपने बड़े भाई के सरकारी नौकरी को खत्म करवाने के लिए जिला से राज्य कार्यालय तक दर्जनों आवेदन और आरटीआई का प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने अपने भाई के खिलाफ ढेर सारे सबूत जमा कर इसकी शिकायत शिक्षा विभाग में की है।
सोमवार को जिला शिक्षाधिकारी मनोज कुमार ने इस मामले की सुनवाई के लिए दोनों भाईयों को बुलाया था। जहां छोटे भाई ने अपने बड़े भाई के नौकरी को फर्जी करार देते हुए सारे दस्तावेज प्रस्तुत किए।
वहीं, इस संदर्भ में बड़े भाई ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि जिस व्यक्ति के नाम से वे शिकायत कर रहे हैं, दरअसल वह व्यक्ति वे नहीं हैं। जिस पर डीईओ ने मामले में जांच कर कार्यवाही का आश्वासन दिया है।
बखरी प्रखंड से जुड़ा है पूरा मामला
शिकायतकर्ता भगवान दास निराला पेसर स्व. राम लखन दास, साकिन रामपुर, नगर परिषद बखरी, वार्ड एक का आरोप है कि उसके बड़े भाई रणविजय कुमार धीरज ने फर्जी तरीके से नौकरी प्राप्त करने के लिए तीन-तीन बार अलग-अलग स्कूलों से, अलग-अलग जन्मतिथि दर्ज कर मैट्रिक परीक्षा पास की है।
सर्वप्रथम उसने राजकीयकृत श्री सियाचरण प्ल्स टू विद्यालय समसा, नावकोठी से 1992 में मैट्रिक परीक्षा पास की। उसमें उसका जन्मतिथि 1976 अंकित है। मगर उस परीक्षा में उसे मात्र 392 अंक मिले थे।
जिसके बाद उन्होंने सर्वोदय महावीर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बेला सिमरी, खगड़िया 1994 में मैट्रिक परीक्षा दी, इसमें उन्होंने अपना उम्र 1979 दर्शाया।
फिर उन्होंने बीएस हाईस्कूल आतापुर, नौकुनी, हसनपुर, समस्तीपुर से 2001 में मैट्रिक परीक्षा पास की। इसमें उन्होंने 1982 जन्मतिथि दर्ज करवाया।
अब उसी अंतिम मैट्रिक सर्टिफिकेट पर 1982 के हिसाब से नौकरी हासिल करने में सफल हो गए। फिलहाल सदर प्रखंड के उत्क्रमित उच्च विद्यालय भर्रा में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं।
आरोपित शिक्षक ने मामले को बताया फर्जी
सुनवाई के दौरान आरोपित शिक्षक रणविज कुमार धीरज ने डीईओ को बताया कि भगवान दास जिस रणविजय कुमार धीरज नाम के शिक्षक की शिकायत कर रहे हैं, वह शिक्षक कोई और है।
उनके पिता का नाम रामलखन मोची है। जो उनके सभी प्रमाणपत्र में अंकित है। रणविय कुमार ने अपने सारे शैक्षणिक दस्तावेज भी जिला शिक्षाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किए।
जिला शिक्षाधिकारी ने सारे कागजात और शिकायतों को देखने के बाद खगड़िया एवं समस्तीपुर से असली कागजात मंगवाने उसके बाद आगे की कार्यवाही करने की बात कहते हुए सुनवाई समाप्त कर दी।
क्यों भिड़ गए हैं दोनों भाई
शिक्षा विभाग के एक कर्मी ने बताया कि शिकायतकर्ता भगवान दास निराला तीन भाई हैं। सबसे बड़े शिक्षक हैं, जबकि दसरे नंबर पर भगवान दास तथा एक छोटे भाई हैं, जो सरकारी नौकरी में हैं।
इसमें भगवान दास जनवितरण प्रणाली की दुकान चलाते थे। बड़े भाई और भगवान दास में नोक-झोंक चलती रहती थी। जिसके कारण बड़े भाई ने कई खामियों को अंकित करते हुए डीलर भाई के खिलाफ शिकायत कर दी।
जांच के बाद अधिकारी ने उसके लाइसेंस को रद कर दिया। यह कार्रवाई जनवरी माह में हुई थी। तभी से भगवान दास अपने बड़े भाई के सरकारी शिक्षक के पद को खत्म कराने के लिए दिनरात लगे हुए हैं।
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