लघु उद्योग को बढ़ाने के लिए गुजरात की तर्ज पर सिंगल विंडो चाहते हैं बिहार के उद्योगपति
बिहार के उद्योगपतियों ने राज्य में छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए गुजरात की तरह सिंगल विंडो सिस्टम की मांग की है। उनका मानना है कि इससे मंजूरी और अनुमति आसानी से मिल जाएगी, जिससे उद्योग स्थापित करने की लागत और समय कम होगा। उनका कहना है कि इससे निवेश आकर्षित होगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
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मो. खालिद, बेगूसराय। उद्योग स्थापित करने के लिए सरकारी तंत्र का ठीक रहना अतिआवश्यक है। एक प्लांट लगाने के लिए जिन प्रमाणपत्रों की आवश्यकता होती है, उसके लिए अलग-अलग जाने के बजाए सिंगल विंडो सिस्टम सबसे जरूरी है। परंतु, बिहार में सिंगल विंडो सिस्टम नहीं रहने के कारण यहां उद्योग स्थापित करने एवं उसे संचालित करने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
बरौनी औद्योगिक क्षेत्र स्थित उषा एयर गैस फैक्ट्री के मालिक बेगूसराय श्रीकृष्णनगर निवासी अविनाश कुमार बताते हैं कि गुजरात सहित अन्य राज्यों में उद्योग विभाग के अंदर ही सभी संबंधित कार्यालयों का कक्ष होता है। जिसे हम लोग सिंगल विंडो सिस्टम के नाम से जानते हैं।
एक उद्योग स्थापित करने के लिए जिन-जिन प्रमाणपत्रों, कागजात की आवश्यकता है, वह सब जब एक ही छत के नीचे चलेगा तो उद्योग स्थापित करने वालों की न सिर्फ संख्या बढ़ेगी, बल्कि जो संचालित हो रही हैं उसका भी तेजी से विकास होगा।
अभी हम लोगों को अलग-अलग प्रमाणपत्र के लिए अलग-अलग कार्यालयों को चक्कर काटना पड़ता है। एक उद्योग को स्थापित करने के लिए न सिर्फ जगह, पैसा चाहिए, बल्कि उसे कम से कम सात से आठ विभागों के प्रमाण पत्र की भी आवश्यकता होती है। इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
उषा और सोनी एयर गैस से प्रतिदिन रिफिल होते हैं आठ सौ सिलेंडर
मेडिकल और इंडस्ट्रियल प्रयोग के लिए बेगूसराय में दो एयर गैस प्लांट संचालित होते हैं। यह मध्यम वर्गीय उद्योग हैं। उषा एयर गैस के मालिक अविनाश कुमार बताते हैं कि दोनों प्लांट से प्रतिदिन करीब आठ सौ सिलेंडर एयर गैस रिफिल किया जाता है। कोरोना के समय में यह सर्वोच्च रिफिलिंग पर था।
एक सिलेंडर में सेवन क्यूबिक मीटर एयर गैस भरने की क्षमता होती हे। इन दोनों फैक्ट्रियों से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से पचास परिवारों का चूल्हा जलता है। एयर गैस मध्यम प्लांट के स्थापना में करीब एक करोड़ रुपये इनवेस्ट करने पड़ते हैं।
उसके अतिरिक्त अन्य खर्चे होते हैं। वे बताते हैं कि पहले यहां से विभिन्न जिलों को सिलेंडर भेजे जाते थे। अब सिर्फ बेगूसराय जिला तक ही सप्लाई सीमित हो गई है। दूसरे जिलों में भी इसके प्लांट स्थापित हो गए हैं।

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