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    साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र: लोजपा व जदयू दोनों ही ठोक रहे हैं दावा, रोचक मुकाबले के आसार

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 04:24 PM (IST)

    बिहार विधानसभा चुनाव के नज़दीक आते ही साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र में टिकट के लिए राजनीतिक दलों में होड़ तेज़ हो गई है। राजद विधायक ललन यादव फिर से टिकट पाने की उम्मीद कर रहे हैं जबकि एनडीए में लोजपा और जदयू दोनों इस सीट पर दावा ठोक रहे हैं।

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    लोजपा व जदयू दोनों ही ठोक रहे हैं दावा

    संवाद सूत्र,साहेबपुर कमाल (बेगूसराय)। 18वीं बिहार विधानसभा चुनाव की रूपरेखा तय होते ही विभिन्न राजनीतिक दलों में टिकट की होड़ तेज हो गई है। साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र में भी सत्ता और विपक्ष दोनों खेमों में सियासी हलचल बढ़ गई है। मतदाताओं के बीच यह चर्चा जोरों पर है कि क्या इस बार भी आठ बार विधायक रह चुके पिता और वर्तमान विधायक पुत्र को जनता फिर से मौका देगी, या विपक्षी एनडीए उम्मीदवार इस बार बाजी मार लेगा।

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    अब तक की सियासी यात्रा

    बेगूसराय जिले के बलिया विधानसभा क्षेत्र एवं 2008 में हुए परिसीमन के बाद बने साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र में श्रीनारायण यादव ने 1980, 1990, 1995, 2000, 2005, 2014 (उपचुनाव) और 2015 के आम चुनाव में जीत दर्ज कर विधायक बने। वे कई बार मंत्री पद भी संभाल चुके हैं। 2020 के चुनाव में शारीरिक अस्वस्थता के कारण उन्होंने अपने पुत्र सतानंद संबुद्ध उर्फ ललन यादव को राजद प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा, जिन्होंने जीत दर्ज कर पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया।

    इससे पूर्व एनडीए समर्थित दल लोजपा के जमशेद अशरफ ने 2005 के आम चुनाव में जीत हासिल की थी, जबकि 2010 में जदयू की परवीन अमानुल्लाह ने इस क्षेत्र से विजय प्राप्त की थी।

    वर्तमान चुनावी समीकरण

    वर्तमान में आरजेडी विधायक ललन यादव महागठबंधन से पुनः टिकट पाने का दावा कर रहे हैं और अपने कार्यकाल के आधार पर एक बार फिर मतदाताओं का भरोसा जीतने की बात कर रहे हैं। वहीं, एनडीए के प्रमुख घटक दल लोजपा और जदयू दोनों ही इस सीट पर दावा ठोक रहे हैं।

    लोजपा के दावेदार सुरेंद्र विवेक और जदयू के अमर कुमार सिंह दोनों ही अपनी-अपनी पार्टी से टिकट के प्रबल दावेदार बताए जा रहे हैं। दोनों नेता लगातार क्षेत्र में जनसंपर्क कर मतदाताओं को साधने में जुटे हैं। अब देखना यह होगा कि पार्टी नेतृत्व किसे टिकट देती है और मतदाता किस पर भरोसा जताते हैं। क्या यादव परिवार की परंपरा जारी रहेगी या एनडीए इस बार इतिहास बदल देगा।