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    नारियल व्यवसाय का राज्यस्तरीय हब बना बेगूसराय का लाखो मंडी, सैंकड़ों स्थानीय लोगों को मिला रोजगार

    Updated: Sat, 25 Oct 2025 06:15 PM (IST)

    बेगूसराय जिले का लाखो मंडी नारियल व्यवसाय का राज्यस्तरीय हब बन गया है। यहां सैंकड़ों स्थानीय लोगों को रोजगार मिला है, जिससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है। अच्छी गुणवत्ता वाले नारियल की उपलब्धता और स्थानीय प्रशासन के प्रयासों से यह मंडी और भी विकसित हो रही है। नारियल प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना की योजना है।

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    नारियल व्यवसाय का राज्यस्तरीय हब बना बेगूसराय का लाखो मंडी। फोटो जागरण

    संवाद सहयोगी, लाखो (बेगूसराय)। हिन्दू धर्म में नारियल का विशेष महत्व होने के कारण इसकी मांग वर्षभर बनी रहती है। शादी-विवाह, पूजन एवं धार्मिक संस्कारों में आवश्यक वस्तु के रूप में नारियल की खपत होते रहती है।

    इसी कारण बेगूसराय जिले का लाखो गांव स्थित मंडी आज राज्य का प्रमुख नारियल व्यापार केंद्र बन चुका है। साल 1986-87 में सदर प्रखंड के लाखो गांव निवासी अनिल चौधरी, रमेश चौधरी, राजेंद्र चौधरी एवं नरेश चौधरी ने एनएच-31 के किनारे नारियल व्यवसाय की शुरुआत की थी।

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    समय के साथ यह छोटा कारोबार अब राज्यस्तरीय मंडी का रूप ले चुका है। वर्तमान में एनएच-31 के किनारे करीब 10 बड़ी नारियल की गद्दी ग्राहकों को आकर्षित कर रही हैं।

    स्थानीय व्यवसायी राहुल जायसवाल ने बताया कि लाखो गांव में पांच स्थायी नारियल मंडियां सालभर नारियल की आपूर्ति करती हैं, जबकि सावन से छठ तक दर्जनों अस्थायी मंडियां भी सक्रिय हो जाती हैं।

    दुर्गा पूजा और छठ पर्व के समय नारियल की मांग चरम पर होती है। बिहार के दरभंगा, सीतामढ़ी, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, खगड़िया, भागलपुर, सहरसा, पूर्णिया, मधुबनी, वैशाली, लखीसराय सहित झारखंड के कई जिले से थोक व्यापारी लाखो मंडी से नारियल खरीदने पहुंचते हैं।

    व्यवसायियों के अनुसार, बीते तीन महीनों में करीब एक हजार ट्रक नारियल इस मंडी में उतर चुके हैं। यहां का व्यापार मुख्य रूप से तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल एवं असम से आने वाले नारियल पर निर्भर है।

    राहुल ने बताया कि तमिलनाडु का संपेटा नारियल सबसे बेहतर और मीठा माना जाता है, जबकि आंध्र प्रदेश का कोलाची नारियल आकार में बड़ा होता है। थोक भाव में छिलका लगा नारियल 40 रुपये और गोटा नारियल 42 रुपये प्रति पीस के हिसाब से बिक्री की जा रही है।

    वहीं, 14 चक्का ट्रक नारियल की कीमत करीब 13 से 14 लाख रुपये और 12 चक्का ट्रक की कीमत आठ से नौ लाख रुपये तक होती है। नारियल व्यवसाय के विस्तार से सैकड़ों स्थानीय लोगों को रोजगार मिला है।

    साथ ही स्थानीय वाहन मालिकों को भी नियमित रूप से भाड़ा मिल जाता है। सस्ते दाम, बेहतर क्वालिटी और नियमित आपूर्ति के कारण लाखो गांव की यह मंडी अब बिहार ही नहीं, बल्कि झारखंड तक अपनी पहचान बना चुकी है।