बेगूसराय का कथित रेड लाइट एरिया बना 'अपराध का गढ़', देह व्यापार, मानव तस्करी और ब्लैकमेलिंग का फैला जाल
बेगूसराय के बखरी अनुमंडल क्षेत्र में रेड लाइट एरिया अपराध का गढ़ बन गया है। देह व्यापार, मानव तस्करी और ब्लैकमेलिंग का जाल फैला हुआ है। युवतियों और नाबालिग लड़कियों की खरीद-फरोख्त हो रही है। पुलिस की कार्रवाई का कोई असर नहीं दिख रहा है। बाहरी राज्यों से लड़कियों को बहला-फुसलाकर लाया जा रहा है। स्थानीय लोग डर के कारण चुप हैं, जिससे स्थिति गंभीर बनी हुई है।

बेगूसराय का कथित रेड लाइट एरिया
संजीव आर्य, बखरी(बेगूसराय)। बखरी अनुमंडल क्षेत्र का कथित रेड लाइट कॉरिडोर अब अपराध का गढ़ बनता जा रहा है। देह व्यापार, मानव तस्करी, ब्लैकमेलिंग और बिचौलियों का जाल इस कदर मजबूत हो चुका है कि पुलिस की छिटपुट कार्रवाई का उस पर कोई असर नहीं पड़ता।
इलाके के कई हिस्सों में युवतियों और नाबालिग लड़कियों की खरीद–फरोख्त खुलेआम चल रही है। स्थानीय लोग डर और शर्म के कारण बोल नहीं पा रहे, लेकिन हालात लगातार भयावह होते जा रहे हैं।
दिन में भी जुटता बाजार, रात में बनता अड्डा
सूत्रों के मुताबिक नदैल चौक,आशा पोखर मुख्य बाजार के पेट्रोल पंप के पीछे और सोनमा बखरी अनुमंडल के चार जगह ऐसे हैं जहां शाम ढलते ही संदिग्ध गतिविधियां तेज हो जाती हैं। कई कमरों, झोपड़ियों और किराये के मकानों में देह व्यापार का धंधा धड़ल्ले से चलता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस की गाड़ी घूमकर चली जाती है, लेकिन धंधा बंद होने के बजाय और बढ़ता जा रहा है।
बाहरी राज्यों से लड़कियों की तस्करी
मानव तस्करी के कई मामले ऐसे सामने आए हैं जिनमें झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम व नेपाल से लड़कियों को बहला-फुसलाकर यहां लाया गया। कई बार उनके परिवार को महीनों तक पता नहीं चलता कि बेटियाँ किस हालत में और कहां हैं।
कई लड़कियों ने बताया कि उन्हें नौकरी, सामान बेचने, या शादी कराने का झांसा देकर लाया गया था। यहां पहुंचते ही मोबाइल छीन लिया जाता, मारपीट कर कमरे में बंद रखा जाता और जबरन ग्राहकों के साथ भेजा जाता।
अपनी बहन को छुड़ाने पहुंचा भाई
कुछ साल पहले एक युवक ने अपनी लापता बहन को बखरी के ही एक कथित कोठे से निकाला। घरवालों ने पुलिस को सूचना दी, लेकिन इससे पहले ही संचालकों को भनक लग गई और पूरा कमरा खाली करा दिया गया।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि संचालकों का पुलिस से मजबूत संपर्क है, तभी हर बार छापेमारी से पहले उन्हें खबर मिल जाती है।
वीडियो बनाकर ब्लैकमेलिंग के खेल का खुलासा
कई पीड़िताओं ने बताया है कि पहले दोस्ती कर वीडियो बनाया जाता है, फिर उसी वीडियो को वायरल करने की धमकी देकर उन्हें धंधे में धकेला जाता है।
एक दो मामलों में तो परिजनों को भी ब्लैकमेल किया गया कि अगर शिकायत की तो वीडियो पूरे क्षेत्र में फैला दिए जाएंगे।
पुलिस पर सवाल — कार्रवाई दिखावटी?
थाने की ओर से पूछे जाने पर अधिकारी बताते हैं कि 'कार्रवाई जारी है।लेकिन इलाके में स्थिति जस की तस बनी है।
लोगों का आरोप है कि पुलिस की छापेमार टीम जाती है, लेकिन केवल छोटे लोगों को पकड़ती है, जबकि बड़े संचालक रातों-रात फरार कर दिए जाते हैं।
समाज में बढ़ रहा डर
आस-पास के मोहल्लों की महिलाएं बताती हैं कि शाम के बाद गलियों में बाहर निकलने से भी डर लगता है। शराब, नशाखोरी और असामाजिक तत्वों की भी भीड़ बढ़ जाती है।
बच्चियों पर भी बुरा असर पड़ रहा है। स्कूल-कॉलेज जाने वाली लड़कियां तक इन्हीं खाली कमरों में घुसने वाले संदिग्ध युवकों को देखकर असुरक्षित महसूस कर रही हैं।
बड़े अभियान की जरूरत, मुख्य संचालकों की गिरफ्तारी हो
स्थानीय लोगों का कहना है कि रेडलाइट क्षेत्रों में एक साथ बड़े पैमाने पर छापेमारी हो संचालकों को चिन्हित कर गिरफ्तारी की जाए। तस्करी पीड़ित लड़कियों का पुनर्वास कर सुरक्षित की जाए। कोठों को तोड़कर इलाके को सुरक्षित घोषित किया जाए। लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन चाहे, तो 24 घंटे में पूरा नेटवर्क को ध्वस्त किया जा सकता है, लेकिन इरादा कमजोर है।

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